शुक्रवार, 2 अगस्त को राज्यसभा में ‘गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) कानून (UAPA) संशोधन बिल’ 2019, तीखी बहस के बाद पारित हो गया. बिल के पक्ष में 147 और विपक्ष में 42 वोट पड़े. इस बिल में आतंक से संबंध होने पर संगठन के अलावा किसी शख्स को भी आतंकी घोषित करने का प्रावधान शामिल है. यह संशोधन विधेयक गत 24 जुलाई लोकसभा में पारित हो चुका था.
Unlawful Activities (Prevention) Act(UAPA) amendment, 2019 passed in Rajya Sabha pic.twitter.com/jfttTZvdmE
— ANI (@ANI) August 2, 2019
बिल पर चर्चा के दौरान गृहमंत्री अमित शाह ने कहा है कि इस बिल के दुरुपयोग की बात गलत है.गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि समय को देखते हुए इस विधेयक में बदलाव करने की जरूरत है.
कांग्रेस सरकार की नीयत पर सवाल उठाते हुए कहा कि वह अपने फायदे के लिए इस विधेयक का दुरुपयोग कर सकती है. कांग्रेस की तरफ से राज्यसभा सांसद पी. चिदंबरम और दिग्विजय सिंह ने व्यक्ति को आतंकी घोषित करने को लेकर सरकार की मंशा पर सवाल खड़े किए. चिदंबरम ने कहा कि संगठन को पहले से ही आतंकी घोषित किया जाता रहा है, ऐसे में व्यक्ति को आतंकी घोषित करने की जरूरत क्या है?
P Chidambaram in RS: If you see reasons for amendment, it says 'to empower NIA'.In passing you say 'empowers Centre to add or remove an individual's name as a terrorist', this mischief is why we are opposing this amendment, we are not opposing Unlawful Activities (Prevention) Act pic.twitter.com/mhnd8cmjfZ
— ANI (@ANI) August 2, 2019
कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कहा, ‘हमें भाजपा की नीयत पर संदेह है.कांग्रेस ने कभी आतंकवाद से समझौता नहीं किया और इसलिए हमने यह कानून बनाया. यह आप हैं जिन्होंने आतंकवाद से समझौता किया. पहले आपने रूबिया सईद और बाद में मसूद अजहर को छोड़ा.’
Digvijaya Singh in Rajya Sabha on #UAPABill : We doubt their(BJP) intent. Congress never compromised on terrorism that is why we had brought this law. It is you who compromised on terror, once during release of Rubaiya Saeed ji and second by letting off Masood Azhar. pic.twitter.com/12e2pgZCNw
— ANI (@ANI) August 2, 2019
गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्ष के सवालों को जवाब देते हुए कहा कि आतंकवादी घटनाओं में शामिल संस्थाओं पर प्रतिबंध लगने के बाद उसे संचालित करने वाला व्यक्ति दूसरे नाम से अपनी संस्था चलाने लगता है. उन्होंने कहा, ‘संस्था व्यक्ति से बनती है. घटना संस्था नहीं बल्कि व्यक्ति करता है। व्यक्ति के इरादे पर रोक लगाए बगैर उसकी गतिविधियों पर रोक नहीं लगाई जा सकती है. हम एक संस्था पर प्रतिबंध लगाते हैं और थोड़े दिन बाद वही व्यक्ति दूसरी संस्था बना लेता है इसलिए व्यक्ति पर प्रतिबंध लगाना जरूरी है.’
Home Minister Amit Shah in Rajya Sabha: Chidambaram ji asked why to name an individual as a terrorist when the organization they are affiliated to is already banned. It is because we ban one org, another one comes up by same individuals. Till when will we keep banning orgs? #UAPA pic.twitter.com/0inu9k8Zzx
— ANI (@ANI) August 2, 2019
अब NIA का इंस्पेक्टर रैंक का अधिकारी भी आतंकवादी गतिविधियों की जांच कर पाएगा. अभी तक सिर्फ डीएसपी और असिस्टेंट कमिश्नर या उससे ऊपर रैंक के अधिकारी को ही ऐसी जांच का अधिकार था.
किसी को दोषी ठहराने के प्रमाण का भार किसी भी दूसरे मामले में पुलिस के कंधे पर होता है लेकिन यूएपीए के मामलों में खुद को निर्दोष साबित करने की जिम्मेदारी आरोपी के कंधे पर होगी. इस मामले में जो पीड़ित होगा उसी को खुद को निर्दोष साबित करना होगा.