डर क्यों? स्थानीय अखबारों में विज्ञापन देकर सरकार ने कश्मीरियों से पूछा सवाल

रोहिण कुमार
ख़बर Published On :


आज कश्मीर के अखबारों में एक सरकारी विज्ञापन छपा है। ग्रेटर कश्मीर दैनिक के पहले पन्ने पर छपे जम्मू और कश्मीर सरकार के इस विज्ञापन को वहां के पुलिस अधिकारी इम्तियाज़ हुसैन ने ट्वीट किया है। 

सरकार लगातार कश्मीरियों से अपील कर रही है कि वे अपनी दुकानें खोले और काम पर लौट आएं. इधर भारतीय मीडिया बताता रहता है कश्मीर में हालात सामान्य हैं. प्रेस कॉन्फ्रेंस में पुलिस कहती है हालात सामान्य है. कश्मीर के स्थानीय अखबारों के माध्यम से सरकार लगातार अपील कर रही है. आज भी कश्मीर के अखबारों में सरकार की अपील पहले पन्ने पर छपी है. सवाल ये है कि जब हालात सामान्य हो गए हैं (जैसा सरकार दावा करती रही है) तो इस तरह के विज्ञापन का क्या मतलब है?

श्रीनगर में मुझे लोगों ने बताया कि उन्होंने अपनी दुकानें स्वेच्छा (वॉलेंट्रियली) से बंद कर रखी है. प्रशासन चाहता है कि दुकानें खुल जाएं. सरकार कहती है कि हालात सामान्य हैं.

कई कश्मीरियों ने बातचीत में पूछा- “आप भारत का कोई एक राज्य बताएं जो लगातार डेढ़ से दो महीने बंद रह सकता है? कश्मीर में हमने छह-छह महीने बंदी देखी है. आप कश्मीरियों को गैर-जरूरी और दोयम करार कर दें और फिर उम्मीद करें कि हम सामान्य हो जाएं- यही हथकंडा तो अबतक भारत सरकार अपनाती आई है! हम कश्मीरी ये बताना चाहते हैं कि हालात बेहतर नहीं है. हमारी दुकानों का शटर गिरा होना बताता है कि हम भारत के फैसले से खुश नहीं हैं. यह हमारे लिए अब आत्मसम्मान की लड़ाई है. हमारे साथ भारत ने जो विश्वासघात किया है, ये उसका जवाब है”.


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