पहला पन्ना: ऑक्सीजन की कमी से मौतें जारी, सिलेंडर छीनने से महिला मरी, खबर मिली?  

संजय कुमार सिंह संजय कुमार सिंह
काॅलम Published On :


आज एक्जिट पॉल का दिन है और दूसरी खबरें तो हैं ही। इसलिए आज पांच अखबारों को तीन वर्गों में बांटा जा सकता है। पहला जो हींग लगे ना फिटकरी रंग चोखा के अंदाज में एक्जिट पॉल को लीड छापने की परंपरा का निर्वाह कर रहे हैं, दूसरा जो एक मई से 18 साल के ऊपर के लोगों  की टीका नहीं लग पाने की सूचना को ज्यादा महत्वपूर्ण मानते हैं और तीसरा जो खबरों को समझते हैं या महत्व देते हैं। तीसरे वर्ग वाले अखबार का नाम लेने की जरूरत नहीं है उसकी खबर बताउंगा पर पहले। किसी खास सूचना को महत्वपूर्ण मानने वाले इंडियन एक्सप्रेस की खबर। इस वर्ग में यह अकेला है। हालांकि, मुझे लगता है कि पहले लिखे जा चुके पहला पन्ना से यह बात स्थापित हो चुकी है।  

आप जानते हैं कि कल यानी एक मई से 18-45 साल के लोगों को कोविड-19 से बचाव के लिए टीका लगाने की शुरुआत की घोषणा 10 दिन पहले की गई। भिन्न कारणों से (हालांकि कारण स्पष्ट हैं) आशंका है कि उसकी शुरुआत कल नहीं हो पाएगी। टीके का मामला शुरू से प्रचार का रहा है और उसपर बहुत विस्तार में जाने की जरूरत नहीं है। होने को यह खबर बाकी अखबारों में भी है और केवल सूचना के रूप में है लेकिन इंडियन एक्सप्रेस की बात अलग है। और यह इसके शीर्षक से भी स्पष्ट रहता है। आज तो यह खबर लीड भी है। आज की खबर की चर्चा करने से पहले आपको बताऊं कि 20 अप्रैल को टीकाकरण की घोषणा इंडियन एक्सप्रेस में लीड थी। मैंने लिखा था यह घोषणा की ही इसलिए गई थी ताकि दूसरी खबर दब जाए। उस दिन दूसरी खबर थी, पश्चिम बंगाल चुनाव के लिए प्रधानमंत्री की रैली जारी रहेगी। 

उस दिन मैंने लिखा था, आज खबर होनी थी पश्चिम बंगाल चुनाव के लिए होने वाली रैलियों की। क्या बाकी के चरण के लिए चुनाव प्रचार नहीं होंगे? क्या रैलियां नहीं होंगी। कल की खबरों से यह सवाल उठा था और आज इसका जवाब मिलना चाहिए था। पर कल जब मुझे पता चला कि अब सबको टीका सबको लगाने की ‘अनुमति‘ दे दी गई है तो समझ में आ गया कि रैली पर कोई फैसला नहीं हुआ है। रैली पर कांग्रेस और तृणमूल का फैसला कल ही छप चुका था। भाजपा के फैसले का इंतजार था पर वह टीके की खबर के रूप में आया। सरकार ने सबसे कठिन प्रश्न हल कर दिया है। बाकी फैसले (शायद) राज्य सरकारों को करना है। 20 अप्रैल को पहला पन्ना का शीर्षक था, चिताएँ जल रही हैं, मगर पीएम मोदी की रैलियाँ होंगी !!

आज मतदान हो चुके हैं। रैली की खबरें छप चुकी हैं। और आज फिर लीड है कि टीके शायद नहीं लग पाएंगे। राज्य सरकारें फैसला नहीं कर पा रही हैं। बिना कहे यह कहने की कोशिश की जा रही है कि राज्य सरकारें भी भाजपा की होती तो ….। पर अभी वह मुद्दा नहीं है। मुद्दा हेडलाइन मैनेजमेंट है और वह हर हाल में जारी है।  इंडियन एक्सप्रेस का 20 अप्रैल का पहला पन्ना देखिए। इसमें एक प्रचारात्मक खबर को इतना महत्व दिया गया है और यह खबर 10 दिन बाद ही व्यर्थ साबित हो गई। मुख्य शीर्षक से ऊपर लाल रंग में लिखा (फ्लैग शीर्षक) है, प्रधानमंत्री की बैठक के बाद निर्णय। और निर्णय यही था कि इस मामले में राज्य निर्णय ले सकते हैं। राज्यों के लिए टीके की कीमत, धन की उपलब्धता के साथ टीके के स्टॉक का पता नहीं था लेकिन फैसला सुना दिया गया था। 

आज इंडियन एक्सप्रेस में उसी खबर का ‘खंडन’ लीड के रूप में छपा है। पहले पन्ने पर जो कुछ लिखा है उसमें प्रधानमंत्री या नरेन्द्र मोदी का नाम कहीं नहीं है। केंद्र यानी सेंटर शब्द जरूर आया है। इंडियन एक्सप्रेस ने इस खबर के साथ एक्सप्लेन यानी स्पष्ट किया है कि घबराहट और अनिश्चितता से बचने के लिए भाजपा और गैर भाजपा राज्यों ने लोगों को यह बताना शुरू कर दिया है कि 18-45 आयु वर्ग के लोगों को टीका लगाना एक मई से शुरू नहीं होगा। कोई भी राज्य टीका निर्माता से ताजी खुराक नहीं प्राप्त कर सके हैं। अखबार ने नहीं बताया है कि प्रधानमंत्री ने एक मई की तारीख कैसे और किस आधार पर तय की होगी या किसने कैसे तय किया था। जहां तक डर, घबराहट और अनिश्चितता से बचने के लिए राज्यों की सूचना की बात है आप एक्सप्रेस की खबर पर यकीन कर सकते हैं। वैसे, मुझे लगता है कि एक मई को यह सब होने की ‘आशंका’ है तो इसका असर दो मई को मतगणना वाले दिन या नतीजे वाले दिन के अखबारों की सुर्खियों पर हो सकता है? देखने लायक होगा। इंतजार कीजिए। 

