आज की सबसे बड़ी खबर है, एक टेलीविजन चैनल के स्टिंग ऑपरेशन में उत्तर प्रदेश के तीन मंत्रियों के निजी सचिव रिश्वत मांगते पकड़े गए। लखनऊ के सांध्य दैनिक 4 पीएम ने इस बार में कल ही लिखा था, “सीएम साहब! बिना मंत्री की सहमति के निजी सचिव नहीं कर सकते उनके दफ्तर में पैसों का खेल, बर्खास्त कीजिए इन मंत्रियों को।” ऐसे साफ मामले में मंत्रियों पर कार्रवाई की बजाय सचिवों को निलंबित किया गया है। और खबर जो छपी है वह आपके सामने है। पहले तो पूरी खबर जान लीजिए फिर बताता हूं किस अखबार में यह खबर कितनी और कैसे छपी है।
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क की खबर (संपादित) इस प्रकार है, मंत्री ओम प्रकाश राजभर, अर्चना पांडेय और संदीप सिंह के निजी सचिवों की रिश्वत की डील के स्टिंग से सरकार में हडक़ंप। योगी सरकार के माथे अब तक का सबसे बड़ा कलंक लगा है। एबीपी न्यूज चैनल ने स्टिंग ऑपरेशन करके साबित कर दिया है कि मंत्रियों के निजी सचिव मंत्रियों के दफ्तर में लाखों रुपए की घूस मांग रहे थे। विपक्ष का आरोप है कि मंत्री के निजी सचिव मंत्री के इशारे पर घूस मांग रहे थे। विपक्ष इसे बड़ा मुद्दा बनाकर मंत्रियों को मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने की मांग कर रहा है। ऐसे समय में जब लोकसभा चुनावों में सिर्फ 100 दिन बचे हैं उस दौर में यह साबित हो जाना कि मंत्रियों का दफ्तर घूसखोरी का अड्डा बना हुआ है, सरकार के लिए बहुत बड़ा झटका साबित हुआ है। अगर इन मंत्रियों को मंत्रिमंडल से बाहर का रास्ता नहीं दिखाया गया तो सीएम योगी दावे से नहीं कह सकते हैं कि उनकी सरकार में भ्रष्टाचार नहीं हो रहा है।
दरअसल, लंबे समय से यह चर्चा थी कि सरकार में शामिल कई मंत्री अपने निजी सचिवों से डील करा रहे हैं और लाखों-करोड़ों का अवैध कारोबार चला रहे हैं। कई बार यह बात अखबारों की सुर्खियां बनीं मगर प्रदेश में राजनीतिक रूप से जो हालात बने हुए हैं उसमें किसी भी मंत्री को बाहर का रास्ता दिखाने की हिम्मत नेतृत्व नहीं जुटा पाया जिसका नतीजा था कि लगातार इन लोगों की अवैध वसूली के कारोबार को पंख लगते चले गए और खेल चलता चला गया। इस बात को लेकर नाराजगी बढ़ती जा रही है कि अपनी सरकार में भी कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों के काम नहीं हो रहे हैं।
स्टिंग में तीन मंत्रियों – पिछड़ा वर्ग एवं दिव्यांग सशक्तीकरण मंत्री ओम प्रकाश राजभर, खनन राज्यमंत्री अर्चना पांडेय एवं बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री संदीप सिंह के निजी सचिव करोड़ों रुपये के ठेके और पट्टे के लिए रिश्वत मांगते दिख रहे हैं। मंत्री ओम प्रकाश राजभर के विधानभवन स्थित कक्ष में उनके निजी सचिव ओम प्रकाश कश्यप कई विभागों के काम के लिए रिश्वत मांग रहे हैं। साथ ही वे यह भी दावा कर रहे हैं कि वह किसी भी विभाग का काम करा सकते हैं। वहीं खनन राज्यमंत्री के निजी सचिव एसपी त्रिपाठी सहारनपुर में रेत के मामले में जिलाधिकारी से स्वीकृति दिलाने के साथ ही आबकारी के एक अन्य काम के लिए हामी भर रहे हैं।
