जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को हटाने के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को सुनवाई हुई. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने केंद्र और जम्मू-कश्मीर प्रशासन को नोटिस जारी कर इस मुद्दे पर एक हफ्ते में जवाब दाखिल करने को कहा है. अब अनुच्छेद 370 से जुड़ी याचिकाओं पर 5 जजों की संविधान पीठ अक्टूबर के पहले हफ्ते में सुनवाई शुरू करेगी.
Breaking: Supreme Court Constitution Bench of 5 judges to hear the challenge to abrogation to Article 370, issues notice to Central govt #Article370 #Kashmir https://t.co/X0oHHr0gT7
— Bar and Bench (@barandbench) August 28, 2019
अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता द्वारा कड़े विरोध के बावजूद अदालत ने नोटिस जारी किया है.
Attorney General K K Venugopal submitted there will be "cross border repercussions" if notice is issued. The Court turned down the submission and proceeded to issue the notice on a batch of petitions challenging the abrogation of J&K’s special status.#Article370
— The Leaflet (@TheLeaflet_in) August 28, 2019
एजी केके वेणुगोपाल ने कहा कि मामला बेहद संवेदनशील है और कोर्ट जो कुछ भी कह रहा है, उसे संयुक्त राष्ट्र के पास भेज दिया जाता है.दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने कहा कि हम जानते हैं कि क्या करना है. हमने सिर्फ आदेश पारित किया है, कोई बदलाव नहीं कर रहे हैं.
अनुच्छेद 370 रद्द करने के फैसले के खिलाफ याचिका अधिवक्ता एमएल शर्मा ने दायर की है, जबकि नेशनल कांफ्रेंस सांसद मोहम्मद अकबर लोन और न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) हसनैन मसूदी ने जम्मू कश्मीर के संवैधानिक दर्जे में केंद्र द्वारा किये गए बदलावों को चुनौती दी है. पूर्व आईएएस अधिकारी शाह फैसल, जेएनयू की पूर्व छात्रा शेहला रशीद और राधा कुमार जैसे प्रख्यात हस्तियों सहित अन्य भी इसमें शामिल हैं.