रबीन्द्र जयंती पर सुनिए शर्मिला टैगोर के स्वर में- “जहाँ निर्भय चित्त हो, मस्तक ऊंचा…”

गुरुदेव रबींद्रनाथ टैगोर का जन्मदिन अंग्रेज़ी कैलेंडर के हिसाब से 7 मई है। लेकिन तिथि के हिसाब से यह आज मनाया जा रहा है। ‘गीतांजलि’ का यह हिस्सा, नवीन भारत को लेकर कवि की कल्पना नहीं एक विराट संकल्प है। शर्मिला टैगोर ने अपनी मखमली आवाज़ में इसे लेकर जो कुछ कहा है वह चित्त को स्पंदित करने वाला है। लेकिन भाषा अंग्रेज़ी और बांग्ला है। हिंदी वालों के लिए पेश है यह हिंदी पाठ जो कवि प्रयाग शुक्ल द्वारा किया गया अनुवाद है–संपादक

हो चित्त जहाँ भय-शून्य, माथ हो उन्नत
हो ज्ञान जहाँ पर मुक्त, खुला यह जग हो
घर की दीवारें बने न कोई कारा
हो जहाँ सत्य ही स्रोत सभी शब्दों का
हो लगन ठीक से ही सब कुछ करने की
हों नहीं रूढ़ियाँ रचती कोई मरुथल
पाये न सूखने इस विवेक की धारा
हो सदा विचारों,कर्मों की गति फलती
बातें हों सारी सोची और विचारी
हे पिता मुक्त वह स्वर्ग रचाओ हममें
बस उसी स्वर्ग में जागे देश हमारा.

Sharmila Tagore reciting Rabindranath Tagore's - 'Where the mind is without fear'

 

Video: Courtesy Muktdhara

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