कोरोना महामारी के कारण हमारी रोज़मर्रा की जिंदगी में बहुत से बदलाव आ गए हैं। कई तरह की परेशानियां नौकरी, कारोबार से लेकर पढ़ाई तक सब कुछ बदल गया गया है। कोरोना काल के दौरान सबसे ज़्यादा नुकसान लॉकडाउन के कारण हुआ। कितनों के कारोबार खराब हुए, नौकरियां गई और सबसे बड़ा बदलाव जो हुआ वो शिक्षा के तरीके में और इसका सबसे अधिक असर खासतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों के छात्रों पर हुआ है। पढ़ाई पूरी तरह ऑनलाइन हो गई जिससे छात्रों की पढ़ाई का काफी नुकसान हुआ है। एक नए सर्वेक्षण के अनुसार, ग्रामीण क्षेत्रों में केवल 8% छात्र ही नियमित रूप से ऑनलाइन अध्ययन करने में सक्षम हैं और 37% ऑनलाइन मध्यम से बिल्कुल भी अध्ययन नहीं कर पाते हैं।
निजी स्कूलों से सरकारी स्कूलों में बच्चों का पलायन…
तमाम क्षेत्रों के साथ शिक्षा के क्षेत्र को भी कोरोना में काफी क्षति पहुंची है। स्कूल बंद होने से छात्रों की पढ़ाई का काफी नुकसान हुआ है। क्योंकि महामारी के कारण लोगों की आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो गई है, जिससे वे अपने बच्चों को निजी स्कूलों में नहीं पढ़ा पा रहे हैं। निजी स्कूलों में नामांकित एक चौथाई से अधिक छात्रों के माता-पिता ने 17 महीने के लंबे स्कूल बंद के दौरान अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में स्विच कर दिया है। इसका कारण या तो परिवार की कम आय या स्कूलों का ऑनलाइन शिक्षा लेने में असमर्थ होना है। सोच सकते है यह कितना बड़ा बदलाव है जो मार बाप बच्चो को अच्छी शिक्षा देने के लिए निजी स्कूलों ने पढ़ना चाहते थे। उन्होंने निजी स्कूलों से अपने बच्चों का पलायन करवा दिया।
15 राज्यों के इन कक्षाओं केे बच्चो पर किया गया सर्वेे…
अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज, रितिका खेरा और शोधकर्ता विपुल पैकरा की देख-रेख में किए गए सर्वेक्षण में 15 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के कक्षा 1 से 8 में नामांकित 1400 छात्रों को शामिल किया गया था। शामिल राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में…
- असम
- बिहार
- चंडीगढ़
- दिल्ली
- गुजरात
- हरियाणा
- झारखंड
- कर्नाटक
- मध्य प्रदेश
- महाराष्ट्र
- ओडिशा
- तमिलनाडु
- उत्तर प्रदेश
- पश्चिम बंगाल
- पंजाब
ऑनलाइन शिक्षा में भाग न लेने का बड़ा कारण..
बता दें की दिल्ली, झारखंड, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में आधे से ज्यादा नमूने (sample) लिए गए हैं। इस साल अगस्त में किए गए सर्वेक्षण के नतीजे ग्रामीण और शहरी बस्तियों में 1,400 परिवारों के साक्षात्कार पर आधारित हैं। यह ऐसा लोगो का साक्षात्कार है जो “कमजोर परिवारों में रहते हैं, यानी ऐसे परिवार जो अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में भेजते हैं। मतलब आर्थिक रूप से कमज़ोर हैं। सर्वे रिपोर्ट में कहा गया है….
- साक्षात्कार में शामिल करीब 60% नमूना (sample) परिवार ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं।
- लगभग 60% दलित या आदिवासी समुदायों से हैं।
परिवारों के पास स्मार्टफोन नहीं हैं…
इस सर्वे से यह बात तो साफ है कि ऑनलाइन शिक्षा की पहुंच बहुत ही सीमित है। इसका कारण आर्थिक रूप से जूझ रहे लोग है जो सरकारी स्कूलों में ही बच्चों को पढ़ा सकते है। बच्चों का निजी स्कूलों में पलायन नहीं करवा सकते हैं। कुछ की पढ़ाई तो इस लिए सीमित है क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग आधे परिवारों के पास स्मार्टफोन नहीं है और या ऑनलाइन शिक्षा की सीमित पहुंच के पीछे एक बड़ा कारण है। विशेष रूप से गांवों में एक और समस्या यह थी कि स्कूल ऑनलाइन स्टडी मैटिरियल नहीं भेज रहे थे या तो कम पढ़े लिखे माता-पिता को इसकी जानकारी नहीं थी।
- 24% शहरी छात्र नियमित रूप से ऑनलाइन अध्ययन कर रहे हैं।
- 8% ग्रामीण छात्र ही नियमित रूप से ऑनलाइन अध्ययन कर रहे हैं। यह शहरी-ग्रामीण विभाजन बहुत बड़ा है।