पेट्रोल-डीज़ल के दाम में लगी आग, सीरिया संकट से 90 रुपये लीटर पर पहुंच सकती है कीमत

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पिछले साढ़े पांच साल में पेट्रोल और डीज़ल के दाम सबसे ऊंचे स्‍तर पर पहुंच गए हैं। भारत के मतदाताओं ने मई 2014 में नरेंद्र मोदी सरकार को अच्‍छे दिनों के वादे पर भरोसा कर के चुना था लेकिन ऐसा लगता है कि जनता के बजाय तेल कंपनियों के अच्‍छे दिन आ गए हैं। मुंबई में पेट्रोल का दाम अस्‍सी के पार हो गया है तो दिल्‍ली में अस्‍सी के करीब पहुंचने की ओर भाग रहा है। इसका सीधा असर रोज़मर्रा की सेवाओं पर पड़ना तय है।

शुक्रवार को दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 74.08 रुपये प्रति लीटर के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई, जो लगभग पांच वर्षों में सबसे अधिक है। इससे पहले सितंबर 2013 में अधिकतम कीमत 74.10 रुपये प्रति लीटर तक थी।

इंडियन आयल की वेबसाइट पर दिए आंकड़ों के अनुसार कोलकाता, मुंबई और चेन्नई में कीमतें क्रमशः 76.78 रुपये, 81.93 रुपये और 76.85 रुपये प्रति लीटर पर पहुंच गई हैं। 2014 में इन शहरों में उच्चतम दर 78.03 रुपये (कोलकाता, अगस्त 2014), 82.07 रुपये (मुंबई, मार्च 2014) और 76.93 (चेन्नई, जुलाई 2014) थे।

कच्चे तेल की मजबूत मांग के साथ पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन द्वारा चालू आपूर्ति में कटौती की वजह से कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी के साथ शुक्रवार को पेट्रोल की कीमतों में तेजी आई है।

इस बारे में हिंदुस्‍तान अख़बार ने टिप्‍पणी की है:

“सीरिया में चल रहे तनाव के बीच अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें और बढ़ने की आशंका है। वैश्विक रिसर्च फर्म जेपी मॉर्गन ने सोमवार को आशंका जताई है कि इस कदम से भारत में पेट्रोल की कीमत 90 रुपये प्रति लीटर हो सकती है। जेपी मॉर्गन के मुताबिक, अमेरिका द्वारा सीरिया पर किए गए हालिया हमले की वजह से मध्य पूर्व में तनाव बढ़ गया है। चूंकि तेल उत्पादक देश ईरान भी सीरिया के पक्ष में खड़ा है, इस कारण ईरान पर नए अमेरिकी प्रतिबंध लगने की आशंका भी बढ़ गई है। भारत अपनी जरूरत का अधिकतर तेल आयात करता है, जिसका भुगतान अमेरिकी मुद्रा डॉलर में करते किया जाता है। ऐसे में अगर कीमतें बढ़ीं तो हमें ज्यादा डॉलर देने होंगे, जिसका असर रुपये के भाव पर भी पड़ेगा। डॉलर की ज्यादा मांग होगी तो डॉलर का भाव मजबूत होगा और रुपये का भाव कमजोर हो जाएगा, जिससे हम पर दोहरी मार पड़ेगी। मॉर्गन ने बताया कि फिलहाल अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें वर्ष 2014 के बाद सबसे ज्यादा हैं। अभी मुंबई में पेट्रोल की कीमत करीब 82 रुपये प्रति लीटर है, जो 90 रुपये तक जा सकती है।”

अखबार लिखता है, “तेल कीमतें बढ़ने से रुपया कमजोर होगा, जिससे सभी तरह के आयात महंगे हो जाएंगे और महंगाई बढ़ने का भी खतरा होगा। कच्चे तेल के लिए ज्यादा कीमत चुकानी होगी, जिसका सीधा असर सरकार के राजकोषीय घाटे पर पड़ेगा और सरकार की उधारी बढ़ेगी। इससे आम आदमी पर भी दोहरी मार पड़ने की आशंका है। जेपी मॉर्गन के मुताबिक, वैसे तो सीरिया वैश्विक पेट्रोलियम आपूर्ति का केवल 0.04 फीसदी ही उत्पादन करता है। लेकिन इसके पड़ोस में मौजूद कई देश बड़े तेल उत्पादक हैं। सीरिया की सीमा ईराक से मिलती है, जो तेल उत्पादक संगठन ओपेक का दूसरा सबसे बड़ा सदस्य है। इसके अलावा सऊदी अरब और ईरान जैसे बड़े तेल उत्पादक देश भी इसके पास हैं। लिहाजा सीरिया के तनाव का असर इन पर भी पड़ेगा और तेल कीमतें बढ़ेंगी।”

 


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