भीमा कोरेगांव हिंसा की एफआइआर के सिलसिले में चली जांच में पुणे पुलिस द्वारा पकड़े गए वरवर राव, वर्नान गोंजाल्विस, अरुण फरेरा, सुधा भारद्वाज और गौतम नवलखा को उनके घरों में नज़रबंद रखने की अवधि सुप्रीम कोर्ट ने आज 17 सितंबर तक बढ़ा दी।
मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस चंद्रचूड़ और जस्टिस खानविलकर की खएडपीठ ने इतिहासकार रोमिला थापर व चार अन्य द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई को पांच दिनों के लिए टाल दिया जब अदालत को यह बताया गया कि इनकी पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी किसी दूसरी अदालत में व्यस्त हैं।
आज की सुनवाई बिलकुल संक्षिप्त रही। खण्डपीठ के समक्ष प्रस्तुत होते हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इस मामले में हस्तक्षेप करने वालों की याचिकाएं पहले से ही उच्च न्यायालयों में लंबित हैं।
मेहता ने कहा, ‘’इनके मामलों पर विभिन्न न्यायिक अदालतों में सुनवाई जारी है। जब एक वकील को पकड़ा जाता है तब हम जानते हैं कि उसके साथ कैसा व्यवहार करना है।
इस पर गिरफ्तार वकील सुरेंद्र गाडलिंग की पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता आनंद ग्रोवर ने टिप्पणी की: ‘’नहीं, आप नहीं जानते। आपने उनके साथ किसी तीसरे दरजे के अपराधी जैसा व्यवहार किया है।‘’
अदालत ने इसके बाद सुनवाई की अगली तारीख 17 सितंबर तामील करते हुए कहा कि पांचों को नज़रबंद रखने का अंतरिम आदेश तब तक लागू रहेगा।
इंडियन एक्सप्रेस और बारएंडबेंच से साभार