सोनिया गांधी के एलान, श्रमिकों से रेल किराए के विवाद के बाद भाजपा जुटी डैमेज कंट्रोल में!

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कोरोना वायरस के चलते हुए लॉकडाउन में फंसे प्रवासी मजदूरों को उनके घर वापस भेजने के लिए श्रमिक एक्सप्रेस ट्रेन चलाई जा रही है लेकिन इसके बदले उनसे किराया वसूले जाने की भी ख़बर आई। श्रमिक स्पेशल ट्रेन में किराये के अलावा 30 रुपये सुपर फ़ास्ट शुल्क और 20 रुपये का अतिरिक्त शुल्क लिए जाने की बातें सामने आयीं। राहुल गांधी ने सरकार के इस फ़ैसले को लेकर केंद्र सरकार को घेरा भी था कि इसी बीच सोमवार को सोनिया गांधी के बयान के बाद पूरी भाजपा सरकार बैकफुट पर आ गयी। सोनिया गांधी ने एक ट्वीट के द्वारा मजदूरों का किराया कांग्रेस सरकार की राज्य इकाइयों द्वारा दिए जाने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि शॉर्ट नोटिस पर लॉकडाउन लागू करने के वजह से मजदूर परेशान हैं और उनसे किराया वसूला जाना सरासर गलत है। प्रदेश कांग्रेस कमेटी की इकाई श्रमिकों के घर वापस लौटने की रेल यात्रा का ख़र्च उठाएगी।

सोनिया गांधी के बयान के बाद भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने एक ट्वीट करके बताया कि उनकी बात रेल मंत्री पीयूष गोयल से हुई है और केंद्र सरकार 85 प्रतिशत तो राज्य सरकार 15 प्रतिशत किराये का भुगतान करेंगी।

स्वामी ने इसके पहले भी एक ट्वीट करके सरकार को घेरा था उन्होंने लिखा था कि भूखे-प्यासे प्रवासी मजदूरों से किराया वसूला जायेगा। ये सरकार की कैसी मूर्खता है ? विदेश में फंसे लोगों को फ्री में लाया गया है। यदि रेलवे किराया देने से पीछे हटती है तो इसे क्यों नहीं पीएम केयर्स फंड से दिया जाना चाहिए?

यही नहीं सोनिया गांधी के कांग्रेस द्वारा किराया वहन करने के फ़ैसले के बाद पूरा भाजपाई खेमा डैमेज कंट्रोल में लग गया है। भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने एक ट्वीट में कांग्रेस को प्रवासी मजदूरों के ऊपर राजनीति करने का आरोप लगाया। उन्होंने पीआईबी के द्वारा जारी एक प्रेस रिलीज़ की फ़ोटो शेयर करते हुए कहा, “कोई टिकट स्टेशन पर नहीं बिक रहा है। रेलवे ने टिकट में 85 प्रतिशत की सब्सिडी दे दी है और 15 प्रतिशत राज्य सरकारें देंगी।”

लेकिन अमित मालवीय ने अपनी जानकारी में भारत सरकार के रेल मंत्रालय द्वारा जारी की गयी गाइडलाइन्स के पॉइंट नंबर 11 के (c) का  ज़िक्र नहीं किया जिसमें लिखा है कि राज्य सरकार टिकट का पैसा लेकर रेलवेज को सौंपेगा।

भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने भी टिकट की फ़ोटो शेयर करते हुए टिकट पर लिखे दाम के सवाल पर कहा कि राज्य सरकार टिकट का पैसा देंगी।  उसके पहले के भी ट्वीट में संबित पात्रा ने अमित मालवीय ने जो फ़ोटो शेयर की थी उसी को फ़ोटो को लगाकर कहा था कि राहुल गांधी जी मैंने एमएचए गाइडलाइन्स की फ़ोटो लगा दी है, जिसमें साफ़ लिखा है कि रेलवे ने 85 प्रतिशत टिकट के किराये में सब्सिडी दे दी है बचा हुआ 15 प्रतिशत राज्य सरकार वहन करेगी। लेकिन यहाँ भी उन्होंने भारत सरकार के रेल मंत्रालय द्वारी जारी गाइडलाइन्स की फ़ोटो नहीं लगायी। जिसका ज़िक्र हमने ऊपर किया है। अमित मालवीय और संबित पात्रा के ट्विटर हैंडल से दी गई जानकारी पर ट्विटर पर ही सवाल उठे और दोनों को खूब ट्रोल किया गया।

संबित पात्रा या अमित मालवीय के ट्विटर हैंडल को देखें तो पाएंगे कि उन्होंने शुक्रवार को चलायी गयी श्रमिक एक्सप्रेस ट्रेन में किराया वसूले जाने को लेकर सोनिया गांधी के बयान के पहले कोई सफ़ाई नहीं दी है। न ही उन्होंने किराये को लेकर फ़ैले भ्रम को हटाने का प्रयत्न किया क्योंकि सरकारी मामलों में जारी गाइडलाइन्स का मतलब साफ़ होता है अर्थात ‘जो लिखा है वही अर्थ होता है’। सोनिया गांधी के बयान के बाद भाजपा सरकार अपने आप को सेफ़ ज़ोन में लेकर चल रही है। रेलवे बोर्ड के चेयरमैन वी.के. यादव ने एक अंग्रेजी अख़बार से कहा, “जानबूझ कर ट्रेनें फ्री में चलाने के बजाय किराया लिया जा रहा है ताकि जिनको ज़रूरी है वही सफ़र करें।” रेलवे ने भी ट्रेन चलाने को लेकर ख़र्च गिना दिया और अब ये भी कह दिया है कि किसी से किराया नहीं लिया जाएगा। फिर मध्य प्रदेश, बिहार और राजस्थान सरकार ने कह दिया है कि सभी मज़दूरों का किराया, राज्य सरकार उठाएगी, जबकि रेलवे द्वारा पीएम केयर्स फंड में रेलवे के द्वारा 151 करोड़ रुपये दिए गए। पीएम केयर्स फंड को कोरोना संकट में मदद के लिए बनाया गया और अब अगर उससे मजदूरों का किराया भी नहीं दिया जा सकता तो उस फंड का क्या अर्थ रह जायेगा? जो मजदूर इस लॉकडाउन में पैसे को मोहताज हैं, सरकार का उनसे किराया लेने के बारे में सोचना भी वाजिब नहीं था।


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