दिल्ली में जारी किसानों के समर्थन में कई देशों में भारतीय मूल के लोगों, खासतौर पर सिखों का प्रदर्शन जारी है। इंग्लैंड में भारतीय उच्चायोग के सामने हुए प्रदर्शन में शामिल कुछ लोग गिफ़्तार भी हुए हैं। कनाडा, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में भी आंदोलनकारी किसानों के समर्थन में प्रदर्शन हुआ है। उधर, संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने कहा है कि किसानों को प्रदर्शन का पूरा हक़ है।
अमेरिका में कैलिफोर्निया के विभिन्न हिस्सों के प्रदर्शनकारियों के सैन फ्रांसिस्को में भारतीय वाणिज्य दूतावास की ओर बढ़ने वाली कारों के बड़े काफिले ने बे ब्रिज पर यातायात बाधित कर दिया। इसके अलावा सैकड़ों प्रदर्शनकारी इंडियानापोलिस में एकत्र हुए।इससे एक दिन पहले शिकागो में सिख–अमेरिकी समुदाय के लोग एकत्र हुए और वाशिंगटन डीसी में भारतीय दूतावास के सामने विरोध रैली निकाली गई।
ऑस्ट्रेलियाई शहर मेलबर्न में भी भारतीय मूल के लोगों की तरफ से किसानों की मांग के समर्थन में विरोध कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं। ऑस्ट्रेलिया के ब्रैम्पटन और सरे, दोनों में पंजाबियों ने पहले भी नए कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किये थे। किसानों की मांग के समर्थन में आयोजित कार रैली को पंजाब किसान मोर्चा रैली नाम दिया गया है।
कनाडा में भी किसान आंदोलन को लेकर कई रैलियां हो रही हैं। बड़ी संख्या में सिख समुदाय के लोग टोरंटो समेत कई प्रमुख शहरों में किसान आंदोलन के समर्थन में रैली निकाल रहे हैं। जिसके बाद से कनाडा में भारतीय मिशन ने अतिरिक्त सुरक्षा की मांग की है।कनाडा के ओटावा में भारतीय उच्चायोग के बाहर विरोध प्रदर्शन चल रहे हैं। इससे परिसर में रहने वाले लोगों के मन में डर बैठ गया है। प्रदर्शनकारियों के भारतीय उच्चायोग के बाहर विरोध प्रदर्शन को देखते हुए यह मांग की गई है।
इस बीच कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने एक बार फिर किसानों के आंदोलन का समर्थन किया है। ट्रुडो ने शांतिपूर्ण प्रदर्शन के अधिकारों और मानवाधिकारों के साथ हमेशा खड़े रहने की बात की है। पीएम ट्रुडो के पिछले बयान पर भारत ने कड़ी आपत्ति जतायी थी।प्रतिक्रिया में विदेश मंत्री एस जयशंकर कोरोना की स्थिति पर विदेश मंत्रियों के साथ होने वाली बैठक में शामिल नहीं होंगे।
इस बीच संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने भारत में जारी किसानों के प्रदर्शन के संदर्भ में कहा है कि लोगों को शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने का अधिकार है और अधिकारियों को उन्हें यह करने देना चाहिए।