वरिष्ठ पत्रकार चंद्र प्रकाश झा का साप्ताहिक स्तम्भ चुनाव चर्चा आज से फिर शुरू हो रहा है। लगभग साल भर पहले, लोकसभा चुनाव के बाद यह स्तम्भ स्थगित हो गया था। मीडिला हलकों में सी.पी. के नाम से मशहूर चंद्र प्रकाश झा को 40 बरस से पत्रकारिता में हैं और 12 राज्यों से चुनावी खबरें, रिपोर्ट, विश्लेषण के साथ-साथ महत्वपूर्ण फोटो भी सामने लाने का अनुभव रखते हैं। सी.पी. आजकल बिहार में अपने गांव में हैं और बिहार में बढ़ती चुनावी आहट और राजनीतिक सरगर्मियों को हम तक पहुँचाने के लिए उनसे बेहतर कौन हो सकता था। तो पाठकों, एक बार फिर स्वागत कीजिए सी.पी. और चुनाव -चर्चा का। दिन पहले की ही तरह रहेगा यानी मंगलवार- संपादक
चंद्रप्रकाश झा
केंद्र में सत्तारूढ़ नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस (एनडीए) का नेतृत्व कर रही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पूर्व अध्यक्ष एवं मोदी सरकार-2 में गृह मंत्री अमित शाह पिछले कई माह से बरकरार कोरोना काल में लगभग अदृश्य रहने के बाद अचानक 7 जून को भीषण गर्मी में बिहार में गज़ब रूप से प्रगट हुए। गजब इसलिए कि वो प्रगट तो भाजपा की चुनावी रैली टाइप के कार्यक्रम में हुए पर शातिराना अंदाज में इस बात पर जोर देते रहे कि इस ‘ डिजिटल रैली ‘ का चुनावी राजनीति से कोई सम्बन्ध नहीं है। पुरानी कहावत याद आ गई– गुड़ से मोहब्बत गुलगुले से परहेज, क्योंकि रैली में उन्होंने दावा किया कि इसी साल निर्धारित बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए मौजूदा मुख्यमंत्री एवम जनता दल यूनाइटेड के प्रमुख नीतीश कुमार के नेतृत्व में दो तिहाई बहुमत से जीतेगा।
रैली इसलिए भी गजब थी कि हिन्दुस्तान के लोगों पहली बार पता चला कि मोदी जी के सपनों के ‘न्यू इंडिया‘ में कोई डिजिटल रैली भी शुरू हो गई है. और वो इसे साकार करने वाले विश्व के पहले प्रधानमंत्री हैं!
दरअसल, कोरोना प्रकोप का सामना करने के नाम पर मोदी जी ने सरकारी टेलीविजन से ‘राष्ट्र के नाम सम्बोधन‘ और उसके विभिन्न प्रचार माध्यमों से प्रसारण के अंतहीन सिलसिले की कड़ी में अचानक 24 अप्रैल की रात 8 बजे पूरे देश में लॉकडाउन की घोषणा करने के चार घंटे के भीतर, बिना किसी तैयारी के उसी अर्धरात्रि से लागू भी करा देने का जो अभूतपूर्व कदम उठाया उसकी वजह से रैली,सभा,संगोष्ठी के आयोजन पर भी कानूनन रोक है। उस दिन से शुरू लॉक डाउन अभी तक औपचारिक रूप से खत्म नहीं हुआ है। भाजपा की यह डिजिटल रैली, वर्ष 2005 में केंद्र में यूनाइटेड प्रोग्रेसिव अलायंस (यूपीए) की मनमोहन सिंह सरकार-1 में बने आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत लागू इस लॉकडाउन में रैली के आयोजन पर कानूनन रोक की ‘तोड़‘ है !
बिहार जनसंवाद नाम की रैली में अमित शाह के 45 मिनट के भाषण में बोल थे, “ये रैली राजनीतिक दल के गुणगान के लिए नहीं है। ये जनता को कोरोना के खिलाफ जंग में जोड़ने और उसके हौसले बुलंद करने के लिए है। जो वक्रदृष्टा लोग इसमें भी राजनीति देखते हैं, मैं उन्हें कहता हूं कि दिल्ली में बैठकर मौज करने के बजाय, पटना और दरभंगा की जनता को जोड़ने के लिए एक वर्चुअल रैली ही कर लेते “.
शाह जी ने रैली में मोदी जी की पहली और दूसरी सरकार की उपलब्धियों और बिहार के विकास में योगदान का बखान किया। उन्होंने बताया कि भाजपा के मौजूदा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा की पहल पर देश भर में इसी तरह की 75 रैलियां आयोजित की जाएंगी, जिनका मकसद लोगों को कोरोना के खिलाफ जंग में आत्मनिर्भर बनाने के मोदी जी के आह्वान के लिए तैयार करना है। उनका कहना था कि भाजपा इन रैलियों से ‘कोरोना योद्धाओं‘ के प्रति लोगों में आत्म विश्वास भरेगी। इस रैली के विरोध में विपक्षी राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव और कार्यकर्ताओ के थाली बजाने के कार्यक्रम पर कटाक्ष कर शाह जी ने कहा कि वो खुश हैं कि ये तो ‘कोरोना योद्धाओं‘ के सम्मान में ताली-थाली बजाने के मोदी जी के आह्वान का समर्थन है।
उन्होंने इसका जिक्र किया कि मोदी सरकार ने कोरोना प्रकोप के बाद देश के विकास के लिए 20 लाख करोड़ रुपये दिये हैं जिसका फायदा बिहार को भी मिलेगा. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने इससे पहले भी बिहार के विकास के लिए सवा लाख करोड़ रूपये दिए। उन्होंने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35 ए हटाने, आतंकियों के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक, तीन तलाक प्रथा खत्म करने, आयुष्मान भारत, एलईडी बल्ब और अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की प्रक्रिया आदि उन सारी बातो का जिक्र किया जो चुनावी रैलियो में की जाती हैं।
शाहजी ने कोरोना के खिलाफ जंग में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी के काम-काज की सराहना कर कहा कि राज्य सरकार ने इस जंग में 8,538 करोड रुप ये खर्च किये और राज्य से बाहर गये माइग्रेंट लेबर के हित मे सभी तरह के कदम उठाये .
भाजपा के प्रदेश नेतृत्व ने पहले घोषणा की थी कि शाह जी अपनी इस डिजिटल रैली से पांच लाख लोगो को सम्बोधित करेंगे जिसके लिये पार्टी के 75725 बूथ, 1100 मंडल और 9 हज़ार सखी केंद्र पर टीवी स्क्रीन लगाये जायेंगे. लेकिन ऐसा तो नज़र नहीं आया . गोदी मीडिया द्वारा चुनावी राजनीति के चाणक्य करार दिये गये अमित शाह की कोरोना काल में चाणक्यागीरी फ़िलहाल तो फ्लॉप ही कही जाएगी।