डॉ. प्रवीण तोगडि़या, जो बरसों विश्व हिंदू परिषद का अंतरराष्ट्रीय चेहरा रहे, 32 साल संगठन में बिताने के बाद जब उससे बाहर कर दिए गए हैं, तो मोदी सरकार के खिलाफ अमदाबाद से आज मोर्चा खोलने जा रहे हैं। तीन दशक तक अपने संठन के माध्यम से सडकों पर धूल उड़ाने वाले तोगडि़या का मोर्चा इस बार शांतिपूर्ण होगा। वे अनिश्चितकालीन धरने पर बैठने जा रहे हैं। मुद्दा है कि मोदी सरकार हिंदू विरोधी है और उसने हिंदुओं से किए वादे पूरे नहीं किए। केंद्रीय मांग राम मंदिर निर्माण के लिए एक अध्यादेश लाए जाने की है।
हिंदूवादी राजनीति में तोगडि़या के इस मोर्चे को उत्तेजना के साथ देखा जा रहा है। ”स्ट्रगल फॉर हिंदू एग्जिस्टेंस” पर धरने की सूचना देती प्रेस रिलीज़ में उपानंद ब्रह्मचारी ने तोगडि़या के खिलाफ आरएसएस-बीजेपी-वीएचपी की मिलीजुली साजिश का जि़क्र किया है, कि कैसे उन्हें हराने के लिए हिमाचल के पूर्व गवर्नर वीएस कोकजे का आगे कर दिया गया ओश्र उन्हें अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष चुनवा दिया गया। गुरुग्राम में हुए वीएचपी के इस चुनाव में 192 प्रतिनिधियों ने वोट दिया था। तोगडि़या के प्रत्याशी राघव रेड्डी थे जिन्हें महज 60 वोट मिले जबकि कोकजे 131 वोटों के साथ विजयी रहे। विश्व हिंदू परिषद के पांच दशक के इतिहास में यह पहला चुनाव था।
तोगडि़या के संगठन से निकाले जाने के बाद बजरंग दल और वीएचपी के देश भर के काडरों में आक्रोश है। गुजरात के जूनागढ़ बजरंग दल के सभी नेताओं और सदस्यों ने इस्तीफा दे दिया है। अमदाबाद के कर्णावती में बनिकर भवन पर 10 बजे शुरू हुए धरने में उन्हें भारी समर्थन मिला है।
तोगडि़या के साथ जो हुआ है, उसके बारे में मीडियाविजिल पर पुण्य प्रसून वाजपेयी ने काफी पहले लिख दिया था। वाजपेयी ने 21 दिसंबर 2017 को तोगडि़या की पुस्तक ”सैफरन रिफ्लेक्शंस: फेसेज़ एंड मास्क” पर टिप्पणी में लिखा था, ”…प्रवीण तोगडिया अपनी इस किताब को बाजार में लाने के लिये खुद को विहिप से निकाले जाने का इंतजार कर रहे है क्योंकि माना जा रहा है भुवनेश्वर में 27, 28,29 दिसंबर को होने वाले विहिप के सम्मेलन में तोगडिया को विहिप से बाहर का रास्ता दिखा दिया जायेगा, चूंकि प्रधानमंत्री मोदी को भी लगने लगा है कि उनकी राजनीतिक आंकाक्षा से हिन्दुत्व का सवाल टकराने लगा है और प्रवीण तोगडिया अब उनकी सियासत में फिट बैठते नहीं है तो फिर आरएसएस भी मोदी के इशारे पर चलने को मजबूर हो चला है या फिर उनके सामने बेबस है।”
https://youtu.be/EwmQfDMXqEo
उन्होंने लिखा था, ”एक वक्त गोविन्दाचार्य ने वाजपेयी को मुखौटा कहा। और एक वक्त संजय जोशी गुजरात में ही मोदी को सांगठनिक तौर पर चुनौती देते दिखे। तो दोनों के सितारे कैसे अस्त हुये इसे आज दोहराने की जरुरत नहीं है। बल्कि प्रवीण तोगडिया की किताब जो नये बरस के पहले हफ्ते में बाजार में आयेगी उसके बाद उनकी राह कौन सी होगी इसका इंतजार अब हर किसी को है।”
इस लेख के चार महीने बाद वही हो रहा है जो कहा गया था। तोगडि़या ने आज सुबह ट्वीट किया है:
निकले थे साथ में जंग बाबर से लड़ने,
तूने तो सिकंदर, मुझसे ही जंग छेड़ा।
अब जंग को मजबूर ना कर, सिकंदर।
निकला ही हूँ जंग पर तो अब जीतकर ही आऊँगा
अब तू ही खाख छान मार
पूछ मट्टी से, आज सिकंदर कहाँ है। pic.twitter.com/lHHGN8Evae— Dr Pravin Togadia (@DrPravinTogadia) April 12, 2018
अमदाबाद से शुरू हुई ये जंग कहां जाएगी, कुछ नहीं कहा जा सकता लेकिन गुजरात सरकार ने जिस तरह तोगडि़या को इस आयोजन की अनुमति नहीं दी है, उससे लगता है कि टकराव अभी और बढ़ेगा।