तृणमूल कांग्रेस से पहली बार सांसद चुनी गई महुआ मोइत्रा ने लोकसभा में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण पर चर्चा में बोलते हुए नरेंद्र मोदी सरकार पर देश को फासीवाद की तरफ ले जाने का आरोप लगाया और दावा किया कि राष्ट्रवाद के नाम पर देश को बांटा जा रहा है और वैज्ञानिक सोच को पीछे धकेला जा रहा है.
मंगलवार, 25 जून को संसद में बोलते हुए सुश्री महुआ मोइत्रा ने कहा कि एनआरसी और नागरिकता संशोधन विधेयक के माध्यम से एक समुदाय विशेष को निशाना बनाया जा रहा है.
सुश्री मोइत्रा ने फांसीवाद की ओर जाने के सात संकतों को गिनाते हुए कहा कि इससे बचने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि आज संविधान खतरे में है और हमारा काम संविधान की रक्षा करना है. तृणमूल सांसद ने कहा कि आज भीड़ द्वारा हत्या का सिलसिला चल रहा है.
संसद में अपने पहले भाषण में उन्होंने मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा -देश में लोगों को अलग करने के लिए उन्मादी राष्ट्रवाद फैलाया जा रहा है. दशकों से देश में रह रहे लोगों को अपनी नागरिकता का सबूत देने को कहा जा रहा है. मोइत्रा ने कहा “2014 से 2019 तक घृणा अपराध की संख्या में दस गुना वृद्धि हुई है. इस देश में ऐसी ताकतें हैं जो घृणा अपराध की संख्या को लगातार बढ़ा रही है. चाहे वह राजस्थान में पहलू खान की लिंचिंग हो या बीते दिन झारखंड में तबरेज अंसारी की मॉब लिंचिंग. यह सूची रुक नहीं रही है.”
मोइत्रा ने कहा, “पिछले पांच सालों में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सरकार ने देश को अंधकार में धकेला हुआ है. इस देश को तोड़ा जा रहा है. नागरिकों को उनके घरों से बाहर निकाला जा रहा है और उन्हें अवैध अप्रवासी कहा जा रहा है. जो लोग पिछले 50 साल से इस देश में रह रहे हैं उन्हें अपनी नगारिकता साबित करने के लिए दस्तावेज दिखाने के लिए कहा जा रहा है. यहां मंत्री अपने स्नातक को साबित करने के लिए एक डिग्री तक नहीं दिखा सकते और आप आम लोगों से यह उम्मीद करते हैं कि वह अपनी नगारिकता को साबित करने वाला दस्तावेज आपके सामने रखें. धर्म देखने के लिए नारे और चिह्न का इस्तेमाल किया जा रहा है. कोई चिह्न नहीं हो सकता है राष्ट्रीयता परखने की.”
50 साल से देश में रह रहे लोगों को कागज का टुकड़ा दिखा कर नागरिक होने का सबूत देना पड़ रहा हैः मोहुआ मोइत्रा, एआईटीसी pic.twitter.com/652r2ywDja
— Lok Sabha TV (@loksabhatv) June 25, 2019
मोइत्रा ने बहुत कड़े शब्दों में कहा कि सरकार के हर स्तर में मानवाधिकारों के ख़िलाफ़ घृणा पनपती जा रही है. दिन दहाड़े भीड़ के द्वारा की जा रही लिंचिंग पर चुप्पी है.
महुआ ने कहा, “सांसद आज 2.77 एकड़ जमीन (राम जन्मभूमि) में दिलचस्पी ले रहे हैं. यह सिर्फ 2.77 एकड़ जमीन का मुद्दा नहीं है. ये सारा देश 80 करोड़ एकड़ जमीन को अखंड रखने का प्रश्न है.”
उन्होंने मोदी सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि मीडिया पर नकेल कसी जा रही है. देश की सबसे बड़ी पांच मीडिया कंपनियों पर या तो सीधा या अप्रत्यक्ष तरीक़े से एक व्यक्ति का नियंत्रण है. फ़ेक न्यूज़ के ज़रिए लोगों को गुमराह किया जा रहा है. लगातार झूठ परोसने के लिए इन्ही मीडिया का सहारा लिया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि बुद्धीजीवियों और कला की उपेक्षा की जा रही है और असहमति की आवाज़ों को दबाया जा रहा है. अपने भाषण में महुआ मोइत्रा ने कहा कि एक आदमी के नाम पर सेना का इस्तेमाल किया जा रहा है और राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर एक ख़ास समुदाय से दुश्मनों की पहचान की जा रही है. जबकि पिछले पांच सालों में कश्मीर में आतंकी हमले बढ़े हैं वहीं सेना के जवानों की मौत में 106 फ़ीसदी का इज़ाफ़ा हुआ है.
तृणमूल महिला सांसद ने चुनावी प्रक्रिया पर भी सवाल उठाते हुए चुनाव आयोग की भूमिका और भाजपा द्वारा चुनावी प्रचार में खर्च धन का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि चुनाव प्रक्रिया की स्वायत्ता कम हो रही है.उन्होंने कहा “यह चुनाव व्हाट्सएप और फेक न्यूज के माध्यम से लड़ा गया था. बार-बार झूठ बोला गया.” मोइत्रा ने कहा कि बीजेपी की राष्ट्रीयता नकली है. इस बार का लोकसभा चुनाव किसानों और रोजगार के मुद्दे पर नहीं लड़ा गया. उन्होंने कहा कि ये सभी फांसीवाद की ओर जाने के संकेत हैं.
अपने भाषण के दौरान महुआ मोइत्रा ने रामधारी सिंह दिनकर की कविता की पंक्तियां का उल्लेख किया -“हां हां दुर्योधन बांध मुझे. बांधने मुझे तो आया है, जंजीर बड़ी क्या लाया है?…सूने को साध न सकता है, वह मुझे बांध कब सकता है?”
संसद में पहली बार बोलते हुए उन्होंने सात संकेतों का ज़िक्र किया और अमरीका के ‘होलोकॉस्ट मेमोरियल म्यूज़ियम’ की मेन लॉबी में साल 2017 में प्रदर्शित एक पोस्टर का भी हवाला दिया. महुआ मोइत्रा ने अपने भाषण में शिक्षा बजट में कटौती की कमी का भी उल्लेख किया.
महुआ मोइत्रा ने अपने भाषण का अंत राहत इंदौरी की पंक्तियों से किया -“जो आज जो आज साहिबे मसनद हैं कल नहीं होंगे किराएदार हैं ज़ाती मकान थोड़ी है सभी का ख़ून है शामिल यहां की मिट्टी में किसी के बाप का हिन्दोस्तान थोड़ी है.”
राजनीति में आने से पहले महुआ मोइत्रा लंदन में बहुराष्ट्रीय कंपनी जे पी मॉर्गन में इंवेस्टमेंट बैंकर थीं.2009 में ये नौकरी छोड़ वो भारत आईं और पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2016 में करीमपुर से विधायक चुनी गईं. 2019 में उन्होंने पहली बार पश्चिम बंगाल के कृष्णनगर से लोकसभा का चुनाव लड़ा और जीता.