चुनाव चर्चा: शाह की व्यूह रचना का मुक़ाबला करने असम पहुँची महागठबंधन एक्सप्रेस!


संकेत मिले हैं कि महागठबंधन में ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (आसू) , असम जातीयतावादी युवा छात्र परिषद (अजायुछाप), असम जातीय परिषद (एजेपी) , कृषक मुक्ति संग्राम समिति और पिछले बरस बने राईजर दल को भी लाने  के प्रयास प्रगति पर हैं। असम के कांग्रेस प्रभारी जितेंद्र सिंह ने आगामी विधान सभा चुनाव में महागठबंधन की जीत का विश्वास व्यक्त किया। असम की 126 सीटों की विधान सभा में अभी कांग्रेस के 20और एआईयूडीएफ के 14 विधायक हैं. कांग्रेस के दो विधायक हाल में भाजपा पाले में चले गए। गठबंधन में शामिल अन्य किसी भी पार्टी का कोई विधायक नहीं है।


चन्‍द्रप्रकाश झा चन्‍द्रप्रकाश झा
काॅलम Published On :


बिहार विधान सभा के हालिया चुनाव की मोर्चाबंदी से सबक लेकर असम विधान सभा के इसी बरस मार्च -अप्रैल में निर्धारित चुनाव के लिए कांग्रेस और लगभग सभी संसदीय कम्युनिस्ट पार्टियों ने साथ मिलकर महागठबंधन बना लिया है। इसकी आधिकारिक घोषणा गुवाहाटी में पिछले मंगलवार को प्रेस कांफ्रेंस में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रिपुन बोरा ने की थी।

इस असमिया महागठबंधन की एक्सप्रेस रेलगाड़ी में कांग्रेस के साथ ही कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (सीपीआई) , कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया, मार्क्सिस्ट (सीपीआई एम), कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया मार्क्सिस्ट लेनिनिस्ट (सीपीआई एमएल), ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ ) और आंचलिक गण मोर्चा ( एजीएम) भी सवार हो गए हैं। महागठबंधन की जीत होने की स्थिति में मुख्यमंत्री कौन नेता होगा इसकी घोषणा अभी नहीं की गई है। कांग्रेस और एआईयूडीएफ पहली बार किसी चुनावी गठबंधन में साथ आये हैं। 

इत्र व्यवसाई बदरुद्दीन अजमल द्वारा 2005 में बनाये एआईयूडीएफ का समर्थन आधार बांग्ला भाषी मुस्लिम समुदाय है। एआईयूडीएफ ने 2006 के विधान सभा चुनाव में 10 सीटें जीती थी।  उसे 2011 के पिछले चुनाव में करीबी दो गुणा ज्यादा सीट मिली। रिपुन बोरा ने अपनी पार्टी के केंद्रीय प्रेक्षक एवं छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की उपस्थिति में कहा : हमने सत्ता से सांप्रदायिक ताकतों को बाहर करने सभी समविचारी दलों को इस मोर्चा में साथ आ जाने के लिए आमंत्रित किया है। मोर्चा बंदी में शामिल दलों के नेताओं ने मुख्यमंत्री बघेल , कांग्रेस महासचिव मुकुल वासनिक और जितेंद्र सिंह के साथ बैठक में विचार विमर्श किया। असम की सत्ता से भारतीय  जनता पार्टी ( भाजपा ) को बाहर करने  इस नई मोर्चा बंदी में अन्य भाजपा विरोधी दलों को भी शामिल करने का विकल्प खुला रखा है।

संकेत मिले हैं कि महागठबंधन में ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (आसू) , असम जातीयतावादी युवा छात्र परिषद (अजायुछाप), असम जातीय परिषद (एजेपी) , कृषक मुक्ति संग्राम समिति और पिछले बरस बने राईजर दल को भी लाने  के प्रयास प्रगति पर हैं। असम के कांग्रेस प्रभारी जितेंद्र सिंह ने आगामी विधान सभा चुनाव में महागठबंधन की जीत का विश्वास व्यक्त किया। असम की 126 सीटों की विधान सभा में अभी कांग्रेस के 20और एआईयूडीएफ के 14 विधायक हैं. कांग्रेस के दो विधायक हाल में भाजपा पाले में चले गए। गठबंधन में शामिल अन्य किसी भी पार्टी का कोई विधायक नहीं है।

