ख़ुशख़बरी: लंदन में बना कोरोना का टीका, इंसानों पर शुरू हुआ ट्रायल

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कोरोना वायरस से जूझ रहे इंसान ने क़ामयाबी की ओर एक क़दम बढ़ा दिया है। आज यानी गुरुवार 23 अप्रैल को लंदन में कोरोना वायरस वैक्सीन का इंसान पर परीक्षण यानी क्लीनिकल ट्रायल शुरू हो रहा है। इसका नतीजा जो हो, लेकिन यह प्रक्रिया अपने आप में इंसान की कोशिशों और हौसले को बढ़ाने वाली है।

यह वैक्सीन आक्सफोर्ड युनिवर्सिटी की वैक्सीनोलॉजी विभाग की प्रोफेसर सारा गिलबर्ट की टीम द्वारा विकसित की गयी है। सरकार ने इस टीम को रिसर्च के लिए 20 मिलियन (दो करोड़) पाउंड दिये हैं। साथ ही लंदन के इंपीरियिल कॉलेज के प्रोफेसर रॉबिन शेटौक को भी 22.5 मिलियन (दो करोड़ 25 लाख) पाउंड दिये गये हैं जिनकी टीम भी कोरोना वैक्सीन विकसित करने में जुटी है। अब ये स्वस्थ वैज्ञानिक प्रतिस्पर्धा का मामला बन गया है कि किसकी वैक्सीन पहले बन जाती है। जो भी हो, ब्रिटेन और उसके विज्ञानी कोरोना संकट के दौरान वैज्ञानिक उपायों की तलाश में अव्वल बनकर उभरे हैं।

ब्रिटेन के स्वास्थ्य मंत्री मैट हैनकॉक ने एक प्रेस कान्फ्रेंस में बताया कि ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के विज्ञानियों की बनायी वैक्सीन का परीक्षण 23 अप्रैल से शुरू होगा जिसकी सफलता दर 80 फीसदी तक होने की उम्मीद है।

जानकारी के मुताबिक पहले चरण में 510 लोगों पर यह वैक्सीन टेस्ट की जाएगी। जिन पर परीक्षण होगा, उनकी उम्र 18 से 44 साल के बीच है। यह टीका शरीर मे वायरस के खिलाफ लड़ने की ताकत पैदा करेगा।

ऑक्सफोर्ड की टीम ट्रायल पूरा होने से पहले ही वैक्सीन के उत्पादन की योजना बना रही है ताकि सितंबर तक कम से कम एक लाख वैक्सीन तैयार हो जाएं। फिलहाल, कोविड-19 न होने की वजह से दुनिया भर मे लॉकडाउन को ही उपाय माना जा रहा है, लेकिन इससे आर्थिक गतिविधियां ठप हो गयी हैं जिससे गरीबों के सामने भूखे मरने की नौबत आ गयी है।

मैट हैनकॉक ने कहा, “कोरोना वायरस को हराने का सबसे अच्छा तरीका एक वैक्सीन है, क्योंकि यह एक नई बीमारी है, यह अनिश्चित विज्ञान है, लेकिन हमें यकीन है कि हम वैक्सीन विकसित करने के लिए अपना सब कुछ दांव पर लगा देंगे।”

ब्रिटेन के स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि सरकार वैक्सीन उत्पादन क्षमता में भी निवेश कर रही है, जिससे में से कोई भी वैक्सीन कारगर साबित होती है, तो इसे ब्रिटेन के लोगों के लिए जल्द से जल्द उपलब्ध कराया जा सके।

पहले चरण की सफलता के बाद दूसरे चरण में इस वैक्सीन को अधिक उम्र, 70 वर्ष या अधिक, के लोगों पर टेस्ट किया जाएगा। इसके बाद तीसरे चरण का परीक्षण किया जाएगा, जिसमें 18 से अधिक उम्र वाले 5,000 लोगों पर इसकी टेस्टिंग होगी। इसमें से आधे लोग कोविड-19 ग्रस्त होंगे।


 

 


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