
कोरोना महामारी और लॉकडाउन के बीच बिहार में राजनीति गर्म हो गई है। बिहार में गृहमंत्री अमित शाह की वर्चुअल रैली के खिलाफ राष्ट्रीय जनता दल और वामपंथी पार्टियां सड़क पर उतर आई हैं। बीजेपी की डिजिटल रैली के खिलाफ आरजेडी ने जहां पूरे बिहार में ‘गरीब अधिकार दिवस’ मनाया, वहीं लेफ्ट पार्टियों ने राज्यव्यापी स्तर पर ‘विश्वासघात-धिक्कार दिवस’ मनाकर अपना विरोध जताया।
दरअसल आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारी के क्रम में आज बीजेपी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष व गृहमंत्री अमित शाह वीडियो कॉन्फेंसिंग के जरिये ‘बिहार जनसंवाद रैली’ कर रहे हैं। अमित शाह का भाषण सुनाने के लिए 1 लाख लोगों की व्यवस्था की गई है। बीजेपी की इस वर्चुअल रैली खिलाफ आरजेडी और वामपंथी पार्टियों आज पूरे बिहार में सड़कों पर उतरीं। कार्यकर्ता आभासी रैली नहीं बल्कि भोजन, रोजगार और कोरानो से सुरक्षा की गारंटी करो के नारे लगा रहे थे।
पटना में बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव अपने समर्थकों के साथ थाली बजाकर विरोध जताया। तेजस्वी यादव ने कहा कि “कोरोना काल में लोग बीमारी और भूख से मर रहे है और असंवेदनशील NDA सरकारें डिजिटल रैली कर रही हैं। उन्होंने कहा कि इस मानवीय संकट के दौर में श्रमिकों की मदद ज़्यादा ज़रूरी है या वर्चूअल रैली करना ज़्यादा ज़रूरी? तेजस्वी यादव ने कहा कि ग़रीबों का पेट और थाली ख़ाली है। श्रमिकों और ग़रीबों के समर्थन में ‘ग़रीब अधिकार दिवस’ मनाकर हमने उन ख़ाली थालियों को बजाने का कार्य किया है। तेजस्वी यादव ने कहा कि श्रमिकों को एनडीए सरकार तत्काल 10 हज़ार रू का सहायता भत्ता दे।
तेजस्वी यादव ने कहा कि विगत महीनों में देश के 12 करोड़ लोगों की नौकरी छिन गई। 13 करोड़ लोग BPL में आ गए। एक करोड़ 40 लाख भुखमरी के कगार पर चले गये। आशा है गृहमंत्री वर्चूअल रैली में यह ज़रूर बताएंगे कि बादशाही आफ़त से छिने गए रोज़गार को कैसे इन करोड़ों लोगों को वापस दिलाएँगे? उन्होंने कहा कि अमित शाह जी और नीतीशु कुमार बताएं कि बिहार के 8-9 करोड़ बेरोज़गारो, श्रमिकों, दिहाड़ी मज़दूरों और युवाओं के लिए उनकी 15 साल की एनडीए सरकार ने क्या किया? उन बेरोज़गारो को नौकरी-रोज़गार देने की क्या कार्य योजना है?
तेजस्वी ने कहा कि क्या अमित शाह जी रोज़गार-नौकरी, विकास और उद्योग-धंधो के दम पर जनता से वोट माँगेंगे? और वो बताएंगे कि केंद्र और राज्य सरकार ने श्रमिकों के साथ दोयम दर्जे के नागरिकों जैसा व्यवहार क्यों किया? उन्हें शारीरिक-मानसिक और आर्थिक प्रताड़ना क्यों दी?
तेजस्वी यादव ने कहा कि वर्चुअल रैली में गृहमंत्री अमित शाह व मुख्यमंत्री नीतीश को एक दूसरे का सामना करना चाहिए और बिहार की जनता के सामने यह बताना चाहिए कि बिहार में रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य और कानून व्यवस्था की बदहाल स्थिति के लिए दोनों में से कौन सा दल अधिक जिम्मेदार है? श्रमवीरों की यह वर्तमान दुर्दशा किसने की?
भाजपा सरकार ने 2014 के चुनाव में बिहार से किए एक भी वादे को पूरा नहीं किया। स्पेशल पैकेज और स्पेशल स्टेटस का क्या हुआ? प्रधानमंत्री द्वारा घोषित 1.25 लाख करोड़ पैकेज की अद्यतन स्थिति क्या है? क्या ये मुद्दे भाजपा-जदयू के सिर्फ़ चुनावी झुनझुना है? जब “डबल इंजन” है ही तब इसमें अड़चन क्यों हैं?