असम में अभी भाजपा के नेतृत्व में सााझा सरकार है। इसमें शामिल दलों में  असम गण परिषद और यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी लिबरल (यूपीपीएल) प्रमुख हैं। एआईयूडीएफ के संगठन सचिव मोहम्मद अमीनुल इस्लाम  के अनुसार  भाजपा सरकार  ने पिछले पांच बरस में  असम तबाह  कर दिया है।

 

अमित शाह का : मिशन असोम

 केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने असम चुनाव के लिये भाजपा की नई व्यूह रचना पिछले बरस के अंत में तैयार करनी  शुरु कर दी थी। उन्होने 27 दिसम्बर 2020 को मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल और राज्य के स्वास्थ्य मंत्री हेमंत बिस्व सरमा के संग गुवाहाटी से लगी नीलाचल पहाड़ी अवस्थित शक्तिपीठ कामाख्या मंदिर के गर्भ गृह जाकर पूजन अर्चन किया था। उन्होंने कांग्रेस पर जमकर शब्दवाण चलाते हुए कहा था: पूर्वोत्तर भारत में बरसो राज करने वालों ने सिर्फ भूमि पूजन किया। पूर्वोत्तर में अलगाववाद और हिंसा का राज था पर पिछले छह बरस से भाजपा राज में लगभग सभी सशस्त्र विद्रोही समूहों ने एक के बाद एक अपने हथियार डाल दिये हैं। हिंसा में कमी आई है। बचे-खुचे सशस्त्र समूह भी हिंसा छोड़ समाज की मुख्यधारा में शामिल होंगे। युवाओं के पास दिमाग है। मोदी जी ने देश भर में संचार कनेक्टिविटी दी है। पहाड़ी हो या घाटी, हम सभी का चौमुखी विकास कर रहे हैं। अमित शाह ने प्रधानमंत्री मोदी का ये पुराना बयान याद दिलाया कि पूर्व हो या पश्चिम, दोनों को एक साथ विकसित होना चाहिए। उन्होंने कहा कि मोदी राज में ऐसा हो भी रहा है। जो अपने राज में शांति नहीं ला सके वे हमें सलाह न दें।

अमित शाह ने कहा:  कांग्रेस ने पूर्वोत्तर में लंबे अरसे तक राज किया पर उग्रवादियो से सुलह के लिये कोई बातचीत नहीं की। लोग मर रहे थे,  विकास बाधित हो रहा था। विकास के नाम पर कांग्रेस ने सिर्फ भूमिपूजन किया। हमने परियोजनाओं को कागज से जमीन पर उतारा। केंद्रीय गृह मंत्री ने एक सरकारी कार्यक्रम में चार विकास परियोजनाओं का श्रीगणेश किया। बाद में उन्होंने  कांग्रेस से पार्टी अनुशासन तोड़ने के आरोप में निकाले जा चुके दो विधायकों अजंता नियोग और राजदीप गोआला को भाजपा में शामिल कर लिया। 

हाल में बोडोलैंड क्षेत्रीय परिषद (बीटीसी) के  हुए चुनाव के परिणामो से भाजपा गदगद है। फरवरी 2020 में बोडो शांति समझौते पर हस्ताक्षर के बाद यह पहला चुनाव था। बीटीसी के 2015 के पिछले चुनाव में भाजपा ने एक ही सीट जीती थी, इस बार भाजपा नौ सीट जीतने में कामयाब रही। विधान सभा चुनाव से पहले हुए बीटीसी चुनाव को सेमीफाइनल माना जा रहा था। वे पड़ोसी राज्य पश्चिम बंगाल की तर्ज पर असम में विपक्षी दल में सेंधमारी भी कर रहे हैं। उन्होने भाजपा के लिये असम की 126 विधान सभा सीट में से 100 जीतने का टार्गेट तय किया है।

