मोदी लहर गायब है और एग्जिट पोल भाजपा को बहुमत दे रहे हैं, दोनों बातें सही कैसे हो सकती हैं?

चन्‍द्रप्रकाश झा चन्‍द्रप्रकाश झा
काॅलम Published On :


सत्रहवीं लोकसभा के लिए चुनाव के 11 अप्रैल से शुरू हुए मतदान के सातवें एवं अंतिम चरण में रविवार 19 मई को वोटिंग समाप्त होते ही विभिन्न पोल्स्टर एजेंसियों और खबरिया टीवी चैनलों के गठजोड़ के ‘एग्जिट’ पोल्स सामने आ गए। इनमें से लगभग सभी में केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस (एनडीए) को लोकसभा में स्पष्ट बहुमत हासिल हो जाने का आकलन है।

इंडिया टुडे-एक्सिस और न्यूज 18-आईपीएसएस को छोड़ बाकी सभी के अनुसार भाजपा को अपने दम पर बहुमत नहीं मिलेगा। एग्जिट पोल्स करने वाले छह गठजोड़ में से एकमात्र एबीपी-नील्सन के अनुसार एनडीए को बहुमत 271 सीटों से कुछ कम ही 267 सीटें ही मिलेगा। अधिकतर एग्जिट पोल्स के अनुसार विपक्षी यूनाइटेड प्रोग्रेसिव अलायंस (यूपीए) का नेतृत्व कर रही कांग्रेस को उत्तर प्रदेश में पिछली बार की ही तरह सिर्फ रायबरेली और अमेठी की केवल दो सीटें मिलने की संभावना है, जहां से क्रमशः यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी प्रत्याशी है। सभी एग्जिट पोल्स में उत्तर प्रदेश की वाराणसी सीट से बतौर भाजपा प्रत्याशी दूसरी बार चुनाव लड़ रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जीत की संभावना बताई गई।

इस वर्ष जनवरी से अप्रैल तक के 13 सर्वे में इंडिया टीवी-सीएनएक्स, टाइम्स नाउ-वीएमआर और जान की बात को छोड़ सभी ने विखंडित जनादेश की संभावना व्यक्त की। इनमें से तीन के सर्वे में एनडीए को बहुत कम सीटों के अंतर से बहुमत मिलने का आकलन था। टाइम्स नाउ-वीएमआर के जनवरी के सर्वे में त्रिशंकु लोकसभा की संभावना व्यक्त की गई थी लेकिन उसके अप्रैल के सर्वे में एनडीए को सात सीटों का बहुमत दर्शाया गया। कुछ और सर्वे में कांग्रेस के नेतृत्व वाले युनाइटेड प्रोग्रेसिव अलायंस को भी बहुमत नहीं मिलने की संभावना व्यक्त करते हुए कहा गया कि यूपीए को अधिकतम 210 सीटें ही मिल सकती हैं और भाजपा हर हाल में लोकसभा में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरेगी। लेकिन भाजपा और कांग्रेस के गठबंधन से बाहर की पार्टियों को कुल मिलाकर कांग्रेस से ज्यादा सीटें मिल सकती हैं। ऐसे में इन क्षेत्रीय दलों में से अधिकतर को साथ लिए बगैर कोई नई सरकार का गठन संभव नहीं होगा।

इस चुनाव में केंद्र में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाले एनडीए की 26 मई 2014 से कायम नरेंद्र मोदी सरकार को दूसरी बार राजसत्ता संभालने का जनादेश मिलेगा या नहीं, इस बारे में अभी कुछ कहना कयासबाजी होगी। मोदी जी भारत के 14वें प्रधानमंत्री हैं और वह इस पद के प्रमुख दावेदार हैं। विपक्षी दलों की तरफ से प्रधानमंत्री पद के लिए दावेदार की औपचारिक घोषणा चुनाव परिणाम के बाद ही संभव है।

