चंद्र प्रकाश झा
राजस्थान विधान सभा के आगामी चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की जीत आसान नहीं लगती हैं। पार्टी के जनाधार में गिरावट का पता राज्य में इसी वर्ष फरवरी में लोकसभा की अजमेर और अलवर तथा मांडलगढ़ विधानसभा सीट पर उपचुनाव में उसकी करारी हार से चला था। अगले बरस निर्धारित आम चुनाव से पहले राजस्थान में , मध्य प्रदेश , छत्तीसगढ़ और मिजोरम के साथ ही विधानसभा चुनाव होने हैं. राजस्थान की मौजूदा विधान सभा का कार्यकाल 20 जनवरी 2019 को समाप्त होगा।
राज्य की सत्ता में होने से भाजपा को सरकार –विरोधी रूझान का भी सामना करना पड़ सकता है। दिवंगत भैरों सिंह शेखावत के तीन बार के मुख्यमंत्रित्व काल में राज्य में भाजपा के जनाधार में वृद्धि हुई थी। पहले बनिया और ब्राह्मण जातीय समुदाय तक ही लोकप्रिय मानी जाने वाली भाजपा को राजपूत, गूजर , जाट और दलितों तक का समर्थन मिलने लगा। यही कारण है कि वर्ष 2013 के पिछले विधान सभा चुनाव में भाजपा कुल 200 सीटों में से 163 जीतने में कामयाब रही। लेकिन पिछले पांच वर्ष में विभिन्न कारणों से दलितों का ही नहीं ब्राह्मण और बनियों के छिटकाव के संकेत मिले हैं। नोटबंदी और गुड्स एन्ड सर्विसेज टैक्स ( जीएसटी ) के प्रतिकूल परिणामों के कारण बनियों के वाणिज्यिक समुदाय के बीच असंतोष मुखर हुआ है ।
मुख्यमंत्री पद के दावेदार रहे घनश्याम तिवाड़ी की पार्टी नेतृत्व द्वारा उपेक्षा से ब्राह्मण समुदाय भी छिटका है। छह बार विधायक रहे घनश्याम तिवाड़ी ने हाल में भाजपा छोड़ कर ‘ भारत वाहिनी पार्टी ‘ की कमान संभाल ली है। उन्होंने पिछले चार साल से मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के ख़िलाफ़ बग़ावत का झंडा उठा रखा था. उन्हीं के पुत्र अखिलेश तिवाड़ी ने भारत वाहिनी पार्टी की स्थापना की जिसे निर्वाचन आयोग ने 20 जून को पंजीकृत कर लिया है. घनश्याम तिवाड़ी ने घोषणा की है कि वह ख़ुद अपनी पुरानी सीट सांगानेर से चुनाव लड़ेंगे और उनकी पार्टी प्रदेश की सभी 200 विधान सभा सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़ी करेगी। तिवाड़ी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पृष्ठभूमि से हैं. राजनीतिक प्रेक्षकों के अनुसार घनश्याम तिवाड़ी का अलग पार्टी से चुनाव लड़ना कांग्रेस के लिए नुकसानदेह और भाजपा के लिए लाभकारी भी हो सकता है। खींवसर से निर्दलीय विधायक हनुमान बेनीवाल ने कहा है कि वह घनश्याम तिवाड़ी की नई पार्टी से बातचीत करेंगे. राज्य के चार करोड़ से कुछ अधिक मतदाताओं में ब्राह्मण समुदाय का हिस्सा करीब छह प्रतिशत माना जाता है।
भाजपा सरकार ने गुजर समुदाय की मांग पर वर्ष 2015 में एक अधिनियम के तहत उन्हें और चार अन्य जातीय समुदायों को राजकीय सेवाओं में आरक्षण देने के आदेश जारी किये। लेकिन राजस्थान हाई कोर्ट ने इस आधार पर वह अधिनियम निरस्त कर दिया कि इससे कुल आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक हो जाता है। राज्य सरकार ने बाद में जुलाई 2017 में गूजर और उन चार जातीय समुदाय को एक –एक प्रतिशत आरक्षण की ही सुविधा दे सकी। गूजर समुदाय राज्य में अन्य पिछड़े वर्गों को प्राप्त आरक्षण में बंटवारे के प्रस्ताव पर विचार करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा गठित रोहिणी आयोग की तर्ज़ पर संविधान संशोधन के लिए आयोग बनाने की मांग कर रहा है। गूजर समुदाय के कांग्रेस नेता सचिन पायलट को राज्य के अगले मुख्यमंत्री के रूप में पेश करने की संभावना से भी भाजपा को गूजर समुदाय को रिझाने में मुश्किल हो रही है.
