उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर ‘’आपत्तिजनक’’ टिप्पणी करने के ‘’जुर्म’’ में शनिवार को यूपी पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए प्रशांत कनौजिया को सुप्रीम कोर्ट ने तुरंत रिहा करने का आदेश दिया है। जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस अजय रस्तोगी प्रशांत कनौजिया की पत्नी द्वारा दायर की गई हेबियस कॉर्पस याचिका पर सुनवाई कर रहे थे।
Breaking – 'We Don't Appreciate His Tweets; But He Cannot Be Put Behind Bars'; SC Orders Release Of Journalist Prashant Kanojia @PJkanojia @Uppolice @myogiadityanath #PrashantKanojia #PrashantKanojiyaArrest https://t.co/xHWtyK0I9N
— Live Law (@LiveLawIndia) June 11, 2019
अदालत ने सरकारी वकील एएसजी विक्रमजीत बनर्जी की दलीलें सुनने के बाद उत्तर प्रदेश सरकार की कार्रवाई पर सवाल खड़ा किया। जस्टिस इंदिरा बनर्जी ने स्पष्ट तौर पर कहा कि लोगों की राय जुदा हो सकती है और संभवत: ऐसी चीज़ें पोस्ट नहीं की जानी चाहिए थीं, लेकिन गिरफ्तारी? आखिर किन प्रावधानों के तहत गिरफ्तारी की गई है?
ASG says that there are SC precedents that remand order cannot be challenged in habeas corpus petitions.
The bench asks why remand of 11 days was given. Is he a murder accused, Justice Rastogi asks.
If there is deprivation of personal liberty, SC can interfere, the bench adds
— Live Law (@LiveLawIndia) June 11, 2019
एएसजी ने दलील दी कि एक बार न्यायिक हिरासत होने के बाद उच्च न्यायालय में ही उसे चुनौती दी जा सकती है लिहाजा हेबियस कॉर्पस की याचिका वैध नहीं है। इस पर जस्टि बनर्जी ने कहा कि चूंकि व्यक्ति जेल में है, इसलिए वे अपने अधिकार अनुच्छेद 142 के तहत लागू कर सकते हैं।
अदालत का कहना था कि आम तौर से वह अनुच्छेद 32 को स्वीकार नहीं करती लेकिन जिसकी आज़ादी प्रभावित हुई है उसके लिए संविधान में प्रावधान मौजूद है। अगर कोई अवैध काम हुआ है तो क्या अदालत हाथ बांध कर पड़ी रहे और बोले कि आप हाइकोर्ट जाइए?
Justice Banerjee: Court does not ordinarily entertain A.32 but the Article is there in Constitution for those whose freedom is affected. When something is so glaring, can court hold its hands and say go to High Court?
— Bar and Bench (@barandbench) June 11, 2019
सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि प्रशांत कनौजिया की रिहाई का आदेश उनकी स्वतंत्रता के अधिकार के नाते दिया जा रहा है, इसे ट्वीट का अनुमोदन न समझा जाए।