न्यूजीलैंड ने कैसे पाया कोरोना के फैलने से पहले ही संक्रमण पर नियंत्रण

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डाटा सोर्: जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी


न्यूजीलैंड में कोरोना वायरस का पहला मरीज़ 28 फरवरी 2020 को मिला था और भारत में 30 जनवरी 2020 को पहले कोरोना केस की पुष्टि हुई थी। जहाँ भारत में कोरोना संक्रमण के मामले पिछले कुछ दिनों से और तेजी से बढ़ रहे हैं। वहीं न्यूज़ीलैण्ड की प्रधानमंत्री जेसिंडा अर्डर्न ने बताया कि कोरोना महामारी से लड़ने की हमारी कोशिश कामयाब हो रही है। हमारे यहाँ कोरोना के मामलों में बहुत ज़्यादा कमी हुई है। न्यूज़ीलैण्ड के स्वास्थ्य महानिदेशक ने सोमवार को कोरोना के एक भी केस के न होने की बात कही है। पिछले 15 दिनों में रोज़ाना 20 से भी कम कोरोना के मामले दिखाई दे रहे हैं। उन्होंने कहा, “कोरोना के मामले में कमी आना निश्चित ही हमारे लिए ख़ुशी की बात है। 20 मृत्यु के अलावा संक्रमण से किसी की भी मृत्यु नहीं हुई है।” (हालांकि लगातार 2 दिनों तक कोई भी कोरोना संक्रमण का मामला सामने नहीं आया लेकिन ख़बर लिखे जाने तक बुधवार को एक और 60 वर्षीय महिला की कोरोना संक्रमण से मृत्यु हुई है। जिस वजह से न्यूज़ीलैण्ड में मृत्यु का आंकड़ा 21 तक पहुंच गया है। साथ ही मात्र 2 नए मामले सामने आये हैं। जिसके साथ कुल मामले 1489 तक पहुंच गया है) मामलों में कमी और सरकार की कोरोना से लड़ने की बेहतर रणनीति के चलते न्यूज़ीलैण्ड में लॉकडाउन के नियमों में काफ़ी हद तक ढील दी जा रही है ताकि देश में आर्थिक गतिविधियों को शुरू किया जा सके। संक्रमण में कमी आने पर न्यूज़ीलैण्ड की प्रधानमंत्री की दुनिया भर में तारीफ़ हो रही है।

 

जेसिंडा अर्डर्न, न्यूज़ीलैण्ड की प्रधानमंत्री तस्वीर:इंटरनेट

भारत और न्यूज़ीलैण्ड में एक साथ ही लगा था लॉकडाउन

न्यूज़ीलैण्ड और भारत में लगभग एक साथ ही लॉकडाउन लगाया गया था। जहाँ हमारे यहाँ तीसरा लॉकडाउन चल रहा है तो वहां अब लॉकडाउन को धीरे-धीरे समाप्त करने की बात भी सामने आने लगीं है हालांकि अभी सिर्फ़ अर्थव्यवस्था को सुधारने से संबंधित छूट उपलब्ध है बाकि काम अभी घर से ही होने हैं। स्वास्थ्य महानिदेशक एशले ब्लूमफील्ड ने बताया कि इस दौरान भी लोगों को सामाजिक दूरी का पालन करना होगा। हमारे लिए इस सप्ताह के बाद ही असली स्थिति सामने होगी।

न्यूज़ीलैण्ड के स्वास्थ्य महानिदेशक एशले ब्लूमफील्ड

 

न्यूज़ीलैण्ड में चीन से आने वाले यात्रियों पर 3 फ़रवरी से ही पाबंदी लगा दी गयी थी। जबकि 28 फ़रवरी को वहां पहला कोरोना संक्रमित मरीज़ मिला था। यानि वहां की सरकार ने अपने देश को कोरोना से बचाने की तैयारियां बहुत पहले से ही शुरू कर दी थीं। भारत में राहुल गांधी के कोरोना संक्रमण के बारे में चेताने के लिए किये गए ट्वीट को सत्ता के एक मंत्री द्वारा भ्रम फ़ैलाना बता दिया गया था। साथ ही जिस अमेरिका में इस वक्त कोरोना का सबसे ज्यादा कहर है। वहां के राष्ट्रपति को बुलाकर गुजरात और आगरा का भ्रमण कराया गया। आज गुजरात भी उन राज्यों में से एक है, जहां कोरोना संक्रमण के सबसे ज्यादा मामले हैं और आगरा के मेयर द्वारा यूपी के मुख्यमंत्री से आगरा को वुहान बनने से बचाने के लिए प्रार्थना की गयी है। न्यूज़ीलैण्ड में किसी भी कोरोना संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आये लोगों को 48 घंटे में पता लगाकर कर सेल्फ़ आइसोलेशन में जाने को कहा गया।

अन्तर्राष्ट्रीय उड़ानों पर जल्द रोक से भी मामला नियंत्रण में

न्यूज़ीलैण्ड ने अपने देश में 20 मार्च से ही सभी अंतर्राष्ट्रीय उड़ानें रोक दी थीं। भारत में 25 मार्च को उड़ानों पर रोक लगायी गयी। यहां तक की मार्च मध्य में भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय ने तो ये भी कहा था कि कोविड19 हेल्थ इमरजेंसी नहीं है। न्यूज़ीलैण्ड में 4 स्तर का अलर्ट सिस्टम बनाया गया। जहां जैसा सिस्टम वैसी ही सख्ती की जा रही है। स्वास्थ्य महानिदेशक एशले ब्लूमफील्ड का कहना है कि अभी हम सबको पहले जैसे नियम ही फ़ॉलो करने हैं। जो कि तीसरे स्तर पर किये जाने हैं। आगे 11 मई को स्थितियों को देखते हुए अन्य नियमों में छूट देने के साथ ही अन्य घोषणाएं की जाएंगी।

न्यूज़ीलैण्ड भारत से जनसंख्या और क्षेत्रफल के मामले में बहुत पीछे है लेकिन कोरोना संक्रमण को नियंत्रित करने में भारत से आगे है क्योंकि उसने अपने यहां कोरोना के मामले के आने का इंतजार नहीं किया और पहले ही उचित कदम उठा कर कोरोना पर काबू पाने की कोशिश की, जो सफ़ल होती दिख रही है।


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