एग्जिट पोल्स के राज्यवार विवरण थोड़ा अलग-अलग हैं। ये एग्जिट पोल्स विभिन्न चरणों में कराये गए मतदान में भाग लेने वालों के ‘सैंपल’ से प्राप्त रुझान के आधार पर बताये गए हैं जो बहुत बड़े नहीं है। एग्जिट पोल्स से पहले खबरिया टीवी चैनलों, कुछ प्रिंट मीडिया और ख़ास कर सोशल मीडिया में चुनाव परिणामों को लेकर सर्वे आदि क़यासी ख़बरों की बाढ़ आ गई। निर्वाचन आयोग के स्थायी आदेश के अनुसार अंतिम चरण का मतदान खत्म होने तक कोई भी एग्जिट पोल प्रकाशित-प्रसारित नहीं किया जा सकता है।

स्वयं उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने कहा कि एग्जिट पोल्स का अर्थ एग्जैक्ट पोल नहीं है और 1999 से अधिकतर एग्जिट पोल्स गलत साबित हुए हैं। सियासी और मीडिया के हल्कों में यह चर्चा रही कि इस बार के चुनाव में 2014 में हुए आम चुनाव में नज़र आई ‘मोदी लहर’ जैसा कुछ भी नहीं है। मतदाताओं के बीच मोटे तौर पर भाजपा और एनडीए के प्रति रोष है जो परिणामों के रूप में अलग-अलग राज्यों और क्षेत्रों में कम या ज्यादा हो सकता है। कयास यह भी लग रहे हैं कि किसी भी पक्ष और उनके मतदान-पूर्व के गठबंधन अथवा मोर्चा को नई लोकसभा में स्पष्ट बहुमत मिलना मुश्किल होगा।

‘एग्जिट’ पोल्स का ‘पोल ऑफ़ पोल्स’ यानि औसत भी निकाला गया है। उसमें भी भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन एनडीए को स्पष्ट बहुमत दर्शाया गया है। एग्जिट पोल्स के अनुसार  कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए और दोनों गठबंधन से बाहर के क्षेत्रीय दलों को भी कुल मिलाकर बहुमत से बहुत दूर बताया गया है। कोई जरूरी नहीं कि ये सब एग्जिट पोल्स सही ही साबित हों। हमारे पास यह नहीं मानने का कोई बड़ा ठोस कारण नहीं है कि निर्वाचन आयोग द्वारा सभी सीटों पर 23 मई को शुरू की जाने वाली वास्तविक मतगणना के परिणाम अलग हो सकते हैं।

23 मई की देर शाम या रात तक सभी सीटों के अधिकृत परिणाम मिल जाने की संभावना है। हर निर्वाचन क्षेत्र में ईवीएम से डाले गए मतों में से रैंडम आधार पर उनके एक-एक विधानसभा खंड के कुछ प्रतिशत मतों का वोटर्स वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) मशीन से निकाली पर्चियों से मिलान करने की नई व्यवस्था के कारण मतगणना में देरी भी हो सकती है।

लोकसभा के साथ ही चार राज्यों आंध्र प्रदेश, ओडिशा, सिक्किम और अरुणांचल प्रदेश की  विधानसभा के लिए भी चुनाव कराये गए। सिक्किम विधानसभा का मौजूदा कार्यकाल 27 मई, अरुणाचल प्रदेश विधानसभा का 1 जून, ओडिशा विधानसभा का 11 जून और आंध्र प्रदेश विधानसभा का मौजूदा कार्यकाल 8 जून को समाप्त होगा। निर्वाचन आयोग ने किन्हीं सुरक्षा कारणों से जम्मू-कश्मीर विधानसभा के चुनाव नहीं कराये, जो अभी भंग है। लेकिन जम्मू और कश्मीर की 6 लोकसभा सीटों के लिए चुनाव पांच चरणों में संपन्न हो गए।

इस आम चुनाव में 11 अप्रैल से 19 मई तक सात चरणों में 29 राज्यों और सात केंद्र शासित प्रदेशों में फैले कुल 543 निर्वाचन क्षेत्रों में से दो को छोड़ 90 करोड़ लोगों को वोट डालने थे। उनमें से करीब 67 प्रतिशत ने 10 लाख पोलिंग स्‍टेशन पर वोट डाले। दो निर्वाचन क्षेत्रों में मतदान रद्द कर दिए गए, जहां बाद में नए सिरे से चुनाव होंगे। इनमें से एक तमिलनाडु की वेल्लूर सीट है। इस चुनाव में 18-19 वर्ष के करीब 1.5 करोड़ नए वोटर थे। निर्वाचन आयोग से मतदान का पूरा आधिकारिक ब्योरा तत्काल उपलब्ध नहीं है, लेकिन बताया जा रहा है कि कुल औसत मतदान 67 प्रतिशत रहा जो 1914 में हुए आम चुनाव से 1.5 प्रतिशत अधिक है। वोट डालने वाली महिलाओं और नए वोटरों की संख्या भी पिछली बार से अधिक बताई गई है। निर्वाचन आयोग ने पिछली बार 300 करोड़ रुपये नगदी जब्त की थी। इस बार 840 करोड़ रुपये की नगदी जब्त की गई।

