चौरीचौरा गोरखपुर से राजघाट नई दिल्ली के लिए निकली ‘नागरिक सत्याग्रह पदयात्रा’ 200 किमी यात्रा करके 11 फरवरी को गाजीपुर पहुंची, जहां स्वागत करने के स्थान पर पुलिस ने सत्याग्रही पदयात्रियों को शांतिभंग की धाराओं में जेल भेज दिया।
यह यात्रा चौरी-चौरा से इसलिए शुरू की गई क्योंकि ‘यह वो जगह थी जहां 1922 में यानी लगभग सौ साल पहले अंग्रेजों के खिलाफ हुई हिंसा के कारण गांधी ने असहयोग आंदोलन वापस ले लिया था। उस दिन ऐसे आज़ाद हिंदुस्तान की तासीर तय हो गई थी जहां हिंसा के लिए कोई जगह नहीं थी, फिर चाहे वो हमारा शोषक, हमारा दुश्मन ही क्यों न हो।’
करीब छह-सात लोगों के इस जत्थे की अकेली महिला सदस्य प्रदीपिका सारस्वत ने गिरफ्तार होने से पहले बताया कि बीते तीन-चार दिनों से पुलिस उनके आसपास मंडरा रही थी। उनसे यात्रा को लेकर सवाल-जवाब भी किए जा रहे थे।
प्रदीपिका एक लेखक और पत्रकार हैं और उनके लेख देश के विभिन्न समाचार माध्यमों में छपते रहते हैं। उन्होंने गिरफ्तार होने से पहले अपने फेसबुक पेज पर भी लिखा है कि ‘कल शाम से लोकल इंटेलीजेंस और पुलिस यात्रियों के चक्कर काट रही है, तस्वीरें खींच रही है, वीडियो उतार रही है। स्टेट इतना डरा हुआ कि चंद लोगों को शांति और सौहार्द की बात करते हुए नहीं देख पा रहा है।’
इस बारे में गाजीपुर (सदर) के एसडीएम से पूछने पर उन्होंने बताया कि इन सभी लोगों ने पदयात्रा के लिए कोई अनुमति नहीं ली थी। चंद लोगों की पदयात्रा से प्रशासन को क्या समस्या है, इस पर उनका कहना था कि फिलहाल तो 151और 107/16 के तहत गिरफ्तारी की जा रही है और मामले में जांच करके आगे की कार्रवाई की जाएगी। जेल भेजे गए पदयात्रियों की सूची अग्रलिखित है :-
1. प्रियेश पांडेय, 2. अतुल यादव, 3. मुरारी कुमार, 4. मनीष शर्मा, 5. सुश्री प्रदीपिका सारस्वत 6. शेष नारायण ओझा 7. नीरज राय 8. अनन्त प्रकाश शुक्ला 9. राज अभिषेक।
नागरिकता संशाेधन कानून लागु होने के बाद देश में आमजन नागरिकता रजिस्टर, डिटेंशन कैम्प और परिचय पत्रों, जन्मप्रमाण पत्र आदि क्या क्या कागज बनवाना है, की जद्दोजहद में फंस गया। रोजी रोजगार देने में फेल होती दिख रही सरकार का रसूख जनता में कम हो ही रहा था। नागरिकता के सवाल ने लोगों के धैर्य को झटका दे दिया। देश भर में काफी भारी संख्या में विरोध प्रदर्शन हुए।
पुलिस दमन:
देश भर में हुए उक्त प्रदर्शनों के बीच भारी संख्या में पुलिस हिंसा की घटनाए हुईं। अकेले उत्तर प्रदेश में हिंसा में 23 लोगों की जान गयी है। सैकड़ों बुरी तरह से घायल हैं। छात्रों, सामाजिक राजनैतिक कार्यकर्ताओं की गंभीर आपराधिक धाराओं में गिरफ्तारी की गयी है।
छात्रों की जाँच कमिटी:
