सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों की खण्डपीठ ने चार-एक के बहुमत से आधार को वैध ठहरा दिया। अब आधार कार्ड को आयकर रिटर्न व लाभों के साथ लिंक करना ज़रूरी होगा हालांकि मोबाइल नंबर और बैंक खाते से इसे जोड़ने की ज़रूरत नहीं होगी। न ही परीक्षाओं के लिए अथवा बच्चों को मिलने वाले लाभ के लिए आधार को लिंक कराना अनिवार्य होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने आधार पर सुरक्षित रखा फैसला बुधवार को सुना दिया। पांच जजों में से अकेले जस्टिस चंद्रचूड़ ने आधार कानून को ही असंवैधानिक ठहरा दिया है, बाकी चार ने इसे वैध रखा है। अब निम्न सेवाएं आधार से जुड़ी होंगी:
- पैन कार्ड
- आयकर रिटर्न
- कल्याणकारी योजनाएं और सब्सिडी
जिन सेवाओं के लिए आधार अनिवार्य नहीं होगा वे निम्न हैं:
- बैंक खाता
- दूरसंचार सेवा कंपनियां आपका आधार नंबर नहीं मांग सकती हैं
- सीबीएसई, नीट, यूजीसी की परीक्षाओं में आधार अनिवार्य नहीं होगा
- स्कूल में प्रवेश के लिए आधार अनिवार्य नहीं होगा
- किसी भी बच्चे को किसी योजना का लाभ आधार न होने के चलते इनकार नहीं किया जा सकेगा
जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस सीकरी ने (अपने, मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस खानविलकर के लिए) बहुमत का फैसला दिया और आधार कानून की धारा 7 को वैध ठहराया जो कहती है कि सरकार सब्सिडी और अन्य लाभों के लिए आधार पहचान की मांग कर सकती है1 इसके अलावा आधार और पैन को जोड़ने संबंधी आयकर कानून की धारा 139एए को भी वैध ठहराया गया हालांकि निजता के अधिकार के पहलू पर अंतिम फैसले को खुला छोड़ दिया गया।
बहुमत ने फैसला दिया कि यूजीसी, सीबीएसई, नीट, जेईई आदि परीक्षाओं और स्कूली प्रवेश व परीक्षा पंजीकरण के लिए आधार अनिवार्य नहीं है क्योंकि ये सेवाएं धारा 7 के अंतर्गत नहीं आती हैं। स्कूली शिक्षा के लिए भी आधार की ज़रूरत नहीं है। इसके अलावा 6 से 14 साल के बीच के बच्चे को भी आधार की ज़रूरत नहीं होगी क्योंकि उसे संविधान के अनुच्छेद 21ए के तहत शिक्षा का मूलभूत अधिकार प्राप्त है।
बहुमत से इस बेंच ने धारा 9 को खारिज कर दिया कि बैंक खाते को भी आधार से जोड़ा जाना अनिवार्य है। इसके अलावा दूरसंचार विभाग द्वारा 23 मार्च 2017 को जारी अधिसूचना को भी अवैध व असंवैधानिक ठहराते हुए निरस्त कर दिया गया जिसमें मोबाइल नंबर को आधार से जोड़ने की बात की गई थी।
सुप्रीम कोर्ट का पूरा फैसला नीचे पढ़ें:
Aadhaar Judgment