पहला पन्ना: इंडियन एक्सप्रेस ने ममता पर हमले की अपनी कल की खबर के बाद आज मारी पलटी!

संजय कुमार सिंह संजय कुमार सिंह
काॅलम Published On :


दिल्ली के अखबारों में आज फिर पश्चिम बंगाल चुनाव ऐसे छाया है कि उसी की चर्चा करता हूं। सबसे पहले इंडियन एक्सप्रेस। अखबार ने कल शीर्षक लगाया था, “मुख्यमंत्री (ममता बनर्जी) के खिलाफ नियोजित हमले का कोई सबूत नहीं, आयोजन के लिए कोई अनुमति नहीं ली गई थी : चुनाव आयोग के पर्यवेक्षक।” इसके साथ खबर थी, रिपोर्ट कहती है सुरक्षा में चूक, स्थानीय अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग; चुनाव आयोग आज चर्चा करेगा। मुझे लगता है कि चुनाव के दौरान हमला निश्चित रूप से खबर है और बड़ी खबर है। इसे पहले दिन जितनी प्रमुखता मिले ठीक है। लेकिन उसके बाद यह खबर सास बहू का सीरियल नहीं है कि टीआरपी बटोरने के लिए रोज उसकी एक परत उघारी जाए और खबर को रोज पहले पन्ने पर रखा जाए। अंतिम रिपोर्ट फिर महत्वपूर्ण हो सकती है। लेकिन इंडियन एक्सप्रेस ने कल की खबर को इतनी प्रमुखता दी कि पांच कॉलम में छापा। इतना बड़ा शीर्षक लगाने के लिए यशवंत सिन्हा तृणमूल में शामिल हुए और किसान नेता भाजपा में बंगाल को निशाना बना रहे हैं पर वामपंथी अलग बने हुए हैं जैसी खबरें साथ लगाई थीं। यह पहले पन्ने पर ज्यादा खबरें देने की तकनीक है लेकिन संपादकीय विवेक के नाम पर इसका दुरुपयोग भी किया जा सकता है।

इसे समझने के लिए आज के इंडियन एक्सप्रेस का संबंधित अंश देखिए। मुख्य शीर्षक है, “चार सांसद और कई पूर्व टीएमसी नेता भाजपा की बंगाल सूची में; श्रीधरण केरल में”। इसके साथ कल किसान यूनियन की खबर के साथ जो किया गया था वही आज तृणमूल नेता पर हमले की खबर के साथ किया गया है जबकि हमले की कड़ी में यह संभवतः अंतिम खबर है और ज्यादा महत्वपूर्ण भी। इससे साफ होता है कि हमला ममता का नाटक नहीं था, भले किसी विपक्षी दल की चाल या साजिश नहीं हो। यह खबर कितनी महत्वपूर्ण है इसका अंदाजा इस बात से भी चलता है कि द हिन्दू ने इसे आज लीड के बराबर में टॉप पर छापा है, तीन कॉलम में दो लाइन के शीर्षक के साथ। एक्सप्रेस का शीर्षक है, “चुनाव आयोग ने नंदीग्राम घटना के लिए एसपी डीएम के खिलाफ कार्रवाई की”।

द हिन्दू का शीर्षक है, “चुनाव आयोग ने बंगाल के दो आईपीएस अफसरों को निलंबित करने के आदेश दिए”। उपशीर्षक है, “अनजाने लोगों ने कथित रूप से ममता बनर्जी को धक्का दिया”। मेरे ख्याल से यही आरोप था और इसी की पुष्टि हुई है। पर इंडियन एक्सप्रेस कह रहा है ‘ऐक्ट्स’ जबकि हिन्दू ने लिखा है, ऑर्डर्स। आप दोनों का अंतर समझ सकते हैं। भले ही मैंने हिन्दी में ऐक्ट्स के लिए कार्रवाई लिखा है और हिन्दी अनुवाद से यह पूरा और सामान्य लगता है लेकिन ‘ऐक्ट्स’ और ‘ऑर्डर्स’ का प्रयोग खेल न हो तो चूक जरूर है।

