गाँधी की शैली में मार्क्स की राजनीति का सपना देखने वाले पत्रकार राजकिशोर नहीं रहे

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वरिष्ठ पत्रकार और लेखक राजकिशोर का आज सुबह निधन हो गया है। उनके फेफड़े में संक्रमण की शिकायत थी जिसके इलाज के लिए एम्स में भरती थे। बीती 22 अप्रैल को ही उन्होंने अपने 40 वर्षीय पुत्र विवेक राज को खोया था। विवेक भी पत्रकार थे और उन्हें ब्रेन हैमरेज हुआ था। डॉक्टरों के मुताबिक इससे राजकिशोर जी को गहरा सदमा लगा था और ख़ुद को व्यवस्थित करने की उनकी तमाम कोशिशें नाकाम साबित हो रही थीं।

हालाँकि राजकिशोर जी पुत्र वियोग से बाहर आने की पूरी कोशिश कर रहे थे। फ़ेसबुक पर उनकी धारदार टिप्पणियाँ लगातार नज़र आ रही थीं। विवेक के निधन के सिर्फ़ एक हफ़्ते बाद वे नई राजनीति का आह्वान कर रहे थे। गाँधी की शैली में मार्क्स की राजनीति करना उनका सपना था।

 

राजकिशोर जी की तबीयत 15 मई को अचानक बिगड़ी थी जिसके बाद उन्हें पहले नोएडा के कैलाश अस्पताल और फिर एम्म सें भर्ती कराया गया जहाँ वे आईसीयू में थे। वे अपने पीछे बेटी अस्मिता और पत्नी विमला को छोड़ गए हैं।

राजकिशोर उन गिने-चुने हिंदी पत्रकारों में थे जिनके लिए पत्रकारिता समाज बदलने का उपकरण है। वे अपने गहरे वैचारिक लेखन और दृष्टि के लिए जाने जाते थे। रविवार और नवभारत टाइम्स सहित कई महत्वपूर्ण पत्र-पत्रिकाओं से जुड़े रहे राजकिशोर जी फिलहाल स्वतंत्र लेखन कर रहे थे। नवभारत टाइम्स के अपने ब्लॉग के लिए जो परिचय उन्होंने लिखा था, वह उनके बारे में बहुत कुछ बताता है।

 

 

वरिष्ठ पत्रकार ओम थानवी ने अपनी फ़ेसबुक वॉल पर राजकिशोर जी के निधन की सूचना देते हुए  लिखा है—

 

 

वरिष्ठ पत्रकार जयशंकर गुप्त ने उन्हें इस तरह याद किया है–

 

 

 

पढ़िए राजकिशोर जी की कुछ विचारोत्तेजक फ़ेसबुक टिप्पणियाँ–

 

 

 

 

 

 

 

 

स्मृतिशेष राजकिशोर को मीडिया विजिल की विनम्र श्रद्धांजलि..!

 



 


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