पूरा देश उनका औरंगाबाद है- एमपी में ट्रक हादसे में यूपी लौट रहे 5 श्रमिकों की जान गई

मयंक सक्सेना मयंक सक्सेना
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रेल की पटरियों से सड़क पर साईकिल से जाते हुए…या फिर भूख से या आत्महत्या कर के..ऐसा लगने लगा है कि पूरा देश ही गरीब और मजबूर प्रवासी मज़दूरों के लिए औरंगाबाद बन चुका है। सोमवार की अल सुबह फिर एक ऐसे ही हादसे की ख़बर आई है, जिसमें छिपकर घर लौटते प्रवासी श्रमिकों की जान चली गई है। आम के ट्रक में छिपकर, हैदराबाद से य़ूपी लौट रहे प्रवासी श्रमिकों में से 5 की ट्रक हादसे में जान चली गई है।

मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले में रविवार देर रात आम से भरे एक ट्रक के पलटने के बाद ये सामने आया कि इस ट्रक में 15 प्रवासी मज़दूर भी छिपकर अपने घर लौट रहे थे। लॉकडाउन के कारण बेरोज़गारी और भूख से जूझ रहे ये प्रवासी श्रमिक, पुलिस के डर से ट्रकों में छिपकर आ रहे थे। बताया जा रहा है कि इनमें से एक ट्रक, जिसमें 20 प्रवासी मज़दूर सवाल थे – दुर्घटना का शिकार हो गया। ट्रक पलटा तो इनमें से 5 की मौत हो गई। 13 लोगों के गम्भीर रूप से घायल होने की सूचना है।

गंभीर रुप से घायल मज़दूरों को पहले ज़िला अस्पताल ले जाया गया, जहां से उनको जबलपुर मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया है। फिलहाल उनकी स्थिति कैसी है, इस बारे में कोई पुष्ट सूचना नहीं है, लेकिन कुछ श्रमिकों में सर्दी-खांसी जैसे लक्षणों के कारण उनका सैंपल कोरोना टेस्टिंग के लिए भेज दिया गया है। नरसिंहपुर के ज़िला कलक्टर दीपक सक्सेना ने बताया, ‘आमों से लदा हुआ ये ट्रक, हैदराबाद से आगरा जा रहा था। इसमें कुल 18 लोग सवाल थे, जिसमें 2 ड्राइवर और 1 कंडक्टर भी थे। इनमें से 5 लोगों की मौत हो गई है।’

ये सभी मज़दूर हैदराबाद से आम के ट्रक में छिपकर उत्तर प्रदेश के के लिए निकले थे, इनमें से कुछ झांसी और कुछ यूपी के एटा की ओर जाने के लिए निकले थे। मध्य प्रदेश में नरसिंहपुर जिले के पाठा गांव के पास इस ट्रक ने अपना संतुलन खोया और अनियंत्रित होकर पलट गया। हादसे में दो मजदूर अति गंभीर रूप से घायल हुए हैं जिनको इलाज के लिए जबलपुर भेजे जाने की ख़बर है। बाकी श्रमिकों का इलाज स्थानीय सरकारी अस्पताल में ही चल रहा है।

लॉकडाउन, बेरोज़गारी, भूख और घर न लौट पाने के कारण प्रवासी श्रमिकों के साथ हुए हादसों की संख्या बढ़ती जा रही है। उनको नहीं पता है कि वे कैसे घर पहुंचेंगे, लेकिन उनको ये पता है कि कैसे भी अपने गांव पहुंच जाने के सिवा – उनके पास कोई रास्ता भी नहीं है।


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