इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार से सूबे में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध में हिंसक विरोध-प्रदर्शन के दौरान पुलिस उत्पीड़न की समूहों, संगठनों व व्यक्तिगत शिकायतों पर की गई कार्रवाई का ब्योरा मांगा है. कोर्ट ने यह भी पूछा है कि पुलिस के खिलाफ कितनी शिकायतें दर्ज की गईं. विरोध-प्रदर्शन में कितने लोग मरे एवं कितने लोग घायल हुए। घायलों को प्रदत्त चिकित्सा सुविधा की जानकारी दी जाए. साथ ही मीडिया रिपोर्ट की सत्यता की जांच की गई या नहीं.
Violence after protests over CAA & NRC: Allahabad HC has asked for info on the postmortem report of all deceased, medical treatment of police personnel & others, from state govt. Court has also asked for details on procedure of the imposition of Sect 144 in the state at the time. pic.twitter.com/9C5yEYTPvs
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) January 27, 2020
न्यायालय ने सोमवार को एक अहम कदम उठाते हुए राज्य सरकार से कहा है कि वह सुनवाई की अगली तारीख 17 फरवरी तक नागरिकता संशोधन कानून विरोधी प्रदर्शनकारियों के खिलाफ पुलिस अत्याचार के आरोपों पर अपनी रिपोर्ट दाखिल करे. मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर और न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा की दो जजों की पीठ ने कई जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया है.
#AntiCAAProtests: Allahabad HC asks UP govt to file report on allegations of police atrocities by Feb 17.
— Press Trust of India (@PTI_News) January 27, 2020
मुंबई के वकील अजय कुमार की पीआईएल, पूर्व सीआईसी वजाहत हबीब उल्ला, सामाजिक कार्यकर्ता स्वामी अग्निवेश समेत 14 अर्जियों पर सुनवाई करते हुए अदालत ने हिंसा में मारे गए 23 प्रदर्शनकारियों की मौत के मामले में दर्ज एफआइआर और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट भी तलब की है. पीठ ने घायलों की मेडिकल रिपोर्ट और हिंसा में घायल पुलिस वालों का ब्योरा भी तलब किया है. हाईकोर्ट ने मृतकों के परिजनों को पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट देने का भी निर्देश दिया.
उत्तर प्रदेश में 20 दिसंबर को सीएए के विरोध प्रदर्शन के दौरान पुलिस गोलीबारी में कथित रूप से लगभग 20 से अधिक लोग मारे गए थे.