वरिष्ठ वकील और सामाजिक कार्यकर्त्ता इंदिरा जयसिंह के एनजीओ ‘लायर्स कलेक्टिव’ और उसके ट्रस्टियों के खिलाफ़ केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो द्वारा विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (FCRA) के कथित उल्लंघन का मामला दर्ज़ किये जाने के मामले में 21 जून को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने सीबीआई से लायर्स कलेक्टिव के खिलाफ एफसीआरए की जांच रिपोर्ट 4 सप्ताह के भीतर जमा करने के लिए कहा है.
मानवाधिकारों के लिए में काम करने वाली संस्था कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनिशिएटिव की ओर से हेनरी तिफग्ने द्वारा दायर शिकायत पर एनएचआरसी ने सीबीआई से यह रिपोर्ट मांगी है. सीएचआरआइ ने सीबीआई द्वारा दायर मामले की आलोचना करते हुए कहा है कि यह मामला मानवाधिकारों के लिए काम करने वाली संस्था को डराने और परेशान करने के लिए दर्ज़ किया गया है.
सीबीआई को भेजे गये आदेश में एनएचआरसी ने उल्लेख किया है कि एफआईआर 2016 में एक एमएचए रिपोर्ट के आधार पर एक अन्य एनजीओ ‘लायर्स वाइस’ द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका पर 2019 में दर्ज की गई है जबकि शिकायतकर्ता के अनुसार 2016 से 2019 के बीच ऐसा कोई प्रमाण या सामग्री प्रस्तुत नहीं किया गया जो इस केस को सही ठहराता हो.
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने अपने नोटिस में लिखा है- हालांकि कथित एफसीआरए उल्लंघन की जांच उसके दायरे से बाहर है, तब भी शिकायतकर्ता द्वारा प्रस्तुत तथ्यों के आलोक में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश एचएल दत्तू के नेतृत्व वाले आयोग ने भेदभावपूर्ण और मनमाने मामले की जांच के आदेश दिए हैं.
एनएचआरसी द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि आनंद ग्रोवर और इंदिरा जयसिंह देश भर में मानव अधिकारों के उल्लंघन से संबंधित मुद्दों को सक्रिय रूप से उठाते रहे हैं और नागरिक समाज में उनकी सक्रिय भूमिका को देखते हुए आयोग ने हेनरी और दारुवाला की शिकायत पर सीबीआई से 4 सप्ताह के भीतर जांच रिपोर्ट जमा करने के लिए कहा है.
सीबीआई ने बीते 13 जून को लायर्स कलेक्टिव और उसके ट्रस्टी वरिष्ठ वकील आनंद ग्रोवर व अन्य बेनाम के खिलाफ़ विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (FCRA) 2010 और भ्रष्टाचार निरोधक कानून 1988 के तहत केस दर्ज़ किया था.
इस मामले में एक और मानवाधिकार संगठन पीयूसीएल ने भी सीबीआई की आलोचना करते हुए एक पर्चा जारी किया है.