टाइम्स ऑफ इंडिया में इस खबर का शीर्षक है, “चुनाव आयोग ने एसपी को निलंबित किया, डीएम को शंट किया (उन) ‘चूकों’ के लिए जिससे दीदी जख्मी हुईं”। इंट्रो है, “इस बात के कोई संकेत नहीं हैं कि यह एक योजनाबद्ध हमला था”। अखबार में इसके साथ खबर है, “भाजपा की ओर से उम्मीदवार बनाए गए लोगों में केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो समेत चार सांसद”। चार सांसदों को विधानसभा का चुनाव लड़वाना सामान्य नहीं है। ये हैं – राज्यसभा सदस्य स्वपन दासगुप्ता और अर्थशास्त्री अशोक लाहिरी। चौथे सांसद हैं, लॉकेट चटर्जी। यह खबर इंडियन एक्सप्रेस में मुख्य शीर्षक से है और दोनों अखबारों के छोटे-बड़े शीर्षक लगभग उल्टे हैं। आप जानते हैं कि पश्चिम बंगाल के चुनाव आठ चरण और एक महीने के रिकार्ड समय में हो रहे हैं। ऐसे में तृणमूल कांग्रेस ने अपने सभी उम्मीदवारों की सूची एक साथ जारी की भाजपा ने अभी दूसरे और तीसरे चरण के लिए कल 63 नामों की सूची जारी की।

इस बारे में तृणमूल सांसद महुआ मोइत्रा ने ट्वीट किया था, “पश्चिम बंगाल में भाजपा उम्मीदवारों की सूची जिस रफ्तार से आ रही है वह दिलचस्प है। ‘दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी’ के पास 294 उम्मीदवार घोषित करने के लिए ना तो पर्याप्त चेहरे हैं और ना शक्ति फिर भी दावा है कि वह चुनाव जीत रही है।” इसपर एक मित्र का कहना है, पूर्व कोलकाता मेयर को टिकट नहीं मिला और गुस्से में वो बीजेपी छोड़ दिये। इसी तरह कल कुछ और लोगों के भाजपा छोड़ने की खबर थी पर वे टिकट की आस में भाजपा में शामिल हुए थे। अगर चुनाव पर रिपोर्टिंग करनी ही है तो भाजपा की इस स्थिति या रणनीति पर खबर करनी चाहिए। पाठकों के लिए यह दिलचस्प होगा लेकिन हमले से संबंधित अपनी राय को खबर बनाने की कोशिश में रोज नंगा होना पड़ेगा। यह अलग बात है कि आजकल बेशर्मी ही गहना है। ताकत मिल जाए तो लोग चुल्लू भर पानी भी बचा रहे हैं।

आज बंगाल चुनाव की खबर हिन्दुस्तान टाइम्स में भी लीड है। इंडियन एक्सप्रेस ने मुंबई के पुलिस अधिकारी सचिन वाजे की खबर को लीड बनाया है और शीर्षक है, “वाजे टीम की गाड़ी ने एसयूवी का पीछा किया : जांच”। टाइम्स ऑफ इंडिया ने इसपर विस्तार से खबर दी है। एक खबर यह भी है कि शिवसेना के सांसद संजय राउत ने जानना चाहा है कि सुरक्षा का खतरा जानबूझकर पैदा किया गया था। उन्होंने एनआईए द्वारा जांच किए जाने की निन्दा की है और गिरफ्तार पुलिस अधिकारी की तारीफ की है। ऐसे में अलग-अलग अखबार अलग पहलुओं को प्रमुखता देते रहते हैं। पाठकों को चाहिए कि वे एक अखबार की सारी खबरें पढ़ने की बजाय पसंद की खबर कई अखबारों में पढ़ें। यह महंगा शौक है लेकिन खबरों का मजा तभी है। वरना प्रचारकों की चाल और लोकप्रियता की भूख में खबरें बदनाम करने के लिए भी की जाती रही हैं। मीडिया ट्रायल से आम लोग भी परेशान होते रहे हैं। इसलिए अगर आप एक ही अखबार खरीद या पढ़ सकते हैं तो बदल-बदल कर पढ़िए।

हिन्दुस्तान टाइम्स की आज की खबर का शीर्षक अभी तक चर्चित खबरों और शीर्षक से अलग है। हिन्दुस्तान टाइम्स के आज के शीर्षक का निकटतम अनुवाद होगा, ममता, शाह ने चुनावी रैलियों में एक-दूसरे पर कीचड़ उछाले। इसके मुकाबले द टेलीग्राफ का शीर्षक दिलचस्प है, व्हीलचेयर बनाम रथ : ममता ने घायल शेरनी की तरह लड़ने का प्रण किया। मुझे लगता है कि यह खबर है। एक दूसरे पर कीचड़ उछाले अगर खबर है तो उपशीर्षक में कीचड़ का नमूना भी होना चाहिए था। इससे स्तर पता चलता और पढ़ने की दिलचस्पी होती। हालांकि, हिन्दुस्तान टाइम्स की समस्या यह रही होगी कि कीचड़ उछालने का काम गृहमंत्री कर रहे हैं तो महत्व देना ही होगा। पहले भी यही हुआ था। वामपंथियों की कोलकाता रैली पहले पन्ने पर नहीं छपी, प्रधानमंत्री की छपी। उसी तरह गृहमंत्री कीचड़ उछालें तो खबर महत्वपूर्ण होगी ही। मुद्दा यह है कि प्रधानमंत्री और गृहमंत्री या दूसरे मंत्रियों को चुनाव प्रचार में कितना डूब जाना चाहिए?

