महाराष्ट्र के अकोला के विशेष सत्र न्यायाधीश एएस जाधव ने एक सुनवाई के दौरान आतंक के आरोप में सज़ा काट रहे तीन आरोपियों को बरी करते हुए कहा है कि ‘जिहाद’ शब्द का इस्तेमाल करने को लेकर किसी व्यक्ति को आतंकवादी नहीं कहा जा सकता है. जज ने जिहाद शब्द का अर्थ बताते हुए कहा कि ‘जिहाद’ अरबी भाषा का एक शब्द है जिसका अर्थ ‘संघर्ष’ करना है और बीबीसी के अनुसार जिहाद का तीसरा अर्थ है सुंदर समाज के निर्माण के लिए संघर्ष करना, इसलिए इस शब्द के इस्तेमाल मात्र से किसी को आतंकवादी नहीं कहा जा सकता.
Jihad Literally Means Struggle, Mere Use of It Does Not Make One A Terrorist: Maharashtra Court [Read Judgment] https://t.co/q5J1mnxqqp
— Live Law (@LiveLawIndia) June 19, 2019
गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम कानून (यूएपीए), शस्त्र अधिनियम और बॉम्बे पुलिस एक्ट के तहत मुंबई एटीएस द्वारा आतंकवाद के आरोप में पकड़े गये सज़ायाफ्ता तीन मुस्लिम मजदूर युवक अब्दुल मल्लिक, अब्दुल रज्ज़ाक, शोएब खान उर्फ़ अहमद और सलीम मालिक उर्फ़ हफीज़ मुजीबुर्रहमान को बरी करते हुए सत्र न्यायाधीश एएस जाधव ने फैसला दिया कि महज ‘जिहाद’ शब्द का इस्तेमाल करने को लेकर किसी व्यक्ति को आतंकवादी नहीं कहा जा सकता है.
अकोला के पुसाद इलाके में 25 सितंबर 2015 को बकरीद के मौके पर एक मस्जिद के बाहर पुलिसकर्मियों पर हमले के बाद अब्दुल रज्ज़ाक (24), शोएब खान (24) और सलीम मलिक (26) पर आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था.
अभियोजन के मुताबिक रज्ज़ाक मस्जिद पहुंचा, एक चाकू निकाला और उसने ड्यूटी पर मौजूद दो पुलिसकर्मियों पर वार कर दिया तथा उसने हमले से पहले कहा कि बीफ पर पाबंदी के कारण वह पुलिसकर्मियों को मार डालेगा. आतंकवादरोधी दस्ता (एटीएस) ने दावा किया कि ये लोग मुस्लिम युवाओं को आतंकी संगठनों में शामिल होने के लिए प्रभावित करने के आरोपी थे.
जस्टिस जाधव ने कहा, ‘‘यह प्रतीत होता है कि आरोपी रज्ज़ाक ने गो-हत्या पर पाबंदी को लेकर हिंसा के जरिए सरकार और कुछ हिंदू संगठनों के खिलाफ अपना गुस्सा जाहिर किया.’’
उन्होंने कहा, ‘‘बेशक उसने ‘जिहाद’ शब्द का इस्तेमाल किया लेकिन इस निष्कर्ष पर पहुंचना दुस्साहस होगा कि महज ‘जिहाद’ शब्द का इस्तेमाल करने को लेकर उसे आतंकवादी करार देना चाहिए.’’
पुलिसकर्मियों को चोट पहुंचाने को लेकर रज्ज़ाक को दोषी ठहराते हुए तीन साल कैद की सजा सुनाई गई थी. चूंकि वह 25 सितंबर 2015 से जेल में था और कैद में तीन साल गुजार चुका है इसलिए अदालत ने उसे रिहा कर दिया.
अदालत के फैसले को आप यहां पढ़ सकते हैं :
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