निजता को टाटा ! सरकार जब चाहेगी करेगी फ़ोन टैप, खंगालेगी कंप्यूटर का डाटा !


कुल मुलाकर देश की दस एजेंसियों को ये अधिकार दिया गया है कि वे किसी के भी कंप्यूटर, फोन या संवाद के किसी भी माध्यम की जाँच कर सकती है।


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डिजिटल युग में कंप्यूटर, लैपटॉप और स्मार्टफोन किसी भी व्यक्ति के व्यक्तित्व का विस्तार हैं। इसमें न सिर्फ उसकी निजी जानकारियाँ होती हैं बल्कि उसके रुचियों और रिश्तों का भी संसार यही हो गया है। यहाँ किसी अन्य के प्रवेश की इजाज़त नहीं है। पहेलियों की तरह के पासवर्ड डालकर वह इस संसार को ज़माने की निगाह से बचाकर रखता है। उसके पास कानूनी कवच भी है। सुप्रीम कोर्ट कह चुका है कि निजता का अधिकार मौलिक अधिकार है।

लेकिन सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को ठेंगा दिखाते हुए एजेंसियों को किसी के भी निजी डिजिटल संसार को तहस-नहस करने का अधिकार दे दिया है। कुल मुलाकर देश की दस एजेंसियों को ये अधिकार दिया गया है कि वे किसी के भी कंप्यूटर, फोन या संवाद के किसी भी माध्यम की जाँच कर सकती है। हैक कर सकती हैं। कॉल रिकार्ड कर सकती हैं। ऐसा करने के लिए एजेंसियों को कानूनी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता था।

20 दिसंबर को गृहसचिव राजीव गौबा के दस्तखत से जारी आदेश के मुताबिक एजेंसियाँ न सिर्फ ईमेल के आदान प्रदान पर नजर रख पाएँगी बल्कि कंप्यूटर में जमा डाटा को भी हैक कर सकेंगी। मोबाइल फोन वगैरह की जासूसी तो सामान्य बात है।      


आदेश के मुताबिक ‘ कंप्यूटर’ में हर तरह का इलेक्ट्रॉनिक, चुम्बकीय, ऑप्टिकल या अन्य उच्च गति डेटा प्रोसेसिंग डिवाइस या सिस्टम शामिल है जो इलेक्ट्रॉनिक, चुंबकीय या ऑप्टिकल आवेग के जोड़ से तार्किक, अंकगणित और स्मृति कार्यों का प्रदर्शन करता है  और जिसमें इनपुट, आउटपुट, प्रोसेसिंग, स्टोरेज  की सुविधा है। साथ ही कंप्यूटर सॉफ़्टवेयर या संचार सुविधा भी इसके तहत आएगी जो कंप्यूटर सिस्टम या कंप्यूटर नेटवर्क में कंप्यूटर से जुड़े या संबंधित हैं।

कंप्यूटर संसाधन मतलब- कंप्यूटर, कंप्यूटर सिस्टम, कंप्यूटर नेटवर्क, डेटा, कंप्यूटर डेटा आधार या सॉफ्टवेयर है।

जिन एजेंसियों को ये अधिकार दिया गया है उनमें इंटेलीजेंस ब्यूरो, नारकोटिक कंट्रोल ब्यूरो, इन्फोर्समेंट डायरेक्टरेट, सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज़, डायरेक्टोरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलीजेंस, सीबीआई, एआईए, कैबिनेट सेक्रेटरियेट (रॉ), डायरेक्टरेट ऑफ सिग्नल इन्टेलीजेंस (जम्मू-कश्मीर, नार्थ ईस्ट और असम) तथा दिल्ली पुलिस कमिश्नर शामिल हैं।

विपक्ष ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया जताई है। कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने इसे निजता के अधिकार का उल्लंघन बताया है तो समाजवादी पार्टी नेता रामगोपाल यादव ने कहा है कि ऐसा फैसला करने से पहले सरकार को सोचना चाहिए कि वह सिर्फ चार महीने के लिए है.। वहीं आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने कहा है कि मोदी सरकार दरअसल, जासूसों की सरकार है और इस आदेश का मतलब विरोधियों को परेशान करना है।

मुख्य कार्टून कर्निका कहें. कॉम से साभार।


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