सावधान-सिर झुकाओ-होशियार, ‘थानाधिराज’ पधार रहे हैं…

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आपने नेताओं के विजय जुलूस देखे होंगे, चुनाव के रोड शो देखे होंगे, विसर्जन और धार्मिक जुलूस देखे होंगे – लेकिन आपने कभी भी किसी पुलिसकर्मी का एक थाने से दूसरे थाने ट्रांसफर होकर जाने का रोड शो या जुलूस नहीं देखा होगा। तिस पर भी ये अगर लॉकडाउन के दौरान, कोरोना संकट में आयेजित हो और यूपी के किसी ज़िले की किसी तहसील के किसी थाने का कोई थानेदार – किसी बाहुबली नेता की तरह रोड शो में दबंगई से बैठा दिखाई दे। उत्तर प्रदेश में अंबेडकरनगर जिले में एक थानेदार की विदाई में वो सब हुआ, जो किसी बाहुबली नेता के चुनाव प्रचार में होता है। बसखारी थाने के थानाध्यक्ष मनोज सिंह का तबादला, दूसरे थाने में हुआ तो बाक़ायदा उनकी विदाई रोड शो में की गई। इक़बाल क़ानून का और उसकी वर्दी का नहीं बल्कि थाना अध्यक्ष का दिखाई दिया। गाड़ियों का लंबा काफ़िला…साहब को एक थाने से दूसरे थाने छोड़ने निकल पड़ा?

कहानी का प्रीक्वल

अंबेडकरनगर ज़िले में एक ब्लॉक है बसखारी और वहां के थानाध्यक्ष थे मनोज सिंह। मनोज सिंह के ख़िलाफ़ टांडा सीट से बीजेपी की एमएलए संजू देवी ने बाक़ायदा अभियान चला रखा था। संजू देवी का आरोप था कि थानाध्यक्ष मनोज सिंह अवैध वसूली में लगातार लिप्त हैं। कार्रवाई के लिए मांग लंबे समय से ज़ोर पकड़ती ही जा रही थी और फिर विधायक महोदया भी सत्ताधारी पार्टी से हैं। एक दिन संजू देवी थाने पहुंची और कार्यकर्ताओं के साथ धरने पर बैठ गई। तो रिश्वतखोरी-अवैध वसूली के आरोपों में थानाध्यक्ष महोदय का ट्रांसफर बसखारी से जैतपुर थाना कर दिया गया। कुछ सिपाहियों और दरोगा का भी तबादला हुआ।

कहानी थानाधिराज के रोड शो की

यूपी पुलिस की 112 नंबर की इमरजेंसी रिस्पांस गाड़ी

बीजेपी एमएलए का तो थानाध्यक्ष क्या ही कर सकते थे, लेकिन ये कैसे बर्दाश्त किया जाता कि बिना शक्ति प्रदर्शन के वो इलाके से चले जाते। तो पूरा रोड शो का स्वांग रचा गया। रिश्वतखोरी के आरोप में हटाए गए एसओ साहब, एक खुली जीप में बैठे – जो फूलों से सजी थी। ऊपर पीछे, 3 सिपाही बिल्कुल 26 जनवरी की परेड की सलामी के अंदाज़ में खड़े थे। क्या मास्क और क्या सोशल डिस्टेंसिंग..जिसके सिर पर थानाधिराज का हाथ हो – उसका कोरोना क्या बिगाड़ लेगा। काफ़िले में यूपी 112 नंबर की गाड़ी भी शामिल थी, जो कि यूपी पुलिस की इमरजेंसी मैनेजमेंट सिस्टम की गाड़ी है। जी, सही समझ रहे हैं..कोरोना के समय में बड़ी अहमियत की गाड़ी और कॉलिंग नंबर है। आगे-पीछे न जाने कितनी गाड़ियों का रेला और सबसे आगे, मोटरसाइकिल पर कुछ और लोग, जिनके बारे में नहीं पता कि वे पुलिसकर्मी ही हैं कि नागरिक – वो ऐसे चल रहे थे, जैसे कि किसी राष्ट्राध्यक्ष के काफ़िले के आगे मोटरसाइकिल सवार सुरक्षाकर्मी चलते हैं।

थानाध्यक्ष की खुली जीप में सवार चौकस सिपाही

हालांकि इसी देश में कई बार ये भी हुआ है कि किसी ईमानदार अधिकारी को हटाए जाने पर लोगों ने विरोध प्रदर्शन या अधिकारी का सम्मान किय़ा है। लेकिन अवैध वसूली के आरोप में तबादला किए गए पुलिस अधिकारी के नेताओं की तरह रोड शो का ये पहला ही मामला है। आप तस्वीरों को या वीडियो को देखें, तो आपके दिखेगा कि कैसे थानाध्यक्ष मनोज सिंह – अभयदान जैसी मुद्रा में जीप में बैठे हैं और लगभग सलामी वाला अंदाज़ लिए चले जा रहे हैं। उनके आगे पीछे दर्जन भर गाड़ियों का काफ़िला है।

कार्रवाई करनी ही पड़ेगी न

समय है कोरोना संकट का, न तो ये रोड शो किसी पुलिस कोड का अनिवार्य हिस्सा है और न ही इसमें कोई सोशल डिस्टेंसिंग थी – मास्क का इस्तेमाल और तो और इस समय पुलिस पर काम का दबाव अलग है। वीडियो लोगों ने शूट किया, वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और फिर पुलिस महकमे में हल्ला मचा। एएसपी अवनीश कुमार मिश्र ने जांच कराने की बात कही, को एसपी आलोक प्रियदर्शी ने कहा कि मनोज सिंह को सस्पेंड कर दिया गया है। शुरुआती जांच में पर छह पुलिसकर्मियों की निशानदेही कर के, उनको लाइन हाजिर किया जा रहा है। इन पुलिसकर्मियों पर महामारी एक्ट के तहत मामला दर्ज होगा।

धानाध्यक्ष का ‘रोड शो’

लेकिन कार्रवाई से सवाल नहीं ख़त्म होते

यूपी पुलिस के आला अधिकारियों ने हमेशा की तरह कार्रवाई यानी कि लाइन हाज़िर करना, सस्पैंशन और जांच चल रही है कह के, मामले के ख़त्म हो जाने की घोषणा सी कर दी है। लेकिन क्या इससे वो गंभीर सवाल ख़त्म हो जाने चाहिए, जो इस पूरी घटना के पीछे के कारणों तक ले जाते हैं? सवाल ये है कि आख़िर कैसे पुलिसकर्मी या अधिकारी ख़ुद को क़ानून और साधारण अनुशासन से भी ऊपर मानने लगे हैं? सवाल ये कि आख़िर किसी पुलिस अधिकारी को थाने के अंदर से सड़क तक, शक्ति प्रदर्शन की ज़रूरत क्यों है? आख़िर कैसे किसी पुलिसकर्मी का दुस्साहस होता है कि वह गरीब जनता की ज़रूरत में तो उसके दर तक, कभी भी समय पर न पहुंचे लेकिन इमरजेंसी सर्विस की 112 नंबर की गाड़ी को अपने रोड शो में सड़क पर किराए का वाहन बना डाले। हालांकि हम बस गनीमत मान रहे हैं कि इस रोड शो में नारे नहीं लगे, लेकिन कुछ दिन बाद वैसा भी कुछ हो – तो आगे क्या होने का इंतज़ार किया जाएगा?


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