मोहाली : कश्मीरी लोगों के समर्थन में आयोजित रैली पर DC ने लगाया प्रतिबंध

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पंजाब सरकार ने कश्मीर के लोगों के समर्थन में सार्वजनिक रैली पर प्रतिबंध लगा दिया है. कश्मीरी लोगों के आन्दोलन को समर्थन देने के लिए कश्मीरी राष्ट्रीय संघर्ष एकजुटता समिति, (पंजाब) द्वारा 15 सितम्बर को मोहाली में आयोजित होने वाली रैली पर पंजाब सरकार ने रोक लगा दी है. सॉलिडैरिटी कमेटी की ओर से तीन नेताओं झंडा सिंह जेठुके, कंवलप्रीत सिंह पन्नू और लखविंदर सिंह ने कहा कि रैली की अनुमति के लिए सुझाये गये सभी कागजात मोहाली प्रशासन को उपलब्ध कराये गये, किन्तु प्रशासन ने बिना किसी उचित और क़ानूनी कारण बताये रैली की अनुमति देने से मना कर दिया.

एकजुटता समिति को महसूस करता है कि पंजाब की कांग्रेस सरकार ने दिखाया है कि कश्मीरी लोगों के पक्ष में बढ़ती आवाज़ को दबाने में वह भाजपा सरकार से पीछे नहीं है. एकजुटता समिति को लगता है कि पंजाब की कांग्रेस सरकार ने दिखाया है कि कश्मीरी लोगों के पक्ष में बढ़ती आवाज़ को दबाने में वह भाजपा सरकार से पीछे नहीं है.

एक तरफ कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष कश्मीर जाकर लोगों की दुर्दशा का हाल जानना चाहते हैं, वहीं पंजाब के मुख्यमंत्री कप्तान अमरिंदर सिंह 5 अगस्त को कश्मीरी छात्रों को बुलाकर ईद की दावत देते हैं. किन्तु जब कश्मीरी लोगों के पक्ष में रैली की बात आती है तो उस पर प्रतिबंध लगा देते हैं! हालांकि पंजाब के लोग कश्मीरियों के पक्ष में है.

मोहाली पब्लिक मीटिंग ग्राउंड को पुलिस ने बंद करवा दिया और समिति को अनुमति देने के लिए नोटिस भेजा गया. समिति ने कहा कि इन कदमों से पता चला है कि कश्मीर मुद्दे पर कांग्रेस का विरोध केवल एक राजनीतिक स्टंट है.
कांग्रेस ने अपने शासन के पहले 70 वर्षों में इसने कश्मीरी लोगों पर अत्याचार किया, अनुच्छेद 370 को बार-बार संशोधित किया और कश्मीरी राष्ट्र के आत्मनिर्णय के अधिकार को कुचल दिया और अब तो पंजाब की आवाज भी बेरहमी से दबा दी जा रही है.

समिति के नेताओं ने कहा कि अलोकतांत्रिक और सत्तावादी शासन के खिलाफ अपनी आवाज उठाना लोगों का मूल लोकतांत्रिक अधिकार है.उनका सवाल है कि अपने राज्य की राजधानी में राज्यपाल को ज्ञापन सौंपने से लोगों की शांति और सुरक्षा को खतरा कैसे हो सकता है?

समिति ने कहा कि पिछले कुछ दिनों में, विभिन्न किसान और श्रमिक संगठनों ने पंजाब भर में 12 स्थानों पर बड़े सार्वजनिक समारोहों का आयोजन किया. ये बड़ी जनसभाएं किसी भी कस्बे में किसी भी तरह की कानून-व्यवस्था की चुनौती साबित नहीं हुईं.

इसलिए कानून-व्यवस्था के बहाने कश्मीरी लोगों के समर्थन में जनसभा की अनुमति न देना स्पष्ट करता है कि कांग्रेस की नीयत में खोट है. प्रशासन के पास यह सोचने का आधार क्या है कि मोहाली में कानून-व्यवस्था और सार्वजनिक सुरक्षा के लिए खतरा होगा?
अब यह स्पष्ट है कि राज्य में कांग्रेस सरकार, केंद्र की भाजपा सरकार की तरह, कश्मीरी लोगों के समर्थन से खतरा महसूस करती है.

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पंजाब के हजारों किसान और श्रमिक कश्मीर के लोगों के अधिकारों के हनन और अलोकतांत्रिक दमन का विरोध करने के लिए खुलकर सामने आए हैं.

समिति ने कहा कि कश्मीर के लोगों को आत्मनिर्णय का अधिकार होना चाहिए. धारा 370 और 35A को बरकरार रखा जाना चाहिए. PSA और AFSPA सहित काले कानून को निरस्त किया जाना चाहिए और कश्मीरी लोगों को आत्मनिर्णय का अधिकार देते हुए एक लोकतांत्रिक वातावरण बनाया जाना चाहिए.

लोगों के मन में गुस्सा आ रहा है और यह दृढ़ता से प्रकट होगा. समिति पंजाब के सभी लोकतांत्रिक और सार्वजनिक संगठनों से अपील करती है कि वे कांग्रेस सरकार की इस करतूत के खिलाफ आवाज उठाएं.

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पंजाब की जत्थेबंदियों की ओर से कश्मीरी लोगों के संघर्ष का समर्थन करने के लिए निकाली जाने वाली रैली या प्रदर्शन पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है. पिछले दिनों कुछ लोगों ने डीसी मोहाली गिरीश दयालन के पास रैली करने के लिए दशहरा ग्राउंड फेज 8 से चंडीगढ़ की सीमा तक जाने की आज्ञा मांगी थी. लेकिन डीसी की ओर से इस एप्लिकेशन को रिजेक्ट कर दिया है और रैली निकाली की परमिशन नहीं दी गई है. डीसी ने कहा कि सुरक्षा कारणों को लेकर यह अनुमति नहीं दी जा सकती है. डीसी मोहाली दयालन ने कहा कि प्रशासन की ओर से इस प्रदर्शन को सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों और पंजाब सरकार की सलाह पर रोका गया है. निगम कमिशनर की ओर से दी गई रिपोर्ट में कहा गया है रैली के दौरान लोगों को परेशानी हो सकती है.


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