अमित शाह ने भाजपा की पुरानी चुनावी रणनीति बदल डाली है। भाजपा ने 2016 का पिछला विधान सभा चुनाव बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट  (बीपीएफ) और असम गण परिषद ( एजीपी ) से गठबंधन कर लड़ा था। भाजपा ने बीटीसी चुनाव से ऐन पहले अपने गठबंधन से बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट का हटा दिया। भाजपा ने हाल में सियासत में उतर आये छात्र नेता प्रमोद बोरो की कट्टरपंथी * यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी लिबरल * (यूपीपीएल) से हाथ मिलाने की ठानी है। वह बीटीसी चुनाव में भाजपा के साथ रही। तीवा ऑटोनोमस काउंसिल (टीएसी) चुनाव में भी भाजपा कुल 36 में से 33 सीट जीतने में सफल रही। टीएसी के 2015 के पिछले चुनाव में भाजपा तीन सीटें ही मिली थीं। असम विधानसभा के पिछले चुनाव में भाजपा को 60 , एजीपी को 14 और बीपीएफ को 12 सीटें मिली थीं। आगामी चुनाव के लिये भाजपा का उत्साह सातवे आसमान पर है।

 

 इतिहास भूगोल साहित्य 

असम को आसाम भी कहते हैं जो भारत के कई पूर्वोत्तर राज्यों से घिरा है। भूटान और बांग्लादेश से भी लगा सीमांत राज्य असम सुरम्य पर्वतश्रेणियों से भी घिरा है.राज्य का कुल क्षेत्रफल 78466 वर्ग किलोमीटर है। इसके उत्तर में अरुणाचल प्रदेश, पूर्व में नगालैंड और मणिपुर, दक्षिण में मिजोरम और  मेघालय और पश्चिम में बंग्लादेश है।

असम नाम की उत्पत्ति संस्कृत अस्म शब्द से मानी  जाती है  जिसका अर्थ असमतल भूमि और अनुपम भी है। कुछ विद्वान  इस नाम की व्युत्पत्ति सीमावर्ती बर्मा की एक शासक जनजाति  अहोमसे भी मानते हैं। प्राचीन काल से ही आस्ट्रिक, मंगोलियन, द्रविड़ और आर्य आदि जातियां और जनजातिया इसकी पहाड़ियों और घाटियों में आकर बसती रहीं जिसके फलस्वरूप असम में मिश्रित संस्‍कृति और सभ्‍यता रही है।  असमिया और बोडो राज्य की प्रमुख भाषाएं हैं। बंगाली भाषा को बराक घाटी के तीन जिलों में आधिकारिक मान्यता हासिल है। राज्य की कुल आबादी में बांग्ला भाषी करीब 34 प्रतिशत है। सर्वप्रमुख भाषा असमिया है जिसकी बोलियो और अपभ्रंश में कामरूपी, ग्वालपरिया आदि शामिल हैं।असमिया भाषा को नगालैंड, अरुणाचल प्रदेश और शेष पूर्वोत्तर में भी स्थानीकृत करके बोला जाता रहा है। असमिया साहित्य ,कला और संगीत समृद्ध है। भारत की 2011 की पिछली जनगणना के अनुसार असम में 64.90% हिंदू, 30.90% मुस्लिम और 3.70% ईसाई धर्म के हैं।अन्य धर्मो में सिख ,बौद्ध और जैन भी हैं।

प्राचीन भारतीय ग्रंथों में असम प्रागज्योतिष्पुर नाम से वर्णित है। महाभारत के अनुसार कृष्ण के पौत्र अनिरुद्ध ने असम की उषा नामक युवती पर मोहित होकर उसका अपहरण करने की सोची।श्रीमद्भागवत के अनुसार उषा ने अपनी सखी चित्रलेखा के जरिये अनिरुद्ध का ही अपहरण कर लिया। यह बात असम की दन्तकथाओं में इस परिघटना को, ‘कुमार हरण’ कहा जाता है। प्राचीन असम, कमरुप नाम से लोकप्रिय था जहाँ शक्तिशाली राजवंशों का राज था। वर्मन राजवंशों के शासन में चीनी यात्री चुन चांग ने असम का यात्रा वृतांत लिखा है।