हिंसा और उग्रता के आधार और जिम्मेदार परिस्थितियों को समझने के लिए कई संस्थाओं के युवाओं ने मिलकर एक फैक्ट फाइंडिंग कमेटी बनाई। छात्रों सामाजिक कार्यकर्ताओं की फैक्ट फाइंडिंग टीम की जाँच में दिसंबर 2019 में हुए विरोध प्रदर्शन और उत्तर प्रदेश में पुलिस की भूमिका पर गंभीर सवाल निकल कर सामने आए हैं।
मुज़फ्फरनगर, मेरठ, सहारनपुर, अलीगढ़, कानपुर, बदायूं, इलाहाबाद, मऊ, आज़मगढ़, गोरखपुर और बनारस पुलिस ने भारी बल प्रयोग किया है। बीएचयू, जेएनयू, एएमयू, लखनऊ विवि आदि 30 से ज्यादा ख्यातिलब्ध संस्थानों के छात्रों और विभिन्न सामाजिक कार्यकर्ताओं की साझी टीम ने हिंसा प्रभावित जगहों पर पंहुचकर प्रभावितों से चर्चा करके बड़ी और गम्भीर रिपोर्ट जारी की है।
नागरिक सत्याग्रह पदयात्रा:
छात्रों सामाजिक कार्यकर्ताओं की टीम ने तय किया कि हिंसा प्रभावित जगहों पर पहुंचकर गाँधी के प्रेम और शांति का सन्देश देते हुए भाईचारे अमन और अहिंसा की बात करेंगे।
यात्रा कर रहे कार्यकर्ताओं ने बताया कि छात्रों सामाजिक राजनैतिक कार्यकर्ताओं की साझा पहलकदमी से शुरू हुई यह यात्रा समाज में बढ़ रही असहिष्णुता, हिंसा, घृणा और कट्टरता के ख़िलाफ़ भाईचारे, प्रेम, सद्भाव और सहिष्णुता की अपील के साथ सड़कों पर गुजर रही है। नागरिक सत्याग्रह पदयात्रा की शुरुआत चौरीचौरा के शहीद स्मारक से गत 2 फरवरी 2020 को हुई है। लगभग 200 किमी की पदयात्रा करके ये सत्याग्रही मऊ से आगे बढ़कर मंगलवार को गाजीपुर पंहुचे थे।
आगामी चरण:
यात्रा का प्रथम चरण बनारस में 16 फरवरी 2020 को सम्पन्न होना तय था। आगे के लिए बनारस से कानपुर के लिए दूसरे चरण की यात्रा की तैयारी और कार्यकर्ताओं में संवाद का कार्यक्रम बनारस पड़ाव में करना पूर्वनिश्चित था। बनारस में प्रेसवार्ता और सामाजिक सांस्कृतिक सहमना संस्थाओं और व्यक्तियों से चर्चा करने की भी योजना रही किन्तु बनारस में प्रधानमंत्री के आगमन का कार्यक्रम भी 16 फरवरी को ही था।
ऐसे में सड़कों पर जाम होना और प्रशासनिक व्यस्तता होना स्वाभाविक था। ऐसी असामान्य असहज स्थिति में सत्याग्रहियों का लक्ष्य जो कि अमन और भाईचारे का संवाद करना था, प्रभावित होता तो सत्याग्रहियों ने यह तय किया है कि बनारस 14 फरवरी 2020 की रात तक पहुंचने की कोशिश करेंगे। रात्रिविश्राम के बाद 15 फरवरी को ही सर्वसेवा संघ राजघाट में जयप्रकाश नारायण की मूर्ति के समक्ष श्रद्धासुमन प्रकट करते हुए पत्रकारों से वार्ता करके राजातालाब की ओर आगे बढ़ जाते।
कानून व्यवस्था और शांति के प्रति जो पदयात्री स्वयं अतिसचेत थे, उनका शांतिभंग की धाराओं में जेल जाना अजीबोगरीब है।
naagrik satyagrhविज्ञप्ति: धनञ्जय त्रिपाठी, जॉइंट ऐक्शन कमेटी (बीएचयू) द्वारा जारी