इस्लामी विचारधारा परिषद,पाकिस्तान यानि काउन्सिल ऑफ़ इस्लामिक आइडियोलॉजी ने जबरन धर्म परिवर्तन को गैर -इस्लामिक करार दिया है. काउन्सिल ने कहा है कि मर्जी के खिलाफ किसी का जबरन धर्म परिवर्तन करना इस्लाम के विरुद्ध है. पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के जबरन धर्म परिवर्तन की रिपोर्टों के बीच यह खबर आई है.
The Council of Islamic Ideology during its two-day session took up the matter of forced conversions and decided to include minority leaders in the consultation process, The News reported on Thursday.https://t.co/etfcNnGyGS
— The Hindu (@the_hindu) January 9, 2020
गौरतलब है कि पाकिस्तान से लगातर हिन्दुओं और सिखों की लड़कियों का जबरन धर्म परिवर्तन की ख़बरें आती हैं, ऐसे में काउंसिल ऑफ इस्लामिक आइडियोलॉजी ने दो दिवसीय एक सम्मेलन में इसे गैर-इस्लामिक और असंवैधानिक करार दिया है.
ख़बरों के अनुसार काउंसिल ऑफ इस्लामिक आइडियोलॉजी ने अपने दो दिवसीय सत्र के दौरान जबरन धर्मांतरण का मामला उठाया और अल्पसंख्यक नेताओं को परामर्श प्रक्रिया में शामिल करने का निर्णय लिया.
Pakistan’s Council of Islamic Ideology terms forced conversion ‘un-Islamic’https://t.co/U7vLsT6tcf pic.twitter.com/XpiBPF4qf0
— The Indian Express (@IndianExpress) January 9, 2020
बता दें, कि पाकिस्तान और बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के जबरन धर्म परिवर्तन को लेकर भारत में राजनीति गर्म रहती है.
सीआईआई का कहना है कि इस्लाम जबरन धर्मांतरण की अनुमति नहीं देता है. धार्मिक मामलों के मंत्रालय से उनके लिए एक पर्फोमा बनाने को कहा गया था जो धर्म परिवर्तन कर इस्लाम स्वीकार करना चाहते हैं.
The Council of Islamic Ideology (CII) during its two-day session took up the matter of forced conversions and decided to include minority leaders in the consultation processhttps://t.co/ou7EtsdfMr
— Financial Express (@FinancialXpress) January 9, 2020
दो दिवसीय बैठक के बाद यहां एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए, सीआईआई के अध्यक्ष डॉ. क़िबला अयाज़ ने कहा कि जबरन धर्म परिवर्तन इस्लामिक शिक्षाओं का उल्लंघन है और संविधान का उल्लंघन भी है.
बीते जुलाई में, प्रधान मंत्री इमरान खान ने जबरन धर्मांतरण की प्रथा को “गैर-इस्लामिक” करार दिया था और कहा था कि इस्लामी इतिहास में कोई मिसाल नहीं है.