यक़ीन करना मुश्किल है, पर दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत को अब उस सूची में डाला जा रहा है जहाँ रवाँडा जैसे देश हैं, या फिर वे जहाँ लोकतंत्र का नामो निशान नहीं है। इज़रायली जासूसी साफ़्टवेयर पेगासस के ज़रिये अपने देश के पत्रकारों, नेताओं, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, यहाँ तक कि सुप्रीम कोर्ट के जज की जासूसी कराने वाले देशों में भारत का नाम भी शामिल हो गया है। भारत के चालीस से ज़्यादा पत्रकारों के नाम सामने आये हैं जिनकी जासूसी हुई है। अगले कुछ दिनों में अन्य नाम भी सामने आयेंगे।
यह एक दुनिया भर के 17 मीडिया संस्थानों की ओर से साझा प्रोजेक्ट था जिसके तहत हुई पड़ताल में यह सच्चाई सामने आयी है। चूँकि यह जासूसी सॉफ्टवेयर केवल सरकारों को बेचा जाता है, इसका मतलब है कि भारत सरकार भी इसमें शामिल है, हालाँकि उसने औपचारिक रूप से इसका खंडन किया है। इज़रायली कंपनी के क्लाइंट्स की एक सूची लीक हुई जिसमें 300 भारतीयों के नंबर हैं। इन नंबरों को मंत्री, पत्रकार, विपक्षी नेता और जज इस्तेमाल करते रहे हैं।
जासूसी कराने वाले देशों में भारत के अलावा अजरबैजान, बहरीन, कजाकिस्तान, मेक्सिको, मोरक्को, रवांडा, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात शामिल हैं। इस प्रोजेक्ट में इंग्लैंड का मशहूर द गार्जियन और अमेरिका का वाशिंगटन पोस्ट भी शामिल है। भारत से वेब पोर्टल द वायर इसका हिस्सा रहा है जिसके दोनों संस्थापक संपादक सिद्धार्थ वरदराजन और एम.के.वेणु इस जासूसी का शिकार बने हैं। इसके अलावा अमित शाह के बेटे जय शाह की कंपनियों से जुड़े कांड का रहस्योद्घाटन करने वाली पत्रकार रोहिणी सिंह और द वायर की डिप्लोमैटिक एडिटर देवीरूपा मित्रा को भी निशाना बनाया गया है।
जिन पत्रकारों के नाम आये हैं, उनकी सूची-
हिंदुस्तान टाइम्स
शिशिर गुप्ता, प्रशांत झा, औरंगजेब नक्शबंदी और राहुल सिंह
सैकत दत्ता (पूर्व)
द हिंदू
विजेता सिंह
इंडियन एक्सप्रेस
मुजामिल जलील, रितिका चोपड़ा, सुशांत सिंह(पूर्व)
इंडिया टुडे
संदीप उन्नीथन
द वायर
सिद्धार्थ वरदराजन, स्वाति चतुर्वेदी, देवीरूपा मित्रा, रोहिणी सिंह, एमके वेणु
द पायनियर
जे गोपीकृष्णन
न्यूजक्लिक
प्रंजॉय गुहा ठाकुरता
फ्रंटियर टीवी
मनोरंजन गुप्ता
स्वतंत्र पत्रकार
शबीर हुसैन बुच
इफ्तिकार गिलानी
प्रेमशंकर झा
संतोष भरतीय
दीपक गिडवानी
भूपिंद सिंह सज्जन
जसपाल सिंह हेरान
इंडियन अहेड
स्मिता शर्मा
कार्यकर्ता
हसन बाबर नेहरू
उमर खालिद
रोना विल्सन
रूपाली जाधव
डिग्री प्रसाद चौहान
लक्ष्मण पंत
रक्षा मामलों को कवर करने वाले पत्रकारों की जासूसी से एक बात साफ़ हुई है कि इसका रिश्ता राफ़ेल घोटाले से जुड़ी ख़बरों पर नज़र रखने के लिए भी हो रहा था। यह जासूसी 2018-2019 के बीच हुई थी जिसकी हक़ीक़त अब सामने आयी है। ख़बर है कि पत्रकारों के बाद राजनेताओं और अन्य के नाम भी सामने आयेंगे जिनकी जासूसी करायी गयी है।
हैरानी की बात है कि इस सूची में पश्चिमी देशों का नाम नहीं है। कहते हैं कि यह साफ्टवेयर बना ही ऐसा है कि किसी अमेरिकी नागरिक का नंबर हैक नहीं कर सकता। वजह ये है कि वहाँ निजता का कानून बहुत सख्त है और कड़ी सज़ा संभव है। पर भारत जैसे देश में निजता का अधिकार ज़ुबानी जमाखर्च से ज़्यादा कुछ नहीं है। और जब सरकार ही लोगों को निशाना बनाने लगे तब तो वैसे भी कोई मतलब नहीं रह जाता। भीमा कोरेगांँव के मामले में जितने बुद्धिजीवी जेलों में बंद हैं, उनके बारे में भी यह प्रमाणित हुआ है कि पीएम की हत्या की साज़िश रचने से जुड़े दस्तावेज़ उनके कंप्यूटरों में प्लांट किये गये थे।
मोदी जी को जनता ने दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का जिम्मा सौंपा था, उन्होंने इसे रवांडा बना दिया। बहरहाल, ख़बर आते ही मीडिया विजिल ने सोशल मीडिया पर इसे लेकर एक विस्तृत चर्चा की थी, जिसे आप नीचे देख सकते हैं।