कोरोना से बंद हॉस्टल में डीयू की अकेली छात्रा, खाने का नहीं ठिकाना..!

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क्या आप यक़ीन करेंगे कि दिल्ली विश्विद्यालय में कानून की पढ़ाई कर रही एक छात्रा, अपने हास्टल में अकेले है और उसे भोजन भी नसीब नहीं हो रहा है। यही नहीं, प्रशासन उस पर कार्रवाई की धमकी देते हुए बाहर जाने को कह रहा है।

यह अमानवीय व्यवहार हो रहा है अमिषा नंदा के साथ। शिमला (हिमाचल प्रदेश) की रहने वाली अमिषा दिल्ली विश्वविद्यालय में कानून प्रथम वर्ष की छात्रा है।अमिषा आंबेडकर-गांगुली महिला छात्रावास की अंत:वासी है। कोरोना की वजह से हास्टल खाली हुआ तो बाहर शरण ली। लेकिन फिर मुश्किलें बढ़ीं तो दो दिन पहले वापस हास्टल आ गयी। लेकिन वहाँ उसे खाना भी नसीब नहीं है, और  हॉस्टल प्रशासन के लिए इसका कोई मतलब नहीं है। उल्टा, उसका ज़ोर इस बात पर है कि अमिषा तुरंत हॉस्टल छोड़ कर जाये। इस सिलसिले में महीने भर पहले हुए एक प्रदर्शन के सिलसिले में उसे एक नोटिस भी दिया गया है।

अमिषा ने सवाल उठाया है कि प्रशासन ऐसा कैसे कर सकता है जब सरकार ने इस पर रोक लगायी हुई है।

 

अमिषा का कहना है कि जब मकान मालिक छात्रों से मकान खाली नहीं करा सकता तो फिर हॉस्टल कैसे खाली कराया जा सकता है। अमिषा ने पूरी कहानी अपने कुछ मित्रों को भेजी और मदद मांगी। मीडिया विजिल को भी यह अपील प्राप्त हुई। हद तो ये है कि जब अमिषा की एक सहेली मदद करने पहुँची तो उसे हॉस्टल में घुसने नही दिया गया।

 

 

 

मीडिया विजिल ने अमिषा ने बात की तो संवेदनहीनता की यह कहानी वीडियो रूप में भी सामने आ गयी। अमिषा ने अपनी बात रिकार्ड करके भेजी है।

 

 

हमने इस सिलसिले में हास्टल प्रशासन से संपर्क करने की कोशिश की। पर नेट पर मौजूद हास्टल के नंबर पर कोई मौजूद नहीं था। नेहा नाम की एक सिक्योरिटी गार्ड से बात हुई जिसने कहा कि सौ कमरों वाले इस हॉस्टल को 23 मार्च को ही, जनता कर्फ्यू के बाद खाली करा लिया गया था। उसने माना कि एक लड़की अकेले हॉस्टल में है और यह भी कि हॉस्टल का मेस बंद है।

 


 

 

 


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