वसुंधरा राजे
मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे चुनाव की तैयारियों के तहत अगस्त माह से पूरे प्रदेश में ‘ सुराज गौरव यात्रा ‘ शुरू करने वाली हैं। भाजपा के नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष मदन लाल सैनी और अन्य नेता भी इस यात्रा में शामिल हो सकते हैं। यात्रा के कार्यक्रम को हाल में नई दिल्ली में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के साथ एक बैठक में मंजूरी दे दी गई। यात्रा की विस्तृत रूपरेखा तैयार की जा रही है. भाजपा ने विधानसभा चुनावों में ‘180 प्लस ’ सीटों पर जीत का लक्ष्य निर्धारित किया है।
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने हाल में जयपुर में पार्टी की प्रदेश कार्यसमिति की दो दिवसीय बैठक के समापन सत्र को सम्बोधित करते हुए कहा कि राजस्थान में एक बार फिर भाजपा की ही सरकार बनेगी। उन्होंने संकेत दिए कि मौजूदा मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को ही मुख्यमंत्री के दावेदार के रूप में पेश किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि वसुन्धरा राजे की सरकार ने राजस्थान में बहुत काम किया है. भामाशाह योजना, मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान और गौरव पथ जैसी कई योजनाओं को देशभर में यश मिला है. मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे ने कहा कि उनकी पार्टी विधानसभा चुनावों में पिछली बार से भी अधिक सीटें जीतेगी। उनका यह भी कहना था , ” हम लोकसभा चुनाव में राज्य की सभी 25 सीटें जीतकर एक बार फिर नरेन्द्र मोदी जी को प्रधानमंत्री बनाएंगे ” .
राजस्थान की महिला आयोग की अध्यक्ष सुमन शर्मा के अनुसार पार्टी अध्यक्ष ने स्पष्ट कर दिया है कि आगामी विधानसभा चुनाव वसुन्धरा राजे के नेतृत्व में लड़ा जायेगा और चुनाव के बाद वही मुख्यमंत्री बनेंगी.
सचिन पायलट
समझा जाता है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पार्टी की ओर से राज्य के अगले मुख्यमंत्री के दावेदार के रूप में सचिन पायलट को पेश करने के हिमायती हैं। लेकिन प्रदेश के 10 बरस तक मुख्यमंत्री रहे अशोक गहलोत ने भी हाल में उदयपुर में खुद की दावेदारी व्यक्त कर दी। उन्होंने कहा, ” राजस्थान के लोग एक चेहरे से परिचित हैं, जो 10 वर्षो तक मुख्यमंत्री रह चुका है। “. वयोवृद्ध कांग्रेस नेता लालचंद कटारिया ने भी हाल में कहा था कि गहलोत का नाम पार्टी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में पेश किया जाना चाहिए. बाद में गहलोत ने मुख्यमंत्री की दावेदारी को लेकर चुप्पी साध ली।
राहुल गांधी ने अशोक गहलोत को पार्टी के केंद्रीय संगठन में जिम्मेदारी सौंप दी है. पार्टी महासचिव और राज्य प्रभारी अविनाश पांडेय ने पार्टी नेताओं को विधानसभा चुनाव से पहले गैरजरूरी बयान ना देने की हिदायत दी है।
बसपा
कांग्रेस के बहुजन समाज पार्टी से चुनावी गठबंधन अथवा तालमेल करने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। बसपा ने पिछले विधान सभा चुनाव में तीन सीटें जीती थीं। कांग्रेस के महागठबंधन में कम्युनिस्ट पार्टियों समेत अन्य दलों की प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष भागीदारी को लेकर कोई स्पष्ट रूख नहीं उभरा है। राजस्थान विधान सभा चुनाव के लिए मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने अपने 11 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी हैं। इनमें दांतारामगढ से जुझारू किसान नेता एवं पूर्व विधायक कामरेड अमराराम प्रमुख हैं।
( मीडियाविजिल के लिए यह विशेष श्रृंखला वरिष्ठ पत्रकार चंद्र प्रकाश झा लिख रहे हैं, जिन्हें मीडिया हल्कों में सिर्फ ‘सी.पी’ कहते हैं। सीपी को 12 राज्यों से चुनावी खबरें, रिपोर्ट, विश्लेषण, फोटो आदि देने का 40 बरस का लम्बा अनुभव है।)