लखनऊ, 13 दिसंबर 2019। रिहाई मंच ने नव पारित विवादित नागरिकता अधिनियम (संशोधित 2019) के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की है।
रिहाई मंच नेता गुफरान सिद्दीकी ने बताया कि अधिनियम के खिलाफ रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव ने सुप्रीम कोर्ट में ‘रिहाई मंच व अन्य बनाम भारत संघ’ याचिका दाखिल की है। इस याचिका में रिहाई मंच के साथ सिटिज़ंस अगेंस्ट हेट भी सह याची है।
उन्होंने कहा कि याचिका में उच्चतम न्यायालय से गुहार लगाई गई है कि नागरिकता अधिनियम (संशोधित 2019) भेदभावपूर्ण है और यह संविधान के अनुच्छेद 14 और 25 से असंगत है क्योंकि यह धर्म के आधार पर भेदभाव करता है। संविधान के दिशा निर्देशक तत्व में स्पष्ट कहा गया है कि भारत एक धर्मनिर्पेक्ष सेक्युलर गणतंत्र है जबकि विधेयक नागरिकता के मुद्दे पर धर्म को समाविष्ट करता है।
उन्होंने कहा कि याचिका के माध्यम से माननीय उच्चतम न्यायालय से अनुरोध किया गया है कि अधिनियम में धर्म से सम्बंधित प्रावधानों को गैर संवैधानिक घोषित किया जाए और साथ ही सरकार द्वारा 2015-16 में ऐसी अधिसूचनाएं भी जारी की गई थीं जो अनुच्छेद 14 और 21 का हनन करती हैं और संविधान की मूल संरचना के खिलाफ जाती हैं।
गुफरान सिद्दीकी ने कहा कि देश में नागरिकता विधेयक के खिलाफ असम, त्रिपुरा, मेघायल में हिंसक विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। वहां इंटरनेट और एसएमएस सेवाएं बंद कर दी गई हैं। सम्पूर्ण उत्तर पूर्व में स्थिति विस्फोटक बनी हुई है। अर्धसैनिक बल तैनात किए गए हैं, पुलिस फायरिंग प्रदर्शनकारियों के मारे जाने के समाचार मिल रहे हैं।
इसके अलावा पूरे देश में जगह-जगह विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। एएमयू और जामिया समेत देश भर के विश्वविद्यालयों के छात्र इस बिल के खिलाफ सड़क पर हैं। छात्रों पर फर्जी मुकदमे लादे जा रहे हैं। आज होने वाले विरोधों का बलपूर्वक दमन किया गया। लखीमपुर खीरी के मोहम्मदी समेत सूबे में होने वाले शांतिपूर्वक विरोधों को प्रशासन ने जबरन रोककर स्थिति तनावपूर्ण बना दी। इन हालात को देखते हुए याचिका पर त्वरित सुनवाई देशहित में है। हम माननीय उच्चतम न्यायालय से आशा करते हैं वह जनहित में इस याचिका की अतिशीघ्र सुनवाई करेगा।
द्वारा जारी
रॉबिन वर्मा
रिहाई मंच