गैर संवैधानिक नागरिकता संशोधन कानून के विरोध के चलते 18 दिसंबर 2019 से कैद किये गए रिहाई मंच अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने लखनऊ जेल से बाहर निकलते ही मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि यह हमारा नहीं बल्कि संविधान का दमन है और देश की मां-बहनें संविधान को बचाने के लिए शाहीन बाग़ से लेकर मंसूर पार्क इलाहाबाद, लखनऊ घंटाघर, कानपुर तक डटी है। यह इस बात का संकेत है कि जनता दमन की राजनीति का जवाब देने के लिए बाबा साहब और महात्मा गांधी के रास्ते पर निकल चुकी है।
जेल से रिहा होने के बाद मुहम्मद शुऐब ने मीडिया से बात करते हुए गिरफ़्तारी के बाद थाने में उनके साथ लखनऊ पुलिस के बर्ताव के बारे में बिस्तार से बताया. उन्होंने बताया कि पुलिस ने उनके साथ गाली-गौलोज की. ठंड से बचने के लिए उन्हें कुछ नहीं दिया गया और उनके पूरे परिवार को जेल में बंद करने की धमकी दी.
रिहाई मंच अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने सरकार द्वारा रिहाई मंच की छवि खराब करने की कोशिश को साजिश करार दिया. उनसे रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव और मंच के बारे में जिस तरह पूछताछ हुई उसको लेकर उन्होंने उनकी सुरक्षा की गम्भीर चिन्ता जताई. जेल में बन्द अन्य लोगों ने भी कहा कि राजीव के बारे में उनसे पूछताछ हुई.
जेल के विषय पर पूछने पर उन्होंने कहा कि जिसका कोई नहीं उसके लिए रिहाई मंच मजबूती से लड़ेगा। उत्तर प्रदेश में 23 से अधिक बेगुनाहों ने अपनी जान गवाई और लगभग 1200 लोग जेल गए। इतना ही नहीं लगभग 5000 से अधिक लोगों को इस गैर संवैधानिक नागरिकता कानून के विरोध में डिटेन किया गया। जेल में बंद लोगों के ज़ख्म बात रहे थे कि लोकतंत्र और संविधान बचाने की इस कोशिश में उनको किस तरह से प्रताड़ित किया गया है। इन ज़ख्मो को देखना मेरे लिए बहुत पीड़ादायक अनुभव रहा।
रिहाई मंच अध्यक्ष के स्वागत के लिए आज लखनऊ जेल के बाहर लखनऊ सहित अन्य जिलों से उनके समर्थकों, सामाजिक एवं मानवाधिकार कार्यकताओं की भीड़ जुटी। रिहाई के बाद मुहम्मद शुऐब सीधे घंटाघर लखनऊ पर चल रहे महिलाओं के अनिश्चित कालीन धरने के लिए रवाना हो गए।
विज्ञप्ति: रिहाई मंच द्वारा जारी