शाहीन बाग: केंद्र और दिल्ली सरकार को SC का नोटिस, 17 फरवरी को अगली सुनवाई

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नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और नेशनल रजिस्टर फॉर सिटीजन के खिलाफ राजधानी दिल्ली के शाहीन बाग में चल रहे प्रदर्शन सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया है. आज सुनवाई के दौरान जस्टिस एस के कौल और जस्टिस के एम जोसेफ की पीठ ने टिप्पणी की कि 15 दिसंबर से इस सड़क पर प्रदर्शन किया जा रहा है. विरोध करना ठीक है, लेकिन सार्वजनिक सड़क पर प्रदर्शन ठीक नहीं है. अदालत ने प्रदर्शन स्थल पर चार महीने के बच्चे के मामले में केंद्र और दिल्ली सरकार नोटिस जारी किया है. इसी के साथ कोई ने अंतरिम आदेश जारी करने से इनकार करते हुए सुनवाई के लिए 17 फरवरी को तारीख तय की है.

सुप्रीम कोर्ट में अब इस मामले की अगली सुनवाई 17 फरवरी को होगी. अदालत ने कहा है कि अगर इतने दिनों इंतजार किया है तो एक हफ्ता और भी कर सकते हैं. जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस के.एम. जोसेफ की बेंच ने कहा कि इस मामले में पुलिस और सरकार को पक्षकार बनाया गया है, ऐसे में उनकी बात सुनना जरूरी है.

पिछली सुनवाई में जस्टिस एस के कौल और जस्टिस के एम जोसेफ की पीठ ने कहा था, ‘हम इस बात को समझते हैं कि वहां समस्या है और हमें देखना होगा कि इसे कैसे सुलझाया जाए.

बता दें कि, बीजेपी नेता और पूर्व विधायक नंदकिशोर गर्ग ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर शाहीन बाग धरने को हटाने के अलावा गाइडलाइन बनाने की मांग की है. वकील अमित साहनी ने भी सुप्रीम कोर्ट याचिका दाखिल कर मांग की है कि शाहीन बाग में चल रहे प्रदर्शन को हटाया जाए ताकि कालिंदी कुंज और शाहीन बाग का रास्ता फिर से खुल सके. उनकी मांग है कि इसके लिए कोर्ट केंद्र सरकार और संबंधित विभाग को आदेश दे. याचिका में कहा गया है कि लंबे समय से शाहीन बाग में चल रहे धरने से लोगों को बेहद परेशानी हो रही है.

गौरतलब है कि पीछे सप्ताह सर्दी लगने से एक चार महीने के बच्चे की मौत हो गई थी, उसके बाद मृत बच्चे की माँ ने कहा था – मेरे बच्चे की मौत सर्दी -खांसी से हुई, उसे और कोई तकलीफ नहीं थी, किन्तु इसके बाद भी मैं प्रदर्शन में जाउंगी, मेरे पास कोई दस्तावेज नहीं है.

ऐसे में मोदी-शाह जी को ये कानून वापस लेना चाहिए.


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