इस चुनाव में 2014 के आम चुनाव की तुलना में महिलाओं की सहभागिता सर्वाधिक रही है। लगभग सभी राज्यों में महिलाओं और पहली बार मतदान करने वालों में भारी इजाफा हुआ है। असम, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, केरल, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान में 18 से 25 वर्ष की आयु के मतदाताओं के मतदान में करीब 3.3 प्रतिशत की तेजी दिखी। केरल, कर्नाटक और महाराष्ट्र में वरिष्ठ नागरिकों ख़ास कर महिलाओं के मतदान में वृद्धि हुई है। मणिपुर, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, केरल, उत्तराखंड, गोआ, मिजोरम, लक्षद्वीप, दादरा-नगर हवेली, बिहार, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में पुरुषों की तुलना में महिलाओं का मतदान अधिक रहा। लेकिन 2019 के आम चुनाव में कुल 8049 उम्मीदवार में से 10 प्रतिशत से भी कम सिर्फ 717 महिलाएं हैं। राजस्थान की राजधानी जयपुर में 48 बरस बाद पहली महिला प्रत्याशी सामने आईं जो कांग्रेस की पूर्व मेयर ज्योति खण्डेलवाल है। इस सीट पर जयपुर के पूर्ववर्ती राजघराने की गायत्री देवी 1962 से 1971 तक तीन बार स्वतंत्र पार्टी की सांसद रही थीं।

16वीं लोकसभा की पहली बैठक चार जून 2014 को हुई थी। संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार पांच वर्ष का उसका निर्धारित कार्यकाल तीन जून 2019 को स्वतः समाप्त हो जाएगा। लोकसभा की वेबसाइट से मिली नवीनतम जानकारी के अनुसार सदन में दलीय स्थिति इस प्रकार है:

 

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) 268

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आईएनसी) 45

आल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम ( एआईएडीएमके) 36

आल इंडिया तृणमूल कांग्रेस (एआइटीसी) 33

बीजू जनता दल (बीजेडी) 18

शिव सेना (एसएस) 18

तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) 15

तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) 10

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) 9

समाजवादी पार्टी (एसपी) 7

नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) 7

लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) 6

आम आदमी पार्टी (एएपी) 4

राष्ट्रीय जनता दल  (आरजेडी) 4

शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) 4

युवजन श्रमिक रायथू कांग्रेस पार्टी (वायएसआर कांग्रेस पार्टी) 4

राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (आरएलएसपी) 3

आल इंडिया डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) 3

निर्दलीय 3

इंडियन नेशनल लोक दल (आईएनएलडी)  2

इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग 2

जनता दल सेकुलर (जेडीएस)  2

जनता दल युनाइटेड (जेडीयू) 2

झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) 2

अपना दल (एडी) 2

आल इंडिया मजलिस -ऐ -इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) 1

आल इंडिया एन आर कांग्रेस (एआईएनआरसी) 1

कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इण्डिया (सीपीआई) 1

जम्मू एंड कश्मीर नेशनल कांफ्रेंस  (जेएन्डके एनसी) 1

जम्मू एंड कश्मीर पीपुल्स डेमोक्रेटिक फ्रंट (जेएन्डके पीडीपी)  1

रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी) 1

सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट (एसडीएफ) 1

राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) 1

नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी) 1

पट्टाली मक्कल काची (पीएमके) 1

स्वामिभानी पक्ष (एसडब्लूपी) 1


सीपी झा वरिष्‍ठ पत्रकार हैं और मीडियाविजिल के लिए मंगलवारी स्‍तंभ ‘चुनाव चर्चा’ लिखते हैं