माध्यमिक शिक्षा राज्यमंत्री संदीप सिंह के कक्ष में उनके निजी सचिव संतोष अवस्थी ने किताबों के ठेके का सौदा किया। उन्होंने दावा कि उसे सिर्फ कागजात चाहिए, बाकी काम वह करा देंगे। उन्होंने यह भी कहा कि रुपये बाहर ही देने होंगे। खबर आपके सामने है, कैसी है और आपके अखबार ने क्या, कितना, कैसे छापा देखिए और अपने अखबार को जानिए। इसी से आप तय कर पाएंगे कि अपने अखबार पर आपको कितना भरोसा करना है और इसकी खबरों के आधार पर क्या तय करना है। आइए, देखें दिल्ली के दैनिक अखबारों ने इस खबर को कैसे, कितना छापा है।
नवोदय टाइम्स में यह खबर पहले पन्ने पर सिंगल कॉलम है। शीर्षक है, स्टिंग में रिश्वत मांगते पकड़े गए यूपी के 3 मंत्रियों के निजी सचिव। खबर में बताया गया है कि मुख्यमंत्री ने तीनों मंत्रियों के निजी सचिव ओपी कश्यप, एसपी त्रिपाठी और संतोष अवस्थी को तत्काल निलंबित कर इनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए हैं। मामले की जांच के लिए एडीजी राजीव कृष्ण की अध्यक्षता में एसआईटी का गठन करने का निर्देश दिया गया है। इसके अलावा, आईजी, एसटीएफ और सतर्कता अधिष्ठान के वरिष्ठ अधिकारी समेत विशेष सचिव आईटी राकेश वर्मा को जांच टीम में सदस्य नियुक्त किया गया है। मुख्यमंत्री ने एसआईटी को 10 दिन के अंदर मामले की जांच कर रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा है।
अमर उजाला में यह खबर पहले पेज पर दो कॉलम में है। शीर्षक है, “स्टिंग ऑपरेशन : मंत्रियों के तीन निजी सचिव निलंबित।” उपसीर्षक है, सीएम सख्त, दर्ज होगा केस, एसआईटी गठित, 10 दिन में में मांगी रिपोर्ट। हिन्दुस्तान में यह खबर पहले पन्ने पर सिंगल कॉलम है। शीर्षक है- यूपी के तीन मंत्रियों के निजी सचिव निलंबित। पहले पन्ने पर सूचना है, मंत्री ने पल्ला झाड़ा। यह खबर पिछला वर्ग कल्याण मंत्री ओमप्रकाश राजभर से संबंधित है। इसके मुताबिक मंत्री ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर ओपी कश्यप से पल्ला झाड़ लिया है और कहा है कि पीएस सरकारी कर्मचारी होते हैं और इनके विभाग बदलते रहते हैं।
कुल मिलाकर, स्थिति यह है कि खबर तो दबा ही दी गई है किसी ने यह नहीं कहा कि मंत्रियों के निजी सचिव की क्या मजाल जो उनके नाम पर पैसे मांगे या उनके मातहत रहते हुए उनकी जानकारी के बिना पैसे मांगें और रिश्वत लेकर काम कराने का भरोसा दें। अगर वाकई ऐसा है तो भी यह संबंधित मंत्री की नालायकी है कि उनका सचिव इतना तेज है कि उन्हें पता ही नहीं है और वह पैसे बना रहा है। ऐसे लोगों को मंत्री रहने का कोई हक नहीं है और उन्हें खुद पद छोड़ देना चाहिए या मुख्यमंत्री को हटा देना चाहिए। पर ऐसा तब होता जब यह सब मुख्यमंत्री की जानकारी में नहीं होता। सबको पता है कि सरकारें क्य़ा और कैसे काम करती हैं। फिलहाल आज के अखबारों में खबर है, देश को लूटने वालों के खिलाफ बंद नहीं होगी लड़ाई। समझिए कि कौन कैसी लड़ाई लड़ रहा है और कौन देश को लूट या लुटा रहा है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। जनसत्ता में रहते हुए लंबे समय तक सबकी ख़बर लेते रहे और सबको ख़बर देते रहे। )