एक महीने पहले प्रधानमंत्री मोदी द्वारा दायर चुनावी हलफनामा में अपनी संपत्ति के बारे में जो जानकारी दी थी, उसे चुनौती देते हुए पत्रकार साकेत गोखले ने सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर कर मोदी को उसमें पार्टी बनाते हुए सही जानकारी मांगी थी. इस याचिका के जवाब में सर्वोच्च न्यायालय की रजिस्ट्री की ओर से उनको नोटिस भेजा गया है.
Why has Narendra Modi been made a party to a case against Narendra Modi? Supreme Court Registry asks petitioner@narendramodihttps://t.co/3kJpLSAK7u
— Bar and Bench (@barandbench) May 18, 2019
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अपने चुनावी हलफनामों में कथित तौर पर अपने स्वामित्व वाली संपत्तियों के बारे में जानकारी छिपाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने वाले पत्रकार साकेत गोखले को सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री की ओर से मिले नोटिस में पूछा गया है कि उन्होंने इस मामले में प्रधानमंत्री मोदी को दूसरी पार्टी यानी प्रतिवादी क्याें बनाया है?
अपने फेसबुक पोस्ट में याचिकाकर्ता साकेत गोखले ने कहा है कि उन्हें रजिस्ट्री द्वारा यह स्पष्ट करने के लिए कहा गया है कि पीएम मोदी इस याचिका में पक्षकार क्यों बनाये गए हैं?
महीने भर पहले दायर की गई अपनी जनहित याचिका में साकेत गोखले ने आरोप लगाया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वर्ष 1998 से गुजरात सरकार की एक संदिग्ध भूमि आवंटन नीति के लाभार्थी थे, जिसके तहत विधायकों को कम कीमत पर सार्वजनिक जमीन को आवंटित किया गया था.
उनका कहना है कि दोषी या निर्दोषी निर्धारण करने की शक्ति माननीय न्यायाधीशों के पास है. किन्तु यहाँ यह रजिस्ट्री (जिसकी जिम्मेदारी सुनवाई के लिए केस फाइल करने और सूचीबद्ध करने की ज़िम्मेदारी है) ने उनसे सवाल किया कि पीएम मोदी को संबंधित जनहित याचिका में पक्षकार क्यों बनाया गया है?
अपने याचिका के बारे में उनका कहना है कि पीएम मोदी द्वारा कथित झूठे हलफनामे भारत के संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत उम्मीदवार के बारे में जानकारी रखने के नागरिक के अधिकार का उल्लंघन है और इस जनहित याचिका में प्लॉट नंबर 411 से जुड़ी कथित अनियमितताओं और पीएम मोदी की संपत्ति और आय के स्रोत की सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में विशेष जांच टीम द्वारा जांच की मांग की गई है.
साकेत गोखले का कहना है कि “मेरे द्वारा जनहित याचिका दायर करने के बाद सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री ने मुझे उन त्रुटियों की एक सूची दी है, जिन्हें स्पष्ट करने की आवश्यकता है और अब यहां एक झटका लगा है – सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री ने अचानक आपत्तियों का दूसरा सेट भेजा है जिसमें मुझे स्पष्ट करने के लिए कहा गया है कि “माननीय प्रधानमंत्री” को मेरे मामले के लिए पार्टी/प्रतिवादी क्यों बनाया गया है?