भारत में आज़ादी से पहले से ही एक बड़ी समस्या है इंसानों में जात-पात के नाम पर भेदभाव, और आज़ादी के इतने सालों बाद भी यह एक संवेदनशील समस्या बनी हुई है। आज भी लोग दलित समाज को बराबर का दर्जा देने में कतराते हैं। ऐसा एक मामला गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा स्थापित पश्चिम बंगाल के ऐतिहासिक विश्वविद्यालय विश्व भारती विश्वविद्यालय (वीबीयू) से सामने आया है। जहां एक एक छात्रा सोमनाथ सो ने एक प्रोफेसर पर आरोप लगाया है कि प्रोफेसर ने उसके साथ बातचीत करने से मना करते हुए उसे “अशुद्ध” कहा। छात्रा के आरोपों के आधार पर पुलिस ने प्रोफेसर सुमित बसु के खिलाफ शिकायत दर्ज कर ली है।
छात्रा ने एक प्रोफेसर पर आरोप लगाया…
सोमनाथ सो ने न्यूज एजेंसी पीटीआई को बताया कि शांतिनिकेतन के स्यांबती इलाके में एक चाय की दुकान पर उसकी मुलाकात प्रोफेसर सुमित बसु से हुई। सोमनाथ सो ने प्रोफेसर समय बसु पर आरोप लगाया कि उस बसु ने मुझे दलित कहा और कहा कि वह मुझसे बात नहीं करना चाहते। सोमनाथ सो ने पुलिस को दिए अपने शिकायत पत्र में कहा कि प्रोफेसर ने उससे कहा था कि अगर मैं अनुसूचित जाति (SC) समुदाय के किसी व्यक्ति से बात करूंगा तो अपना सम्मान खो दूंगा।
प्रोफेसर ने एक छात्रा पर आरोप लगाया…
बता दें की सुमित बसु संगीत भवन में मणिपुरी नृत्य के शिक्षक है उन्होंने भी पुलिस में अपनी ओर से शिकायत दर्ज कराई है। जिसमे उन्होंने कहा कि सोमनाथ सो ने उसके साथ दुर्व्यवहार किया और उन्हें परेशान किया। सुमित बसु ने अपनी शिकायत में दावा किया है कि जब वह घर लौट रहे थे तो उन्हें सोमनाथ सो ने रोका। उनका आरोप है कि सोमनाथ ने उनके साथ मारपीट और गाली-गलौज की।
निलंबन के लिए सुर्खियों में रहा है विश्वविद्यालय..
आपको बता दें कि केंद्रीय विश्वविद्यालय हाल ही में तीन छात्रों को “अव्यवस्थित आचरण” (disorderly conduct) के लिए बर्खास्त किए जाने के बाद सुर्खियों में था। इस फैसले के कारण बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन भी हुए और कुलपति (Vice Chancellor) के आवास के बाहर धरना दिया गया। हालांकि, बाद में कलकत्ता उच्च न्यायालय ने तीन छात्रों को कक्षाओं में फिर से शामिल होने की अनुमति दी थी। इसके बाद कैंपस में स्थिति सामान्य हो गई। विश्वविद्यालय के प्रोफेसर सुदीप्तो भट्टाचार्य ने भी पिछले सप्ताह कुलपति के आवास के पास धरने पर बैठे छात्रों के विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया था। जिसके बाद विश्वविद्यालय ने प्रोफेसर सुदीप्तो भट्टाचार्य को नोटिस भेजा और विश्व भारती यूनिवर्सिटी फैकल्टी एसोसिएशन के पदाधिकारी भट्टाचार्य को तीन दिनों के भीतर जवाब देने को कहा है।
किसका आरोप सही हैं किसका गलत यह तो पुलिस जांच में ही तय होगा, लेकिन इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता की भारत में अनुसूचित जाति या अनुसूचित जाति की स्थिति कितनी खराब है। लोग कितना भी पढ़ ले लेकिन आज भी मानसिकता 72 साल पहले जैसे ही है। कुछ गांवों में तो हाल आज भी ऐसे है की उन्हें मंदिरों में जाने की इजाज़त नही है। ऊंची जाति वाले लोग उनके बगल में बैठने से पहरेज़ करते है। दलित लड़कियों के साथ रेप किए जाते हैं। लेकिन यह सच की हम एक ऐसे समाज का हिस्सा है जहां हमारे जैसे ही एक इंसान को अशुद्ध माना जाता है।