प्रेस वार्ता
Posted by Tejashwi Yadav on Saturday, June 6, 2020
वहीं बिहार के वामपंथी दलों भाकपा-माले, भाकपा, माकपा और फारवर्ड ब्लॉक ने संयुक्त रूप से पूरे बिहार में विरोध प्रदर्शन किया। राजधानी पटना में जनशक्ति कैंपस के सामने वाम नेताओं ने धरना दिया। जिसमें मुख्य रूप से भाकपा-माले के राज्य सचिव कुणाल, पोलित ब्यूरो के सदस्य धीरेन्द्र झा, राज्य कमिटी सदस्य रणविजय कुमार; सीपीआईएम के अरूण कुमार मिश्रा, रामपरी देवी, मनोज चंद्रवंशी; सीपीआई के विजय नारायण मिश्र, रविन्द्र नाथ राय, रामलला सिंह आदि नेता शामिल रहे।
इन नेताओं के अलावा ऐपवा की शशि यादव, सरोज चैबे, ऐक्टू के आरएन ठाकुर, पटना जिला के कार्यकारी सचिव जितेन्द्र कुमार, मुर्तजा अली, सत्येन्द्र शर्मा, पन्नालाल, युवा नेता विनय कुमार, महिला समाज की निवेदिता सहित दर्जनों की संख्या में वाम दलों के कार्यकर्ता शामिल हुए।
आज के धरना में माले राज्य सचिव कुणाल ने कहा कि यह बेहद निंदनीय है कि जब पूरा देश मोदी सरकार द्वारा अनप्लानड तरीके से लागू किए गए लॉकडाउन की वजह से गहरे संकट में फंसा हुआ है; आम जनता रोजगार, भूख, बीमारी व अन्य कई प्रकार की समस्याएं झेल रही है, कोरोना का ग्राफ बढ़ता ही जा रहा है, तब इन समस्याओं से आम लोगों को निजात देने की बजाए भाजपा-जदयू के लोग बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारी में लग गए हैं।
उन्होंने कहा कि अभी प्रवासी मजदूरों व आम लोगों को राशन व रोजगार चाहिए न कि भाषण। उन्होंने यह भी कहा कि प्रवासी मजदूरों के प्रति इस सरकार के नफरत भरे रवैये का पता इसी से चलता है कि पुलिस विभाग ने बाजाप्ता सरकारी पत्र निकालकर सभी जिलाधीशों को आगाह किया था कि बाहर से आए मजदूर समाज में उपद्रव मचा सकते हैं। विपक्ष के दबाव में यह पत्र सरकार को वापस लेना पड़ा, लेकिन इससे सरकार की मानसिकता का तो पता चलता ही है।
भाकपा माले पोलित ब्यूरों सदस्य धीरेन्द्र झा ने कहा कि अभी रोजगार का सवाल सरकार की प्राथमिकता में होना चाहिए, लेकिन अमित शाह आभासी रैली कर रहे हैं। देश की जनता को कोरोना व भूखमरी से मरने के लिए छोड़ दिया है। कई जगहों से रिपोर्ट मिल रही है कि मजदूरों से काम करवाने की बजाए जेसीबी मशीन से काम करवाया जा रहा है। इस पर अविलंब रोक लगनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारी मांग है कि मनरेगा में मजदूरों को काम दिया जाए। कम से कम 200 दिन काम व 500 रु. न्यूनतम मजदूरी की गारंटी की जाए। जो बाहर से मजदूर आए हैं, उनके लिए सरकार रोजगार की व्यवस्था करे। धीरेंद्र झा ने कहा कि इनकम टैक्स के दायरे से बाहर सभी परिवारों को 6 माह तक 7500 रु. गुजारा भत्ता दिया जाए।
अमित शाह के वर्चुअल रैली के खिलाफ पटना में वाम दलों का सयुक्त धिक्कार दिवस ।
भाषण नहीं ,राशन और रोजगार दो।अमित शाह वर्चुअल रैली करना बंद करो,आयकर टैक्स से बाहर सभी को 7500 रु प्रति माह भत्ता और प्रति व्यक्ति 6 माह तक 10kg मुफ्त अनाज दो।।अमित शाह के वर्चुअल रैली के खिलाफ पटना में वाम दलों का सयुक्त धिक्कार दिवस ।
Posted by CPIML – Liberation, Bihar on Sunday, June 7, 2020
सीपीआई नेता विजयनारायण मिश्र ने कहा कि सभी किसानों के केसीसी सहित सभी प्रकार के कर्ज माफ होने चाहिए। ऐडवा नेता रामपरी देवी ने कहा कि सरकार क्वारंटीन सेंटरों को खत्म कर रही है, हम इसका विरोध करते हैं। रणविजय कुमार ने कहा कि सभी परिवारों के लिए 10 किलो राशन का प्रबंध करना सरकार का दायित्व होना चाहिए न कि आभासी रैली करने को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। नेताओं ने भूख-प्यास भरी यात्रा में थकान व दुर्घटना अथवा क्वारंटीन सेंटर में मौत के शिकार लोगों के परिजनों के लिए 20-20 लाख रुपए मुआवजे की मांग की।
कोरोना महामारी के आगे घुटना टेक चुकी सरकार के गृह मंत्री आज बिहार की जनता को 72 हजार टीवी स्क्रीन लगवाकर चुनावी भाषण सुनाने की तैयारी में हैँ।
अमित शाह शर्म करो !#AmitShahGoBack #AmitShahResignKaro pic.twitter.com/W7PEPUeLp2— CPI BIHAR (@cpi4bihar) June 7, 2020
पटना के चितकोहरा में आयोजित विरोध दिवस में माले पोलित ब्यूरो सदस्य अमर, ललन सिंह, दिलीप सिंह आदि नेताओं ने भाग लिया। दीघा में माले नेता रामकल्याण सिंह, वशिष्ठ यादव व छोटू जी के नेतृत्व में विरोध दिवस का आयोजन किया गया। ऐपवा नेता अनिता सिन्हा, राखी मेहता, पटना सिटी में शंभूनाथ मेहता आदि नेताओं ने अपने आवास पर धरना दिया.
