कोरोना वायरस के चलते हुए लॉकडाउन में फंसे प्रवासी मजदूरों को उनके घर वापस भेजने के लिए श्रमिक एक्सप्रेस ट्रेन चलाई जा रही है लेकिन इसके बदले उनसे किराया वसूले जाने की भी ख़बर आई। श्रमिक स्पेशल ट्रेन में किराये के अलावा 30 रुपये सुपर फ़ास्ट शुल्क और 20 रुपये का अतिरिक्त शुल्क लिए जाने की बातें सामने आयीं। राहुल गांधी ने सरकार के इस फ़ैसले को लेकर केंद्र सरकार को घेरा भी था कि इसी बीच सोमवार को सोनिया गांधी के बयान के बाद पूरी भाजपा सरकार बैकफुट पर आ गयी। सोनिया गांधी ने एक ट्वीट के द्वारा मजदूरों का किराया कांग्रेस सरकार की राज्य इकाइयों द्वारा दिए जाने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि शॉर्ट नोटिस पर लॉकडाउन लागू करने के वजह से मजदूर परेशान हैं और उनसे किराया वसूला जाना सरासर गलत है। प्रदेश कांग्रेस कमेटी की इकाई श्रमिकों के घर वापस लौटने की रेल यात्रा का ख़र्च उठाएगी।
Statement Of Congress President Smt. Sonia Gandhi
The Indian National Congress has
taken a decision that every Pradesh
Congress Committee shall bear the cost for the rail travel of every needy worker and migrant labourer and shall take necessary steps in this regard pic.twitter.com/kxruKa0xgI— Congress (@INCIndia) May 4, 2020
सोनिया गांधी के बयान के बाद भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने एक ट्वीट करके बताया कि उनकी बात रेल मंत्री पीयूष गोयल से हुई है और केंद्र सरकार 85 प्रतिशत तो राज्य सरकार 15 प्रतिशत किराये का भुगतान करेंगी।
Talked Piyush Goel office. Govt will pay 85% and State Govt 15% . Migrant labour will go free. Ministry will clarify with an official statement
— Subramanian Swamy (@Swamy39) May 4, 2020
स्वामी ने इसके पहले भी एक ट्वीट करके सरकार को घेरा था उन्होंने लिखा था कि भूखे-प्यासे प्रवासी मजदूरों से किराया वसूला जायेगा। ये सरकार की कैसी मूर्खता है ? विदेश में फंसे लोगों को फ्री में लाया गया है। यदि रेलवे किराया देने से पीछे हटती है तो इसे क्यों नहीं पीएम केयर्स फंड से दिया जाना चाहिए?
How moronic of the Government of India to charge steep rail fares from the half starved migrant labourers! Indians stranded abroad were brought back free by Air India. If Railways refuse to budge then why not make PM CARES pay instead?
— Subramanian Swamy (@Swamy39) May 4, 2020
यही नहीं सोनिया गांधी के कांग्रेस द्वारा किराया वहन करने के फ़ैसले के बाद पूरा भाजपाई खेमा डैमेज कंट्रोल में लग गया है। भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने एक ट्वीट में कांग्रेस को प्रवासी मजदूरों के ऊपर राजनीति करने का आरोप लगाया। उन्होंने पीआईबी के द्वारा जारी एक प्रेस रिलीज़ की फ़ोटो शेयर करते हुए कहा, “कोई टिकट स्टेशन पर नहीं बिक रहा है। रेलवे ने टिकट में 85 प्रतिशत की सब्सिडी दे दी है और 15 प्रतिशत राज्य सरकारें देंगी।”
Shame on Congress for politicising migrant movement issue.
MHA guidelines are clear.
“No tickets to be sold at any station”
Railway has subsidised 85% and State Govts pay rest 15% (like Madhya Pradesh is)
Migrants DON’T pay!