हिन्दुस्तान टाइम्स के साथ-साथ द टेलीग्राफ में भी चार सांसदों को विधानसभा चुनाव लड़ाने की खबर प्रमुखता से है। पुराने समय में ऐसी विशेष राजनीति पर टीका-टिप्पणी होती थी। नेताओं से बात होती थी। देखता हूं अब क्या होता है। अन्य अखबारों के मुकाबले हिन्दुस्तान टाइम्स का शीर्षक मुझे पहले पन्ने का नहीं लगता है। मैंने पहले भी कहा है कि पश्चिम बंगाल चुनाव दिल्ली के अखबारों में और वह भी पहले पन्ने पर कुछ ज्यादा हो रहा है। ऐसे में बंगाल के विधानसभा चुनाव की रैली में किसने क्या कहा यह पहले पन्ने पर छापना दिल्ली की खबरों का महत्व कम करना है।

आइए, अब पहले पन्ने की दूसरी खबरों की चर्चा कर लूं। आज की महत्वपूर्ण खबरें इस प्रकार हैं जो दूसरे अखबार में पहले पन्ने पर नहीं हैं।

  1. मंदिर में पीने के लिए पानी मांगने पर पीटे जाने वाले लड़के की दिल्ली की खबर द टेलीग्राफ में आज लगातार दूसरे दिन पहले पन्ने पर है। इसमें बताया गया है कि बच्चा बेहद डरा हुआ है और बिस्तर पर लेटा रहता है। 14 साल के इस बच्चे की पिटाई के मामले में दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
  2. “प्रधानमंत्री हमें भूल गए पर 300 शहीदों को न भूलें” : (किसान यूनियन के नेता बलबीर सिंह, कोलकाता में) (द टेलीग्राफ)।
  3. 1991 के पूजा स्थल कानून से संबंधित मामला सुप्रीम कोर्ट में विचार के लिए स्वीकार किए जाने के बाद काशी मथुरा से संबंधित हिन्दुओं के दावों को दम मिला है।
  4. साठ पार के लोगों को टीका लगवाने के लिए प्रेरित करने के लिए विशेष टीम। (हिन्दुस्तान टाइम्स)
  5. राजनीतिक संकट के महीनों बाद गहलौत सरकार ने फोन टैप करना स्वीकार किया। (मुझे याद आया कि ज्योतिरादित्य सिंधिया सेवा का मौका ढूंढ़ने भाजपा गए थे। क्या सेवा कर पाए यह पता नहीं चला)।
  6. इंडियन एक्सप्रेस ने पहले पन्ने पर बताया है कि मेघालय के राज्यपाल ने (किसान नेता) टिकैत की गिरफ्तारी रोकने के लिए हस्तक्षेप किया – खबर अंदर है। पहले पन्ने पर जो खबरें हैं उनमें एक है, जंगल में छोड़ी गई शेर की बच्ची अवनि की मौत हो गई।
  7. पचास साल बाद 71 बैच ने बांग्लादेश युद्ध के सात बहादुरों को याद किया (टाइम्स ऑफ इंडिया)
  8. टाइम्स ऑफ इंडिया में पहले पन्ने पर एक खबर है, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने कहा है कि प्रधानमंत्री भविष्य में पूजे जाएंगे। उन्होंने प्रधानमंत्री की तुलना भगवान राम से की। इंदिरा गांधी की तारीफ में देवकांत बरुआ ने कहा था, इंडिया इज इंदिरा और इंदिरा इज इंडिया। अब यह तय हो चला है कि नरेन्द्र मोदी के ऐसे प्रशंसकों की संख्या इंदिरा गांधी के मुकाबले कई गुना ज्यादा है।
  9. भारत में वायरस के 25320 नए मामले दर्ज हुए (द हिन्दू)
  10. हम कांग्रेस की विरासत के संरक्षक हैं – सिबल। (द हिन्दू)

 


लेखक वरिष्ठ पत्रकार और प्रसिद्ध अनुवादक हैं।