फिलहाल आज अन्य अखबारों में इस खबर का शीर्षक इस प्रकार है 

1.हिन्दुस्तान टाइम्स 

18+ के लिए कोई खुराक नहीं, अगले चरण का देर होना तय 

2.टाइम्स ऑफ इंडिया 

टीकाकरण की शुरुआत आयु सीमा कम किए जाने के बावजूद धीमी रह सकती है। इसी के साथ प्रकाशित एक अलग खबर से अखबार ने बताया है कि दिल्ली में 18+ अभियान के लिए कुछ ही खुराक हैं। एसआईआई सोमवार को तीन लाख खुराक डिलीवर करेगा। 

3.द हिन्दू 

18 साल से ऊपर वालों के टीकाकरण के लिए पर्याप्त टीके नहीं हैं। 

4. द टेलीग्राफ 

कांग्रेस ने टीके को लेकर शंका जताई। यह खबर पहले पन्ने पर नहीं है।  इसमें पी चिदंबरम के ट्वीट की चर्चा है जिसमें उन्होंने कहा है स्वास्थ्य मंत्री के दावे जांच होगी कि उनकी सरकार के पास टीकों का पर्याप्त स्टॉक है। टेलीग्राफ की इस खबर को इंडियन एक्सप्रेस की इस सूचना के साथ पढ़िए कि …. ‘भाजपा और गैर भाजपा राज्यों ने लोगों को यह बताना शुरू कर दिया है।’ 

कहने की जरूरत नहीं है कि आज इंडियन एक्सप्रेस की इस खबर का शीर्षक और उसकी सामग्री यह होनी चाहिए थी कि 10 दिन पहले घोषित तारीख नाकाम होती दिखती है। अखबार के पास सूचना हो तो बताया जाना चाहिए कि इसका क्या कारण है या क्या हो सकता है नहीं तो यह बताना चाहिए था कि हमें समझ में नहीं आया। लेकिन प्रचारकों से पोल खोल की उम्मीद नहीं की जा सकती है। जर्नलिज्म ऑफ करेज के दावे के साथ प्रचार किया जाए तो पोल-खोल जरूरी है। 

 

 

इसके अलावा आज के अखबारों में जो प्रमुख खबरें हैं और दूसरे अखबारों में नहीं हैं उन खबरों के शीर्षक ये रहे 

1.आंकड़ों के अनुसार कोविड की चिन्ता के बावजूद कुम्भ नहाने वालों की संख्या 91 लाख रही। इसके साथ ही सिंगल कॉलम में खबर है कि उत्तराखंड सरकार ने चार धाम यात्रा रद्द कर दी।

2.द टेलीग्राफ में चारधाम यात्रा की खबर का शीर्षक है, “कुम्भ से जला चारधाम फूंक कर पियेगा” (बिटेन इन कुम्भ शाई ऑन चारधाम)।

3.उत्तर प्रदेश के निजी अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी के कारण 15 मरीजों की मौत हुई, रिश्तेदारों ने आरोप लगाया। द हिन्दू में संभवतः इसी घटना में छह लोगों के मामले जाने की खबर है और साथ ही बताया गया है कि प्रशासन ने इस दावे से इनकार किया और मामले की जांच शुरू कर दी है। 

4.दिल्ली हाईकोर्ट ने पुलिस वालों से कहा है कि मरीजों से ऑक्सीजन सिलेंडर और कोविड-19 की दवाइयां न छीनें (ये ठोंक दो वाली पुलिस नहीं है)। टाइम्स ऑफ इंडिया ने इस खबर के साथ एक और खबर छापी है जिसका शीर्षक है, उत्तर प्रदेश के पुलिसियों ने ऑक्सीजन सिलेंडर छीन लिया महिला मर गई। यह आगरा की कहानी है। 

5.टाइम्स ऑफ इंडिया में सबसे नीचे दो कॉलम में छपी एक खबर का शीर्षक है, “मद्रास हाईकोर्ट सरकार से : 15 महीने तक आप क्या कर रहे थे?” द हिन्दू में यह खबर टॉप पर है, हाईकोर्ट ने महामारी के लिए केंद्र की खिंचाई की। पर अखबार यह बताने, समझाने या यकीन दिलाने में लगे हैं कि सारी जिम्मेदारी राज्यों की है और शायद इसीलिए वे ताली-थाली नहीं बजवा रहे हैं।  

अखबारों ने इन पांच खबरों को छोड़कर किन खबरों को ज्यादा महत्व दिया है और इन खबरों को कैसे छापा है उससे आप समझ सकते हैं कि आज की पत्रकारिता कितनी निष्पक्ष और दंबंग है। इसके साथ जो भक्ति और सेवा भाव है उसपर सरकार सर्विस टैक्स लगा दे तो सेवा भी पाए और अमीर भी हो जाए। रोज की तरह द टेलीग्राफ आज भी सबसे अलग है। यहां तक कि फोटो भी बता रहा है कि मध्यवर्ग इन दिनों अच्छे दिन का आनंद ले रहा है। यह अहमदाबाद की तस्वीर है।

 

लेखक वरिष्ठ पत्रकार और प्रसिद्ध अनुवादक हैं।