Why doesn’t Sonia ask Congress state Govts to pay? pic.twitter.com/HvTBFKvIlN
— Amit Malviya (मोदी का परिवार) (@amitmalviya) May 4, 2020
लेकिन अमित मालवीय ने अपनी जानकारी में भारत सरकार के रेल मंत्रालय द्वारा जारी की गयी गाइडलाइन्स के पॉइंट नंबर 11 के (c) का ज़िक्र नहीं किया जिसमें लिखा है कि राज्य सरकार टिकट का पैसा लेकर रेलवेज को सौंपेगा।
भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने भी टिकट की फ़ोटो शेयर करते हुए टिकट पर लिखे दाम के सवाल पर कहा कि राज्य सरकार टिकट का पैसा देंगी। उसके पहले के भी ट्वीट में संबित पात्रा ने अमित मालवीय ने जो फ़ोटो शेयर की थी उसी को फ़ोटो को लगाकर कहा था कि राहुल गांधी जी मैंने एमएचए गाइडलाइन्स की फ़ोटो लगा दी है, जिसमें साफ़ लिखा है कि रेलवे ने 85 प्रतिशत टिकट के किराये में सब्सिडी दे दी है बचा हुआ 15 प्रतिशत राज्य सरकार वहन करेगी। लेकिन यहाँ भी उन्होंने भारत सरकार के रेल मंत्रालय द्वारी जारी गाइडलाइन्स की फ़ोटो नहीं लगायी। जिसका ज़िक्र हमने ऊपर किया है। अमित मालवीय और संबित पात्रा के ट्विटर हैंडल से दी गई जानकारी पर ट्विटर पर ही सवाल उठे और दोनों को खूब ट्रोल किया गया।
Some have posted tickets & asked clarification that if tickets are not sold then what’s this!
For each Shramik Express about 1200 tickets to the destination are handed by the Railways to State Govt.
State govts are supposed to clear the ticket price & hand over tickets to workers https://t.co/Axtmen5nY9 pic.twitter.com/kTUWThmeP3— Sambit Patra (Modi Ka Parivar) (@sambitswaraj) May 4, 2020
संबित पात्रा या अमित मालवीय के ट्विटर हैंडल को देखें तो पाएंगे कि उन्होंने शुक्रवार को चलायी गयी श्रमिक एक्सप्रेस ट्रेन में किराया वसूले जाने को लेकर सोनिया गांधी के बयान के पहले कोई सफ़ाई नहीं दी है। न ही उन्होंने किराये को लेकर फ़ैले भ्रम को हटाने का प्रयत्न किया क्योंकि सरकारी मामलों में जारी गाइडलाइन्स का मतलब साफ़ होता है अर्थात ‘जो लिखा है वही अर्थ होता है’। सोनिया गांधी के बयान के बाद भाजपा सरकार अपने आप को सेफ़ ज़ोन में लेकर चल रही है। रेलवे बोर्ड के चेयरमैन वी.के. यादव ने एक अंग्रेजी अख़बार से कहा, “जानबूझ कर ट्रेनें फ्री में चलाने के बजाय किराया लिया जा रहा है ताकि जिनको ज़रूरी है वही सफ़र करें।” रेलवे ने भी ट्रेन चलाने को लेकर ख़र्च गिना दिया और अब ये भी कह दिया है कि किसी से किराया नहीं लिया जाएगा। फिर मध्य प्रदेश, बिहार और राजस्थान सरकार ने कह दिया है कि सभी मज़दूरों का किराया, राज्य सरकार उठाएगी, जबकि रेलवे द्वारा पीएम केयर्स फंड में रेलवे के द्वारा 151 करोड़ रुपये दिए गए। पीएम केयर्स फंड को कोरोना संकट में मदद के लिए बनाया गया और अब अगर उससे मजदूरों का किराया भी नहीं दिया जा सकता तो उस फंड का क्या अर्थ रह जायेगा? जो मजदूर इस लॉकडाउन में पैसे को मोहताज हैं, सरकार का उनसे किराया लेने के बारे में सोचना भी वाजिब नहीं था।