अख़बारनामा: मिशेल ने बीजेपी नेता का नाम लिया तो ख़बर नहीं, सोनिया को ‘जानना’ सुर्ख़ी थी !


बीजेपी नेता ने ही कंपनी (अगस्ता वेस्टलैंड) का नाम ब्लैकलिस्ट की सूची से हटाने के लिए सिफारिश की थी।


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संजय कुमार सिंह

“क्रिश्चियन मिशेल का बड़ा दावा, बीजेपी नेता ने अगस्ता वेस्टलैंड कंपनी को ब्लैक लिस्ट से हटाने की सिफारिश की थी”
Agusta Westland Case: क्रिश्चियन मिशेल ने कई रसूखदार लोगों को जानने की भी बात कही है. उसने कहा कि मैं यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी, चंद्रास्वामी को जानता हूं. मिशेल ने एक पूर्व वित्त मंत्री का भी नाम लिया. https://abpnews.abplive.in

“अगस्ता वेस्टलैंड घोटाला : क्रिश्चयन मिशेल ने अब लिया बीजेपी नेता का नाम, ईडी की हिरासत में उड़ा रहा मिठाई -बिरयानी” 
यह खबर कल https://www.jansatta.com पर थी। जनसत्ता ऑनलाइन की यह खबर सुबह जब मैंने देखा तब भी साइट पर थी और कल दोपहर बाद 2.49 पर अपलोड की हुई लगती है। इसमें कोई संशोधन करेक्शन नहीं है। यानी खबर सही है पर यह आज के अखबारों में नहीं है। आइए पहले देखें कि खबर क्या है, फिर समझ में आएगा कि मैं क्यों इसकी चिन्ता कर रहा हूं।

अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर घोटाले में कथित बिचौलिए क्रिश्चियन मिशेल ने नया खुलासा किया है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की पूछताछ में अब उसने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के एक नेता का नाम लिया है। कहा है कि बीजेपी नेता ने ही कंपनी (अगस्ता वेस्टलैंड) का नाम ब्लैकलिस्ट की सूची से हटाने के लिए सिफारिश की थी। हालांकि, उस बीजेपी के नेता का नाम सामने नहीं आया है। शनिवार को पटियाला हाउस कोर्ट ने मिशेल की पेशी के दौरान 26 फरवरी तक के लिए उसकी न्यायिक हिरासत बढ़ा दी।

बता दें कि मिशेल को भारत लाने के बाद से बीजेपी लगातार दावे कर रही थी कि तमाम घोटालेबाजों के नाम सामने आएंगे। ईडी हिरासत में हुई पूछताछ के दौरान यह पूछे जाने पर कि क्या अगस्ता वेस्टलैंड का नाम ब्लैकलिस्ट से हटाने में किसी ने मदद की थी? मिशेल ने इसके जवाब में एक बीजेपी नेता का नाम लिया था।

मिशेल फिलहाल नई दिल्ली स्थित तिहाड़ जेल में है। करीब 14 दिनों से ईडी उससे पूछताछ कर रही है। नेताओं को घूस के मामले में पूछे जाने पर उसने गोल-मोल जवाब दिए। सूत्रों के हवाले से टीवी रिपोर्ट्स में यह भी कहा गया कि उसे जेल में उसे लजीज खाना लाकर दिया गया। कनॉट प्लेस से उसके लिए मिठाई (गुलाब जामुन) लाई गई, जबकि चांदनी चौक से बिरयानी मंगाई गई थी।

मिशेल ने इससे पहले कबूला था कि वह संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) की अध्यक्ष और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की मां सोनिया गांधी और तांत्रिक चंद्रस्वामी सरीखे रसूखदार लोगों को जानता है। इससे पहले, ईडी ने दावा किया था कि मिशेल ने पूछताछ के दौरान ‘मिसेज गांधी’ की जिक्र किया। माना जा रहा है कि उसने यहां सोनिया गांधी का उल्लेख किया। बीजेपी ने इसी मसले पर कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा था।

कांग्रेस की तरफ से 30 दिसंबर, 2018 को कहा गया था, “देश जानना चाहता है कि आखिर किस वजह से अगस्ता वेस्टलैंड सरीखी ब्लैकलिस्ट में डाली गई कंपनी को नौसेना के 100 हेलीकॉप्टरों के लिए बोली लगाने की अनुमति दी गई? सत्ता में आने के बाद बीजेपी ने इस कंपनी को ब्लैकलिस्ट से क्यों हटाया? कंपनी को देश में एडब्ल्यू 119 सैन्य हेलीकॉप्टरों के निर्माण की मंजूरी कैसे मिली?”

इंडियन एक्सप्रेस ने आज मिशेल से संबंधित अपनी खबर में लिखा है, पिछली सुनवाई में ईडी ने अदालत से कहा था कि पूछताछ के दौरान मिशेल ने एक सवाल के संदर्भ में मिसेज गांधी का नाम लिया था। एजेंसी ने कहा था कि इसके बाद वह अपने वकील को फॉलो अप सवाल देने में सफल रहा था और उनसे जानना चाहता था कि क्या कहा जाए। ईडी ने इसे सबूतों से छेड़छाड़ या उसे बचाने की साजिश कहा था। जनसत्ता (लखनऊ) में यह खबर पहले पेज से शुरू होकर अंदर जारी है। इसमें कहा गया है कि ईडी ने अदालत से अनुरोध किया कि उसे हिरासत में अपने वकीलों से मिलने से रोका जाए। एक्सप्रेस ने लिखा है कि इसके बाद अदालत ने मिशेल को मिलने वाली कानूनी सहायता का समय 30 मिनट से 15 मिनट कर दिया। जनसत्ता दिल्ली में यह खबर पहले पन्ने से शुरू नहीं होती है। अंदर जो खबर है वह जनसत्ता ऑनलाइन की खबर से अलग है।

