जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट और अन्य पाबंदियों पर सुप्रीम कोर्ट ने आज अपना फैसला सुनाया. फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने साफ कहा कि इंटरनेट को सरकार ऐसे अनिश्चितकाल के लिए बंद नहीं कर सकती. सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एनवी रमणा की अध्यक्षता वाली बेंच में जस्टिस आर सुभाष रेड्डी और जस्टिस बीआर गवई ने यह महत्वपूर्ण फैसला दिया है. जस्टिस एनवी रमणा ने फैसला पढ़ते हुए कहा कि इंटरनेट अभिव्यक्ति की आज़ादी के तहत आता है. यह फ्रीडम ऑफ स्पीच का जरिया भी है. इंटरनेट अनुच्छेद-19 के तहत आता है.
Supreme Court while delivering verdict on petitions on situation in J&K after abrogation of Article 370 directs Jammu Kashmir Govt to review all restrictive orders within a week. pic.twitter.com/EVIvGLnNoP
— ANI (@ANI) January 10, 2020
कश्मीर की पत्रकार अनुराधा भसीन और कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने भी इस मामले में ये याचिका दायर की थी.
अदालत ने कहा कि बिना वजह के पूरी तरह इंटरनेट पर रोक नहीं लगाया जा सकता है.सुप्रीम कोर्ट ने कहा- ‘लंबे वक्त तक इंटरनेट पर पाबंदी नहीं लगाया जा सकता. पाबंदियों की कोई पुख्ता वजह का होना जरूरी है. इंटरनेट लोगों की अभिव्यक्ति का अधिकार है. यह आर्टिकल 19 के तहत आता है.’ इसके अलावा कोर्ट ने धारा 144 पर टिप्पणी करते हुए कहा कि देश में कहीं भी लगातार धारा 144 को लागू रखना सरकार द्वारा शक्ति का दुरुपयोग है. साथ ही कोर्ट ने पाबंदी से संबंधित सभी फैसलों को सार्वजनिक करने को कहा है.
Freedoms Of Speech & Expression, Trade & Commerce Through Medium Of Internet Are Constitutionally Protected : SC In Kashmir Case [Read Ju.. https://t.co/NhrPwoDPeG
— Live Law (@LiveLawIndia) January 10, 2020
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को एक हफ्ते के अंदर इन पाबंदियों की समीक्षा करने को कहा है. कोर्ट ने कहा कि जहां इंटरनेट का दुरुपयोग कम है वहां सरकारी और स्थानीय निकाय में इंटरनेट की सेवा शुरू की जाए. कोर्ट ने सरकार को ई-बैंकिंग सेवाएं शुरू करने पर विचार करने को कहा है.
5 अगस्त 2019 को आर्टिकल 370 खत्म करने के बाद से पूरे प्रदेश में इंटरनेट सेवाए बंद हैं. ब्रॉडबैंड के जरिए ही घाटी के लोगों का इलेक्ट्रॉनिक कम्युनिकेशन हो पा रहा है.
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