कपिला कीमत ईंधन की, उल्टी वाकी धार
महंगा सौ के नीचे था, सस्ता सौ के पार
दो दिनों से बड़ा हल्ला मचा हुआ है साहब, सरकार ने पैट्रोल के दाम कम कर दिए, कम ही नहीं कर दिए, बल्कि आलोचकों के मुहं पर ताला लगाने के लिए पूरे 8 रुपये पैट्रोल पर और 6 रुपये डीजल पर घटा दिए। सरकार के मन की मर्जी है साहब। ना आपको ये पता है कि जब महंगा किया था तो क्यों किया था, और ना ये पता है कि अब सस्ता किस तर्क से, किस हिसाब से किया है। इसे, ”तेरा तुझको अर्पण, क्या लागे मेरा….” के भाव से ही लेना चाहिए। पैट्रोल कोई निजी मामला तो है नहीं, माने जनता का मामला नहीं है, अडानी – अम्बानी का मामला हो तो हो, सरकारी मामला है, सरकार की जब मर्जी आएगी, महंगा करेगी, जब मर्जी आएगी, सस्ता करेगी। आप क्या कर लीजिएगा। बहुत बुरा लग रहा है तो पाकिस्तान चले जाइए। इंडिया में रहना है, तो जय श्री राम कहना होगा, और पैट्रोल की कीमत पर कुछ नहीं कहना होगा।
लेकिन कहने को फिर भी बहुत कुछ बचता है। दरअसल भक्तों को बहुत दिनों बाद धर्म, शिवलिंग, मंदिर, आदि आदि से हटकर कुछ कहने का मौका मिला है। तो कैसे छोड़ दें। सोशल मीडिया पर सरकार को धन्यवाद की बाढ़ आ गई है, भक्त लोग ऐसे उचक-उचक कर धन्यवाद देते दिख रहे हैं, जैसे अब जो पैसे सैंट्रल एक्साइज़ की मद में आएंगे, उससे मोदी और शाह अपने पंद्रह लाख के वादे को पूरा करने वाले हों। सच तो ये है कि सरकार ने, खासतौर पर मोदी जी ने, अपने छप्पन इंच के सीने पर बहुत भारी पत्थर रख कर, इस एक्साइज़ ड्यूटी को कम किया है, आपको पता नहीं है कि इस एक्साइज़ ड्यूटी को कम करके सरकार को कितना बड़ा नुक्सान झेलना पड़ रहा है। यहां तो सब ठीक है, जो बात मेरी समझ में नहीं आ रही वो ये कि अब भक्त सरकार को धन्यवाद करते हुए राज्य सरकारों से, खासतौर पर गै़र भाजपा शासित राज्य सरकारों से कहा जा रहा है कि वो पैट्रोल के टैक्स में कमी करें। अभी केरल के एक दोस्त बता रहे थे कि केरल में भक्तों ने राज्य सरकार से मांग की कि वे भी मोदीनीत केन्द्र सरकार की तर्ज पैट्रोल की कीमतों में टैक्स को कम करे।
दिक्कत इसमें ये है कि केन्द्र सरकार ने जो एक्साइज़ ड्यूटी घटाई है, वो वही पैसा है जो केन्द्र सरकार और राज्य सरकार के बीच में बंटता है। इसमें से 67 प्रतिशत पैसा केन्द्र सरकार को होता है, अैर 33 प्रतिशत राज्य सरकार का होता है। ऐसे में जब केन्द्र सरकार ने एक्साइज़ ड्यूटी घटाई तो राज्य सरकार का हिस्सा अपने आप घट गया, बल्कि केन्द्र सरकार का जो हिस्सा कम हुआ, उससे कहीं ज्यादा राज्य सरकार का हिस्सा घटा। अब ऐसे में राज्य सरकार क्या और कितना घटा सकती है। पैट्रोल की कीमतों में जो टैक्स का इजाफा हुआ है वो केन्द्र सरकार ने किया है, इसलिए जो घटाया है, या घटाना है, वो भी केन्द्र सरकार को घटाना है। अभी पिछले दिनों राज्य सरकार ने जब अपने टैक्स को घटाया था उसे बाद बढ़ाया नहीं था, जबकि केन्द्र सरकार ने 137 दिन तक पैट्रोल की कीमतों को नहीं बढ़ाया और फिर उत्तर प्रदेश चुनाव के बाद, हर रोज़ 80 पैसे की दर से पैट्रोल की कीमतें ऐसी बढ़ाई की वो सौ के पार हो गई। मेरे प्यारे भक्तों, साल 2014 में जो एक्साइज़ ड्यूटी 9 रुपये 48 पैसे थी, वो आज बढ़कर 32 रुपये 9 पैसे हो गई है। हम पक्का धन्यवाद, थैंक यू और सायोनारा भी कह देंगे मोदी सरकार को, सिर्फ इतना कर दो कि पैट्रोल पर एक्साइज़ ड्यूटी को फिर से 9 रुपये 48 पैसा करा दो।
बाबा रामदेव जो 35 रुपये पैट्रोल दिलवा रहे थे, आज इसी सवाल पर भड़क जाते हैं। योग सिखाते-सिखाते रुचि सोया के मालिक बनने और पवनहंस के मालिक बनने की कोषिष करने वाले बाबा रामदेव को अपनी अंटी से तो पैट्रोल का पैसा भरना है नहीं। उन्हें खाक फर्क नहीं पड़ता कि पैट्रोल 107 रुपये लीटर है या 701 रुपये लीटर, बल्कि अब तो पवनहंस का मालिक बनने के बाद, वैसे भी कोई फर्क नहीं पड़ने वाला, जहां जाएंगे उड़ कर जाएंगे। योग करके भले ही ना उड़ पाए हों, जोड़-जुगाड़ करके बहुत बाबा ने बहुत उंची उड़ान भरी है। सुना था योग से माया घटती है, चित्त आध्यात्म की ओर लगता है। यहां फिर से उल्टा हो रहा है, बाबा का योग, माया को चिपटाने के काम आता दिखता है, बाबा ने योग का मतलब ही जमा मान लिया लगता है, सो जमा किए जाते हैं। खै़र बात पैट्रोल की घटती कीमतों की हुई थी। देखो भाई लोगों मुझे कतई नहीं पता है कि सरकार ने ये जो अभी एक्साइज़ ड्यूटी में कमी की है, वो किसलिए की है, और कब तक ये कमी बरकरार रहेगी। मेरी सलाह मानो तो तुम अब भी यही मान कर चलो कि पैट्रोल की कीमत 117 रुपये लीटर है। तो अब जो पैसा तुम प्रति लीटर के हिसाब से दे रहे हो, उसके बाद जो बच जाए, उसे भविष्य में बढ़ने वाली कीमतों के नाम पर जमा करते रहो, इस तरह जो तुम जमा करोगे, वो सरकार कुछ दिनो बाद तुम से ले लेगी।
बाकी नज़र बनाए रखो, अभी सरकार की आलोचना करने वालों को पुलिस पकड़ने का अभियान चलाए हुए है, हो सकता है कि कुछ दिनों बाद सुप्रीमकोर्ट ये फैसला दे दे, कि जिस किसी ने सरकार को धन्यवाद नहीं कहा उसे अभद्रता कहा जाएगा, और सरकार हर उस व्यक्ति की पहचान और धर-पकड़ शुरु कर दे, जो रोज सुबह उठकर और रात को सोते समय सरकार को धन्यवाद ज्ञापन ना करे। बाकी पैट्रोल की कीमतों का क्या है, आज घटी हैं, कल बढ़ जाएंगी, इसकी इतनी चिंता मत कीजिए।