आरबीआई के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने कार्यकाल पूरा होने के छह महीने पहले ही अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. उर्जित पटेल को आरबीआई का गवर्नर बनाए जाने के बाद दिसंबर 2016 में आचार्य को बैंक में डिप्टी गवर्नर के पद पर नियुक्त किया गया था.
Reserve Bank of India (RBI) Deputy Governor, Viral Acharya has resigned six months before the scheduled end of his term. He had joined RBI in 2017. (file pic) pic.twitter.com/RyxAt6fmAN
— ANI (@ANI) June 24, 2019
विरल आचार्य ने 20 जनवरी 2017 को कार्यभार ग्रहण किया था. उनकी नियुक्ति तीन साल के लिए हुई थी. विरल वी. आचार्य न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय के स्टर्न स्कूल में वित्त विभाग में 2008 से अर्थशास्त्र के प्रोफेसर थे. कुछ सप्ताह पहले आचार्य ने आरबीआई को पत्र लिखकर सूचित किया था कि अपरिहार्य निजी कारणों से 23 जुलाई, 2019 के बाद वह डिप्टी गवर्नर के अपने कार्यकाल को जारी रखने में असमर्थ हैं.
Reserve Bank of India: Dr Viral V. Acharya submitted a letter to RBI informing that due to unavoidable personal circumstances, he is unable to continue his term as a Deputy Governor of RBI beyond July 23, 2019. Consequential action arising from his letter is under consideration. pic.twitter.com/ZHZMQGxjxP
— ANI (@ANI) June 24, 2019
पिछले सात महीने में रिजर्व बैंक से इस्तीफा देने वाले आचार्य दूसरे बड़े पदाधिकारी हैं. इससे पहले आरबीआई की स्वायत्तता सहित कई मुद्दों पर सरकार के साथ बढ़ते मतभेदों के बीच उर्जित पटेल ने गवर्नर पद से दिसंबर 2018 में इस्तीफा दे दिया था.
विरल आचार्य के इस्तीफे की खबर पर कांग्रेस ने सवाल किया कि कहीं यह इस्तीफ़ा आरबीआई की स्वतंत्रता से जुड़ा तो नहीं है?
RBI Governor, Viral Acharya's resignation comes just six months before his tenure was due to end; could his abrupt decision have anything to do with his stance on reaffirming the RBI's independence from the current govt. https://t.co/iTtLQGyGBQ
— Congress (@INCIndia) June 24, 2019
आचार्य ने ऐसे समय में आरबीआई के डिप्टी गवर्नर का पद संभाला था जब केंद्रीय बैंक नोटबंदी के बाद रुपये जमा करने एवं निकालने की नीतियों में बार-बार बदलाव को लेकर आलोचनाओं का सामना कर रहा था.