पत्रकारिता में आने वाले छात्र-छात्राओं में से 55.76 फीसदी छात्र अपने स्कूल के समय में डॉक्टर, इंजीनियर, वैज्ञानिक, प्रबंधक, राजनीतिज्ञ, वकील, शिक्षक या उद्योगपति बनना चाहते थे लेकिन उनकी आकांक्षाएं पूरी नहीं हो…
किसी ने कहा था कि सच जब तक घर से चलता है तब तक झूठ दुनिया का चक्कर लगा कर आ चुका होता है. प्रोपगंडा के इस दौर में इसीलिए सही ख़बरों का…
भारत में मीडिया जो भूमिकाएँ निभा रहा है उसे समझने के लिए सबसे पहले हमें ऐतिहासिक संदर्भों को समझना होगा। वर्तमान भारत अपने इतिहास में एक संक्रमण के दौर से गुज़र रहा है:…
आईआईएमसी के प्रो.आनंद प्रधान ने 19 फरवरी को जेएनयू के आंदोलनकारी छात्रों के समर्थन में भाषण देते हुए विस्तार से बताया कि कैसे गढ़ी जाती हैं झूठी ख़बरें। टीवी और अख़बार कैसे करते…
हां तो मुबंई, कितने आदमी थे. टाइम्स ऑफ इंडिया, मुंबई – 500 लोग थे. हमने पहले पेज पर छाप दिया है कि रोहित केस के कारण 500 लोग आए और दक्षिण मुंबई जाम!…
अरसे बाद भारत के शिक्षा परिसरों में ऐसी अंगड़ाई दिख रही है जिसका रिश्ता नवजागरण से बनता है। रोहित वेमुला की ख़ुदकुशी और इसके ज़रिये सामने आये शोषण की दिल दहला देने वाली…
क्या आप अपने घर में अखबार की रद्दी रखते हैं? सारे न्यूज चैनल, अखबार लगातार निगेटिव रिपोर्टिंग करके या खबरों की अनदेखी करके भी रोहित वेमुला मुद्दे को दबा क्यों नहीं पाए? ….…
ये जो प्रबुद्ध लोग पुस्तक मेले के लेखक मंच पर बैठे दिख रहे हैं, ये मीडिया की विश्वसनीयता पर बहस कर रहे हैं। इस कार्यक्रम के प्रायोजक हैं विंध्य न्यूज़ नेटवर्क, कैमूर टाइम्स,…