भारत का सर्वाधिक खनिज तेल असम से ही मिलता है। राज्य की करीब 1000 किलोमीटर लम्बी तलहटी में खनिज तेल भंडार है जो खासी, जयन्तिया पहाड़ियों से लेकर कछार जिले तक पसरी है। तिनसुकिया, डिब्रुगड़ और शिवसागर जिलों में मुख्य तेल भंडार हैं। असम के चाय के बगान में बडी संख्या में बंगाल, बिहार, उड़ीसा और अन्य राज्यो के मजदूरो को रोज गार हासिल है। असम में कुल 33 जिले हैं।

आसम राज्य में पहले बंगलादेश के पूर्व में भारतीय क्षेत्र में से मणिपुर को छोड़ पूरा भाग शामिल था।वर्तमान असम राज्य का करीब तीन चौथाई हिस्सा ब्रहपुत्र घाटी तक सीमित है जो पहले करीब 40 प्रतिशत ही था। भूकंप और बाढ़ असम की प्रमुख समस्या हैं।जलवायु भारत के अन्य भागों की तरह मानसूनी है। खनिज तेल का अनुमानित भंडार 450  लाख टन है जो पूरे भारत के कुल खनिज तेल भंडार का आधा है। इस कृषि प्रधान राज्य में धान मुख्य फसल है। चाय, जूट और गन्ना धनद फसलें है। भारत के कुल 7100  चाय बागान में से करीब 700  असम में ही हैं जिनमें करीब चार लाख बिदेसिया ( माइग्रेंट ) मजदूर काम करते हैं।

 

कांग्रेस की मुश्किले

कांग्रेस का सांगठनिक ढांचा जर्जर हो चुका है। स्थानीय निकाय के हालिया चुनावों में उसका प्रदर्शन बहुत खराब रहा। 2016 के चुनाव में कांग्रेस को अपनी 52 सीटों से हाथ धोना पडा था। वह कुल 26 सीटें ही जीत सकी थी। राज्य के कद्दावर कांग्रेस नेता एवम पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई का निधन हो चुका है। इससे कांग्रेस का प्रदेश नेतृत्व कमजोर हुआ है। प्रदेश कांग्रेस प्रमुख रिपुन बोरा ने नई चुनावी मोर्चाबंदी की घोषणा के समय पत्रकारों से कहा अगर कांग्रेस राज्य में सत्ता में आती है तो वह किसानों का कर्ज माफ करेगी, जैसा राजस्थान, छत्तीसगढ़ और पंजाब की कांग्रेस सरकारों ने किया है।

मोदी जी की सरकार द्वारा 2020 में संसद से पारित कराये  नागरिकता संशोधन अधिनियम के बाद असम में वोटरों का तीव्र ध्रुवीकरण हुआ है। विपक्षी दलों ने इस कानून का विरोध किया लेकिन भाजपा की राज्य सरकार उस विरोध को साम दाम दंड भेद से दबाने में काम याब रही। विरोध-प्रदर्शन में शामिल कई नेता भाजपा के पाले में चले गये। कुछ ने अपनी  पार्टी बना ली जो भाजपा के काम आ सकती है.

बहरहाल देखना यह है कि निर्वाचन आयोग असम चुनाव कार्यक्रम की घोषणा कब करता है और उस घोषणा के बाद विभिन्न मोर्चाबंदी के ढीले  नट-बोल्ट कितनी खूबी से कसे जाते हैं।

 

*मीडिया हल्कों में सीपी के नाम से मशहूर चंद्र प्रकाश झा 40 बरस से पत्रकारिता में हैं और 12 राज्यों से चुनावी खबरें, रिपोर्ट, विश्लेषण के साथ-साथ महत्वपूर्ण तस्वीरें भी जनता के सामने लाने का अनुभव रखते हैं।