AIR और DD पर ”चार साल मोदी सरकार” प्रचार श्रृंखला की शुरुआत कहीं चुनाव की घंटी तो नहीं?

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मीडियाविजिल डेस्‍क


कर्नाटक में अपने 55 घंटे के मुख्‍यमंत्री के इस्‍तीफे और अतिनाटकीय प्रकरण के बाद ऐसा लगता है कि भारतीय जनता पार्टी चुनाव के मोड में जा रही है। प्रसार भारती द्वारा पूरे मई महीने के लिए दूरदर्शन और आकाशवाणी के कार्यक्रमों का एक शिड्यूल जारी किया गया है। इन कार्यक्रमों का थीम है ”चार साल मोदी सरकार”।

प्रसार भारती ने 18 मई को एक नोटिस जारी किया गया। इसमें कहा गया है कि आकाशवाणी और दूरदर्शन 18 मई से लेकर पूरे महीने तक एक ”एकीकृत योजना” के तहत सरकारी योजनाओं और मंत्रालयों के कार्यक्रमों से जुड़ी प्रचारात्‍मक सामग्री का नियमित प्रसारण करेंगे।

इस सामग्री का विवरण भी नोटिस में संलग्‍न है। इसके अलावा 18 मई से लेकर 31 मई के बीच हर दिन को प्रत्‍येक क्षेत्र के लिए समर्पित किया गया है। 18 मई को प्रचार की शुरुआत केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से होनी है और इस श्रृंखला का अंत 31 मई को  केंद्रीय मंत्री जुआल ओराम के साथ होना है।

निर्देश में साफ़ कहा गया है कि आकाशवाणी दिल्‍ली आकाशवाणी के आर्काइव से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषणों का 20-30 अंश निकाल के क्षेत्रीय प्रसारण केंद्रों को वहां की भाषा में भेजेगा। भाषणों के ये अंश दो मिनट की अवधि के होंगे।

ध्‍यान रहे कि 17 मई को कर्नाटक में बीएस येदियुरप्‍पा ने मुख्‍यमंत्री पद की शपथ ली थी और 18 मई को सुप्रीम कोर्ट ने फ्लोर टेस्‍ट की वीडियोग्राफी कराने का निर्देश दिया था। यह सरकारी निर्देश उसी दिन जारी किया गया। अगले दिन फ्लोर टेस्‍ट से पहले ही येदियुरप्‍पा ने पद से इस्‍तीफा दे डाला और परीक्षण नहीं हुआ। क्‍या केंद्र सरकार 18 मई को जान चुकी थी कि अगले दिन कर्नाटक में क्‍या होने वाला है? लोकसभा चुनाव को अभी एक साल बाकी है। ऐसे में आखिर प्रचार की इस सरकारी बेचैनी का मतलब क्‍या है?

इंडिया टुडे (हिंदी) के वरिष्‍ठ संपादक मोहम्‍मद वक़ास ने आजतक पर सोमवार को एक लेख लिखते हुए उन तथ्‍यों और घटनाक्रम की ओर इशारा किया है जिनसे पता लगता है कि अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव इसी साल सितंबर में हो जा सकते हैं। वक़ास लिखते हैं:

”बुधवार 16 मई को चुनाव आयोग और विधि आयोग की बैठक हुई. बी.एस. चौहान के नेतृत्ववाले तीन सदस्यीय विधि आयोग और मुख्य चुनाव आयुक्त ओ.पी. रावत और उनके सहयोगी सुनील अरोड़ा तथा अशोक लवासा ने लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने के प्रति अपना समर्थन जाहिर किया. निर्वाचन सदन में आयोजित इस बैठक में एक साथ चुनाव के लक्ष्य को ‘वांछनीय’ और ‘साध्य’ बताया गया. दोनों आयोगों ने 20 सवालों की सूची पर अपनी राय रखी लेकिन मुख्यतः उन मुद्दों पर बात की गई जो चुनाव संहिता लागू होने के बाद सरकार के कामकाज पर पड़ने वाले असर की वजह से उठते हैं.”

मो. वक़ास इस तथ्‍य की ओर भी ध्‍यान दिलाते हैं कि 18 मई को सरकार ने 24 वरिष्ठ आइएएस अधिकारियों का तबादला करके उन्हें विभिन्न मंत्रालयों में सचिव, विशेष सचिव, अतिरिक्त सचिव या चेयरमैन जैसे पदों पर बैठा दिया है। ”इनमें से अधिकांश अपने पद पर लंबे समय तक रहने वाले हैं। उन अधिकारियों को महत्वपूर्ण पद नहीं मिल रहा, जिनके पास मात्र तीन-चार महीने का कार्यकाल बचा है। केंद्रीय मंत्रालयों में इतने बड़े पैमाने पर नियुक्तियां यूं ही नहीं होतीं।”

कुल ‍मिलाकर देखें तो कर्नाटक विधानसभा का पकरणाम घोषित होने के ठीक बाद हर मोर्चे पर आई हलचल इस बात का संकेत कर रही है कि लोकसभा चुनाव जल्‍द हो सकते हैं। प्रसार भारती पर सुनियोजित और सिलसिलेवार ढंग से सरकारी प्रचार संबंधी निर्देश भी इसी की पुष्टि कर रहा है।


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