आज के विरोध दिवस के तहत भोजपुर के कोइलवर, इसाढ़ी बाजार, उदवंतनगर, आरा नगर, गड़हनी, तरारी, सहार आदि प्रखंड केंद्रों पर प्रदर्शन किए गए। सिवान, दरभंगा, गया, अरवल, कटिहार, गोपालगंज, नालंदा आदि जिला केंद्रों पर भी विरोध दर्ज किए गए।
भोजपुर के युवा नेता और भाकपा-माले की केन्द्रीय कमिटी के सदस्य राजू यादव
Posted by CPIML – Liberation, Bihar on Sunday, June 7, 2020
वाम नेताओं ने कहा कि देश और बिहार को गहरे संकट में डालकर यदि भाजपा-जदयू चुनाव जीत लेने का सपना देख रहे हैं, तो वे बड़ी गलतफहमी में हैं। प्रवासी मजदूर, दलित-गरीब, छात्र-नौजवान, किसान, व्यापारी, स्वंय सहायता समूह, आंगनबाड़ी सेविका सहायिका, आशाकर्मी यानि समूचा कामकाजी हिस्सा भाजपा व जदयू से हिसाब चुकता करेंगी। आने वाले दिनों में विपक्ष की और बड़ी एकता बनाते हुए भाजपा-जदयू के इस मानव व देशद्रोही कदमों के खिलाफ व्यापक आंदोलन चलाया जाएगा।
गृह मंत्री अमित शाह के वर्चुअल रैली के खिलाफ वामपंथी दलों के आह्वान पर विश्वासघात -धिक्कार दिवस मनाया गया।
वामदलों ने कहा आभासी रैली नहीं, रोजगार और कोरोना से बचाव की गारंटी करे सरकार।
गैर आयकर दाताओं को ₹7500, सभी को 10 किलो राशन देने और अन्य मांगों को लेकर प्रदर्शन किया गया। pic.twitter.com/7UlKhiAJr8— CPI(M) Bihar State Committee (@CPIMBIHAR) June 7, 2020
वाम नेताओं ने कहा कि मोदी सरकार ने पूरे देश की अर्थव्यवस्था को चौपट कर दिया है और कोरोना को लेकर अपनायी गई अफरा-तफरी की नीति ने देश को अराजकता के माहौल में धकेल दिया है। भारत के मजदूर वर्ग ने जो अकथनीय पीड़ा झेली है, उसे लोग कभी नहीं भूलेंगे और मोदी सरकार को कत्तई माफ नहीं करेंगे।
नेताओं ने कहा कि दिल्ली-पटना की डबल इंजन की सरकार पूरी तरह से फ्लाॅप रही है और इन्होंने बिहार की पहचान को धूमिल करने का काम किया है। बिहार में कोराना की जांच सबसे कम है और आने वाले प्रवासी मजदूरों के साथ सरकार का व्यवहार जानवरों जैसा है। पूरी सरकार सचिवालय की तीन किलोमीटर के दायरे में कैद है, और भ्रष्ट नौकरशाही के हवाले पूरा प्रदेश है। विपक्षी पार्टियों-सामाजिक संगठनों को दरकिनार कर सरकार ने तानाशाही तरीके से कोरोना से लड़ने का तरीका लिया है। फलतः कोरोना की बीमारी चिंताजनक स्थिति में पहुंचती जा रही है।