नोटबंदी से शुरू हुई आर्थिक बरबादी की प्रक्रिया लॉकडाउन के साथ आर्थिक सुनामी में तब्दील हो गयी है। ऐसा लगता है कि लोगों के पास जान देने के अलावा कोई रास्ता ही नहीं बचा। राष्ट्रीय क्राइम रिपोर्ट ब्यूरो (NCRB) के ताज़ा आँकड़े बताते हैं कि पिछले साल हर घंटे एक व्यक्ति ने ख़ुदकुशी की है। इनमें रिश्तों में आये तनाव का भी असर था, लेकिन बड़ी भूमिका गरीबी, बेरोज़गारी और क़र्ज ने अदा किया।
NCRB की रिपोर्ट के मुताबिक 2019 में बेरोज़ागारी की वजह से हर घंटे भारत में एक खुदकुशी हुई। गरीबी, बेरोज़गारी, क़र्ज़ और दिवालियापन इसकी बड़ी वजह रही। कुल एक लाख तीस हज़ार ख़ुदकुशी हुई 2019 में कुल 1 लाख 30 हज़ार भारतीयों ने ख़ुदकशी की। इनमें करीब 8 फ़ीसदी यानी 11,268 आत्महत्या गरीबी, बेरोज़ागरी, कर्ज़ वगैरह की वजह से 11,268 हुईं। इनमें 2800 बेरोज़गारी की वजह से और 2509 लोगों की खुदकुशी की वजह गरीबी थी। बाकी की वजह कर्ज़ और दिवालियापन रहा। 2018 के मुकाबले खुदकुशी में 4 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई, लेकिन गरीबी की वजह से जान देने वालों में सौ फ़ीसदी का इज़ाफ़ा हुआ जबकि दिवालिया होने से खुदकुशी के मामलों में 200 फीसदी का इजाफा हुआ।
लॉकडाउन का क्या असर पड़ा है, इसका दर्दनाक उदाहरण राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के चमचमाते शहर नोएडा से आया है। इस साल यानी 20202 में अब तक नोएडा में 195 लोगों ने ख़ुदकुशी की है। इनमें 74 प्रतिशत आत्महत्या लॉकडाउन के बाद यानी अप्रैल से अगस्त के बीच हुई हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक इसी हफ्ते के शुरुआती तीन दिनों में छह पुरुषों और दो महिलाओं ने नोएडा में आत्महत्या की। पुलिस के मुताबिक छँटनी और बेरोज़गारी ज्यादातर मामलों में सबसे बड़ी वजह थी।
6 अगस्त को सेक्टर 82 में 48 साल में धर्म दत्त भट्ट ने खुदकुशी की जो एक आईटी कंपनी में काम करते थे। मार्च में उन्हें नौकरी से हटा दिया गया था, इसके बाद हुए लॉकडाउन ने उकी रही सही कमर तोड़ दी। धर्म दत्त की पत्नी ने इस मामले में उस कंपनी के मालिक के ख़िलाफ़ थाने में शिकायत दर्ज करायी थी जहाँ से उन्हें निकाला गया था। बुधवार और गुरुवार की दरम्यानी रात को सेक्टर 63 के जे ब्लॉक में 32 साल के जयप्रकाश पँवार ने एक जूता कंपनी के अंदर फाँसी पर लटककर जान दे दी। जय प्रकाश इलेक्ट्रीशियन का काम करते थे। बुधवार को हबीबपुरा गाँव में 24 साल के फूलसन सिंह ने भी फाँसी लगा ली थी।
जनवरी और मार्च के बीच नोएडा में 50 ख़ुदकुशी हुईं जिनमें जनवरी में 16, फरवरी में 19, मार्च में 15 में आत्महत्याएँ हैं। इसके बाद 24 खुदकुशी अप्रैल में हुईं। इसके बाद लाकडाउन लागू हुआ और अप्रैल में 24 खुदकुशी हुईं। मई में 31 और जून में 34 लोगों ने जान दी। जुलाई में 30 और अगस्त में 26 लोगों ने खुदकुश की।
पुलिस के मुताबिक कुछ मामलों में निजी रिश्तों में समस्या भी थी, लेकिन ज़्यादातर मसलों में निजी क्षेत्र में काम करने वालों के आर्थिक परेशानी में फँसना ही सबसे बड़ी वजह थी। कुल मिलाकर आर्थिक संकट के इस दौर में लोगों में निराशा और अवसाद बढ़ा है। न सरकार और न ही समाज की ओर से उन्हें कोई ढाँढस मिल रहा है। ज़िंदगी के मोर्चे पर अकेला पड़ा इंसान अक्सर मानसिक कमज़ोरी का शिकार हो जाता है। इन ख़ुदकुशी के पीछे ऐसी ही कारण हैं।