दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने आज एक ऐतिहासिक फैसले में समलैंगिक यौन संबंधों पर 158 साल पुराने औपनिवेशिक कानून को खत्म कर दिया। विवादास्पद धारा 377 पर फैसला सुनाते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, जस्टिस रोहिन्टन नरीमन, एएम खानविलकर, जस्टिस चंद्रचूड और इंदु मल्होत्रा की खण्डपीठ ने कहा, ‘’एलजीबीटी समुदाय के पास किसी भी अन्य नागरिक की तरह समान अधिकार हैं। एक दूसरे के अधिकारों का सम्मान करना ही सर्वोच्च मनुष्यता है। समलैंगिक सेक्स को आपराधिक ठहराना अतार्किक है जिसका बचाव नहीं किया जा सकता।‘’
#Section377: History owes an apology to LGBT persons for ostracisation, discrimination, Supreme Court of India. #InduMalhotra.
— Bar and Bench (@barandbench) September 6, 2018
सुप्रीम कोर्ट ने धारा 377 को प्रतिबंधित किए जाने के खिलाफ याचिकाओं पर सुनाई जुलाई में शुरू की थी जिसके बाद आज़ादी और निजता के अधिकार पर एक नई बहस शुरू हो गई थी। इस फैसले के साथ कोर्ट ने समलैंगिक समुदायों में नइ उम्मीद जगा दी है।
#Section377 has travelled so much that it has been destructive to LGBT identity : J Chandrachud #LGBT
— Live Law (@LiveLawIndia) September 6, 2018
धारा 377 ‘अप्राकृतिक संबंध’’ से जुड़ा कानून है जिसके तहत पुरुष, स्त्री या पशु के साथ सहमति के साथ अप्राकृतिक समागम करने पर भी 1861 के कानून के मुताबिक दस साल की जेल हो सकती है। आम तौर से इसका इस्तेमाल कर के दंड देने की रवायत कम रही है लेकिन समलैंगिक अधिकार कार्यकर्ताओं का मानना है कि पुलिस इसके सहारे समलैंगिकों का उत्पीड़न करती है।
इस फैसले का चारों ओर खुल कर स्वागत किया जा रहा है। देखें सोशल मीडिया पर आई कुछ प्रतिक्रियाएं।
People react as judges begin reading out #Section377 verdict. pic.twitter.com/PWG17QWwHk
— Cherry Agarwal (@QuilledWords) September 6, 2018
Celebrations in the lobby of the The LaLit Hotel in Delhi. #section377 verdict. Keshav Suri, son of late hotel magnate Lalit Suri and Executive Director of the Lalit Suri Hospitality Group that owns the LaLit chain of hotels is a #LGBTQ activist. pic.twitter.com/cECtp6D2Eu
— Smita Prakash (@smitaprakash) September 6, 2018
https://twitter.com/karanjohar/status/1037587979265564672