सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जजों मदन बी. लोकुर , कुरियन जोसेफ और दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस एपी शाह सहित नागरिकों के निर्णायक मंडल ने असम में एनआरसी मुद्दे से निपटने में शीर्ष अदालत के तरीके की सख्त आलोचना की. इस पीपुल्स ट्रिब्यूनल का आयोजन बीते 7-8 सितम्बर को दिल्ली में किया गया.
The interim report from the #jury of #PeoplesTribunalAssam is here. After hearing all our experts and testimonies, the jury acknowledged that the #NRC has 'spawned a humanitarian crisis' in #Assam that has 'no signs of abating'. pic.twitter.com/0s0dM5iPO8
— People's Tribunal on State Action in UP (@UPTribunal) September 9, 2019
जूरी ने असम के लोगों की व्यक्तिगत गवाही और कानूनी विशेषज्ञों को सुना जिन्होंने एनआरसी को अपडेट करने की प्रक्रिया में भाग लिया था. इसमें अधिवक्ता अमन वदूद, गौतम भाटिया, वृंदा ग्रोवर और मिहिर देसाई शामिल थे.
Those not included in the #NRC if they are not allowed to live with dignity, their rights under Article 21 are affected": Justice Kurian Joseph @karwanemohabbat @AssamTribunal19 @pbhushan1 https://t.co/8AjOpN2YHn
— Live Law (@LiveLawIndia) September 9, 2019
खबर के अनुसार, जूरी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के जिस फैसले ने एनआरसी प्रक्रिया को शुरू किया वह असत्यापित और अप्रमाणित डाटा पर आधारित था, जिसके अनुसार बाहरी आक्रोश के कारण भारत में प्रवासन हो रहा है. यही कारण था कि अदालत ने प्रवासियों के साथ अमानवीय व्यवहार किया और उनके स्वतंत्रता एवं सम्मान के साथ जीने के अधिकार का उल्लंघन किया.
जूरी ने आगे कहा, ‘इतने बड़े पैमाने पर चलाए गए अभियान के बावजूद न्यायपालिका की समय सीमा तय करने की जिद ने प्रक्रिया और इसमें शामिल लोगों दोनों पर दबाव बढ़ा दिया.’ जूरी की रिपोर्ट में कहा गया है कि जब अदालत इस तरह की प्रक्रियाओं का ‘कार्यभार’ संभालती है, तो गलतियों को ठीक करने में समस्या आती है.
Assam NRC: Deprivation of citizenship should be through rigorous procedure, says People's Tribunal #NRC #AssamNRC https://t.co/78ra3mTsCg
— Bar and Bench (@barandbench) September 9, 2019
जूरी ने जोर देकर कहा कि नागरिकता अधिकारों के होने का अधिकार है और यह आधुनिक समाज में सबसे बुनियादी, मौलिक मानवाधिकारों में से एक है.जूरी ने कहा, ‘एनआरसी से बाहर किए जाने, विदेशी घोषित किए जाने और अंत में हिरासत केंद्र में भेजे जाने के डर ने कमजोर समुदायों, विशेषकर बंगाल मूल के असमिया मुस्लिम और असम राज्य में रहने वाले बंगाली हिंदुओं के बीच स्थायी दुख की स्थिति पैदा हो गई है.’
जूरी की रिपोर्ट :
Assam-NRC-Peoples-Tribunal-Interim-Jury-Report