‘युवा हल्ला बोल’ के राष्ट्रीय संयोजक अनुपम ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर रोज़गार के सवाल पर कई सकारात्मक सुझाव दिए हैं। युवाओं के डिजिटल प्रोटेस्ट के बाद देशभर में रोज़गार को लेकर चर्चा छिड़ गई है। गुरुवार को दिनभर ‘मोदी रोज़गार दो’ ट्विटर पर शीर्ष ट्रेंड करता रहा और सरकार से लगातार सवाल पूछे गए। लाखों की संख्या में ट्वीट करके बेरोज़गार युवाओं ने अपनी पीड़ा व्यक्त की और सरकार से सुनवाई की मांग की।
प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में सभी रिक्त सरकारी पदों का विज्ञापन नेिकालकर 9 महीने के अंदर भरने, अटकी पड़ी भर्तियों के लिए समयबद्ध कलेंडर जारी करने, नौकरी के बड़े स्रोत सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों की बिक्री पर बंद करने और भारत सरकार में संयुक्त सचिव और निदेशकों के पद पर की जा रही लेटरल एंट्री पर रोक लगाने की मांग की गई है।
‘युवा हल्ला बोल’ का प्रधानमंत्री को पत्र
माननीय प्रधानमंत्री
श्री नरेन्द्र मोदी जी
विषय: रोज़गार के सवाल पर युवाओं में व्याप्त गहरा असंतोष और आक्रोश
भारत एक युवा देश है जहाँ की करीब 70% जनसंख्या 35 वर्ष से कम आयु की है। आप स्वयं इस ‘डेमोग्राफिक डिविडेंड’ का ज़िक्र करते हुए भारतीय युवाओं की क्षमता और असीमित संभावनाओं पर प्रकाश डालते रहे हैं। लेकिन ये आप भी जानते होंगे कि युवाओं को रोज़गार के पर्याप्त अवसर न मिलें तो भारत के डेमोग्राफिक डिविडेंड को डेमोग्राफिक डिज़ास्टर बनते देर नहीं लगेगी।
आज की रिकॉर्डतोड़ बेरोज़गारी हमारे देश के सामने एक बड़ी चुनौती है। सालाना दो करोड़ रोज़गार के वादे पर सत्ता में आयी आपकी सरकार के परफॉर्मेंस से हर कोई अवगत है। इसलिए मैं अभी इसपर बहुत बात करने की बजाए सुधार की दिशा में कुछ सकारात्मक प्रस्ताव आपके समक्ष रखना चाहता हूँ।
आपसे पत्राचार का मुख्य उद्देश्य सरकारी नौकरियों के लिए होने वाली भर्ती परीक्षाओं से जुड़ा है। आये दिन देश के किसी न किसी कोने में शिक्षित बेरोज़गार युवा अपने अधिकार के लिए सड़क पर होते हैं। कहानी किसी भी राज्य की हो लेकिन इन सभी प्रदर्शनों में मुख्यतः रोज़गार के पर्याप्त अवसर और समयबद्ध भर्ती प्रक्रिया की ही मांग होती है। एक आंकड़ें के मुताबिक साल 2018 में ही देशभर में 24 लाख से ज़्यादा रिक्त सरकारी पद थे। बहुत संभव है कि आज ये आँकड़ा और भी बढ़ गया हो। इन खाली पदों के लिए भर्ती निकले भी तो अभ्यर्थी प्रक्रिया के जाल में ही सालों साल तक फंसे रह जाते हैं। अपनी पढ़ाई करने की बजाए देश के बेरोज़गार युवा कोर्ट कचहरी नेता पत्रकारों के चक्कर लगाने को मजबूर हैं।
आपसे विनम्र निवेदन है कि देशहित में निम्नलिखित सुझावों को मानकर युवाओं में व्याप्त आक्रोश, असंतोष, अंधकार और निराशा का निराकरण करें।
- सभी रिक्त सरकारी पदों के लिए तुरंत विज्ञापन निकालकर 9 महीने के अंदर नियुक्ति पत्र दें और आवश्यकता के अनुसार सभी विभागों में स्वीकृत पदों की संख्या बढ़ाएं। साथ ही अटकी पड़ी सभी भर्तियां के संबंधित आयोग उनका कैलेंडर जारी करके समयबद्ध ढंग से प्रक्रिया पूरी करे।
- रोज़गार का अधिकार दें ताकि असंगठित क्षेत्र में भी लोगों को काम मिलें जिससे अर्थव्यवस्था मजबूती से पटरी पर टिकी रहे, बेरोज़गारी नामक राष्ट्रीय आपदा से निपटा जा सके और भारत के डेमोग्राफिक डिविडेंड को डेमोग्राफिक डिज़ास्टर न बनने दिया जाए
- दशकों की मेहनत से खड़े किए गए उन सार्वजनिक उपक्रमों, बैंकों और राष्ट्रीय संपत्तियों को बेचना बंद करें जो देश के लिए आत्मनिर्भरता और युवाओं के लिए नौकरी का बड़ा स्रोत हैं
- भारत सरकार में संयुक्त सचिव और निदेशकों के पद पर की जा रही लेटरल एंट्री पर रोक लगाइए जिस कारण से हर साल सरकारी भर्तियों में कमी की जा रही है और आयोग द्वारा चयनित अधिकारियों के सेवा अवसर में भी कटौती होगी
मुझे पूर्ण विश्वास है कि यदि आपको भारत और इसके भविष्य की चिंता है तो युवाओं से जुड़े इन सवालों को पूरी गंभीरता से लेंगे। आपकी राजनीतिक समझ और सूझबूझ की तारीफ सिर्फ आप ही नहीं, कई लोग करते हैं। ऐसे में उम्मीद करना चाहिए कि आंदोलित भारतीय युवाओं के असंतोष और आक्रोश को आप समझेंगे और एक सकारात्मक दृष्टि से इन मांगों पर उचित कार्रवाई भी करेंगे।
अनुपम
राष्ट्रीय संयोजक
‘युवा हल्ला बोल’