इसके दो कारण हो सकते हैं। एक तो यह खबर गलत हो या इसकी पुष्टि नहीं हुई हो। इसकी संभावना कम है क्योंकि अपुष्ट खबर लगाई ही नहीं जाती है और जनसत्ता से पहले यह खबर एबीपी न्यूज ने टेलीविजन पर भी दी थी। वह भी नेट पर अभी तक है। गलत खबर (आमतौर पर स्थापित मीडिया संस्थानों द्वारा) हटा दी जाती है। दूसरों की गलत खबर बताने वाले भी कई हैं। खबर सही होने पर ही नहीं हटाया जाता है। खबरों की चिन्ता करने वालों का यह सामान्य स्वभाव होता है। मैंने कल इसे शेयर किया था इसीलिए इसका डीटेल ढूंढ रहा हूं और जानना चाहता हूं कि मैं गलत तो नहीं था। अमूमन खबरें दबाव में भी हटा ली जाती हैं और तब उनके गलत होने की बात नहीं मालूम होती है पर खबर हट जाए तो बात समझ में आती है। पर इसे हटाया नहीं गया है तो दो ही कारण हो सकते हैं – सही है या जिसके खिलाफ है उसे इससे इतना नुकसान नहीं है जितना हटाने के लिए दबाव डालने से होगा। कहने की जरूरत नहीं है कि अखबारों ने इसे महत्व नहीं दिया। कहने की जरूरत नहीं है कि अक्सर ऐसी खबरें संबंधित अधिकारी लीक करते हैं। इसकी पुष्टि का कोई तरीका नहीं है।

आइए अब याद करें कि इसी मिशेल ने जब मिसेज गांधी का नाम लिया था तो अखबारों ने खबर कैसे छापी थी। इस बारे में 30 दिसंबर को, “पप्पू में निवेश बेकार गया तो आक्रामकता बढ़ गई है देखिए कैसे” में मैंने लिखा था, “आज नवभारत टाइम्स, दैनिक जागरण, अमर उजाला, नवोदय टाइम्स में पहले पन्ने की पहली खबर है, अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर करार के बिचौलिए क्रिश्चियन मिशेल ने मिसेज गांधी का नाम लिया। मिसेज गांधी मतलब सोनिया गांधी और उनके बेटे या आर मतलब राहुल गांधी ही है। इनमें अमर उजाला और नवोदय टाइम्स ने दूसरी बातें भी आस-पास अन्य खबरों के जरिए बताई है पर किस अखबार ने क्या कैसे लिखा की जगह मैं मुख्य शीर्षक औऱ इस मामले से जुड़े कुछ तथ्य रखना चाहता हूं।” इसके साथ मैंने यह भी लिखा था कि जो व्यक्ति हिरासत में है और जिससे पूछताछ चल रही है वह किसी का नाम ले तो उसका संदर्भ जाने बिना शीर्षक में लिखने का क्या मतलब? लेकिन तब कइयों ने लिखा था। आज जब शीर्षक में बीजेपी या भाजपा नेता लिखने का समय आया तो खबर ही नहीं है। इसलिए नहीं कि भाजपा, भारतीय जनता पार्टी है बल्कि इसलिए कि सत्तारूढ़ पार्टी है। दूसरी ओर, आज के अखबारों से पता चला कि मिसेज गांधी के करीबी ‘आर’ रॉबर्ट वाड्रा भी हैं।

मिशेल ने भाजपा नेता का नाम लिया – इस सूचना के बिना उसे 26 फरवरी तक हिरासत में भेजा गया यह खबर किसी और शीर्षक से आज दैनिक भास्कर में पहले पन्ने पर है। नवभारत टाइम्स में पहले पन्ने पर एक खबर है, “चौकीदार को रास्ते से हटाना चाहती है चोरों की जमात”। भाषा की यह खबर पश्चिम बंगाल के बारीपदा से है और नवभारत टाइम्स ने बताया है कि राफेल पर राहुल गांधी के हमले झेल रहे पीएम नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को अगस्ता वेस्टलैंड डील को लेकर कांग्रेस को घेरा। अखबार ने इसके साथ सिंगल कॉलम में खबर लगाई है, “बिचौलिए मिशेल को दूसरे सौदे में भी मिली थी रकम : ईडी” । यह खबर अंदर के पन्ने पर भी है। राजस्थान पत्रिका में छोटी सी खबर है, मिशेल की हिरासत 26 फरवरी तक बढ़ी। इसमें बताया गया है कि मिशेल के वकील ने जमानत के लिए नए सिरे से याचिका दायर की है। दैनिक जागरण ने इस खबर को, दूसरे रक्षा सौदों में भी मिशेल को मिले थे पैसे- ईडी, शीर्षक खबर छापी है इसके साथ, भाजपा ने सौदे से संबंधित पत्र होने का दावा किया और अंदर के पन्ने पर वाड्रा के करीबी के खिलाफ गैर जमानती वारंट होने की सूचना दी है पर शीर्षक में भाजपा नेता की कोई चर्चा नहीं है। किसी अखबार में यह खबर भी नहीं दिखी कि नेट पर भाजपा नेता वाली खबर गलत है।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। जनसत्ता में रहते हुए लंबे समय तक सबकी ख़बर लेते रहे और सबको ख़बर देते रहे। )